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Chandrayaan 3 लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर इसरो प्रमुख ने कही ये बात

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Published : Aug 9, 2023, 9:33 AM IST

ISRO Chief S Somnath ने मंगलवार को कहा कि भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान 3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. एस सोमनाथ ने कहा भले ही सेंसर और इंजन काम करने में विफल हो जाएं, फिर भी लैंडर विक्रम Soft landing करेगा.

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चंद्रयान 3 लैंडर विक्रम

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- ISRO के प्रमुख एस सोमनाथ ने मंगलवार को कहा कि भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम अगस्त में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. 23 और इंजन फेल होने की स्थिति में भी ऐसा करेगा. NGO दिशा भारत द्वारा आयोजित "चंद्रयान -3 : भारत का गौरव अंतरिक्ष मिशन" पर एक बातचीत में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि भले ही सभी सेंसर और दो इंजन काम करने में विफल हो जाएं, फिर भी Soft landing सुनिश्चित की जाएगी.

ISRO Chief S Somnath ने कहा, इसरो टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्षैतिज (Horizontal) विक्रम को चंद्रमा की सतह पर लंबवत रूप से उतारना है. सोमनाथ ने कहा, "एक बार जब लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा, तो यह क्षैतिज रूप से चलेगा. कई युद्धाभ्यासों के बाद चंद्रमा पर सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए विक्रम को ऊर्ध्वाधर ( Vertical) स्थिति में लाया जाएगा." S Somnath ने कहा, "Horizontal से Vertical दिशा में स्थानांतरित करने की क्षमता वह चाल है, जिसे खेला जाना है. पिछली बार केवल यहीं हमें समस्याएं थीं."

ISRO Chief ने कहा कि इसरो चंद्रयान-2 प्रयास के दौरान चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर को सुरक्षित रूप से उतारने में विफल रहा था. उन्होंने कहा कि लैंडर 'विक्रम' का डिज़ाइन यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है कि यह विफलताओं को संभाल सके. S Somnath ने कहा, "अगर सब कुछ विफल हो जाता है, सभी सेंसर काम करना बंद कर देते हैं और कुछ भी काम नहीं करता है, तब भी लैंडर विक्रम Soft Landing करेगा, बशर्ते प्रणोदन प्रणाली ( Propulsion system ) अच्छी तरह से काम करे."

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चुनौती है लैंडिंग सुनिश्चित करना: मिशन चंद्रयान-3 14 जुलाई को शुरू हुआ और अंतरिक्ष में विस्फोट के बाद,यह 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में प्रवेश कर गया. 9, 14 और 16 अगस्त को तीन और डी-ऑर्बिटिंग युद्धाभ्यास होंगे जब तक कि चंद्रमा से इसकी कक्षा 100 किमी x 100 किमी तक कम नहीं हो जाती. ऐसा इसे चंद्रमा के करीब लाने के लिए किया जाएगा, ताकि यह 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतर सके. लैंडर डीबूस्ट के तुरंत बाद एक लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल पृथक्करण अभ्यास शुरू किया जाएगा, एक प्रक्रिया जो यान को धीमा कर देती है, जो इसरो प्रमुख ने कहा कि इसके बाद 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करना एक चुनौती है कि कम ईंधन की खपत हो. उन्होंने कहा, इस बार इसरो टीम ने यह सुनिश्चित किया कि विक्रम उचित लैंडिंग का प्रयास करे, भले ही गणना में कुछ भिन्नताएं हों.

(आईएएनएस)

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