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जब सिनेमाघर खुलेंगे, तो उसे देखने का तरीका बदल चुका होगा

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Published : May 23, 2020, 3:29 PM IST

Updated : May 28, 2020, 12:39 PM IST

कोरोना काल में जब सिनेमाघर खुलेंगे तो देखने का तरीका शायद बदल चुका होगा. आपके फोन पर क्यू आर कोड आपके टिकट की जगह ले चुका होगा; हाथ से पकड़े गए मेटल डिटेक्टर ने दरवाज़े के फ्रेम में लगे मेटल डिटेक्टर के लिए रास्ता बना दिया होगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

अगली बार जब आप थिएटर जाएं तो हो सकता है आपको लगेगा कि आप किसी साई-फ़ाय फिल्म के दृश्य का हिस्सा हैं. आपके फोन पर क्यू आर कोड आपके टिकट की जगह ले चुका होगा; हाथ से पकड़े गए मेटल डिटेक्टर ने दरवाज़े के फ्रेम में लगे मेटल डिटेक्टर के लिए रास्ता बना दिया होगा, जो कि हवाई अड्डों में इस्तेमाल किया जाता है; कंसेसियनार स्टैंड पर मौजूद कर्मचारी और ग्राहकों के बीच एक पेर्स्पेक्स कांच होगा; और सभागार में उपयुक्त सामाजिक दूरी को दर्शाने वाले निशानों के साथ बैठने की जगह होगी.

निश्चित रूप से हर किसी को अपना स्वयं का सैनिटाइज़र और फेस मास्क ले जाना होगा, और यदि वे एक 3 डी फिल्म देख रहे हैं, तो अपने स्वयं के 3 डी ग्लास खरीदने होंगे जिसे आप अपने साथ ले जा सकेंगे.

फिल्म देखने की नई दुनिया में आपका स्वागत है, जोकि यदि हम आशावादी अनुमानों के अनुसार चलें तो, 15 जून से 15 जुलाई के बीच किसी भी समय से लागू होना चाहिए. अक्षय कुमार, अजय देवगन और रणवीर सिंह द्वारा अभिनीत रोहित शेट्टी की 135 करोड़ रुपये की सूर्यवंशी जैसी बड़ी टिकट वाली रिलीज़ के साथ; कबीर खान की 125 करोड़ 83 रुपये में की लागत से बनी रणवीर सिंह अभिनीत कपिल देव; 100 करोड़ रुपये में तैयार की राधे: सलमान खान अभिनीत योर मोस्ट वांटेड भाई, की रिलीज़ का शायद ही बॉलीवुड इंतजार कर सके.

कुछ फिल्म निर्माता इतने अधीर हो गए हैं कि वे अपनी फिल्मों को सीधे ओटीटी यानि इन्टरनेट के माध्यम पर रिलीज़ करने के लिए तैयार हैं, जिस पर इस सप्ताह इनोक्स लेजर को विशेष रूप से तीव्र प्रतिक्रिया देनी पड़ी, जो पूरे भारत में 620 से अधिक स्क्रीन का मालिक है.

प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने वित्त पोषण पर बढ़ती ब्याज लागत, बीमा की अनुपस्थिति, सिनेमाघरों को फिर से खोलने को लकर अनिश्चितता और निर्णय के कारण अनुपयोगी या छोड़े गए सेटों में लगी लागत के डूबने का हवाला देते हुए समान गति के साथ जवाब दिया.

पीवीआर के अध्यक्ष और एमडी अजय बिजली, जो देश में कुल 9,000 में से 850 स्क्रीन को नियंत्रित करते हैं, लड़ाई में शामिल होने के बजाय फिल्मों के जादू पर बात करना पसंद करते हैं, वे कहते हैं, यह एक संरचनात्मक परिवर्तन नहीं विपथन है, साथ ही वे कहते हैं कि कोई भी निर्माता स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिए बड़े स्क्रीन अनुभव से अदलाबदली नहीं करना चाहेगा. आखिरकार, वह बताते हैं कि, 45% फिल्म राजस्व अभी भी सिनेमाघरों से प्राप्त होता है, बाकी को प्रसारण और डिजिटल अधिकारों के बीच विभाजित किया जाता है.

बॉक्स ऑफिस का राजस्व अभी भी राज करता है, लेकिन कई फिल्म निर्माता मानते हैं कि बड़े पर्दे की जगह छोटी फिल्में बनाने के दिन करीब आ रहे हैं. कोरोना के बाद की दुनिया धमाकेदार बड़ी भारतीय बॉलीवुड फिल्मों के साथ डब की हुई हॉलीवुड पिक्चरों, जोकि समूचे बॉक्स ऑफिस का 10 प्रतिशत है और स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म पर आई छोटी पिकचरों और लम्बी सीरीज के बीच बंटा होगा.

फिल्म निर्माता दोद्नों सूरतों में खुश नज़र आ रहें हैं. मिसाल के तौर पर अनु मेनन को ही ले लीजिये. उन्होंने अमेजन प्राइम के फोर मोर शॉट्स के पहले सीज़न का निर्देशन किया, और विद्या बालन अभिनीत शकुंतला देवी की निर्देशक भी हैं.

बड़े परदे के बनी यह फिल्म, अब प्रीमियर अमेज़न प्राइम पर दिखाई जा रही है (साथ ही क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों की बाड़ सी आ गई है जिनकी श्रृंखला में कई स्टार अभिनेत्रियों शामिल हैं, जैसे पेंगुइन में कीर्ति सुरेश, पोनमगंधा वंधल में ज्योतिका और सूफ़ीयम सुजातायम में अदिति राव हैदरी). 'एक सीरीज और एक फिल्म में कहानी कहने की एक पूरी तरह से अलग लय होती है. लेकिन मैं एक कथाकार हूं. मैं सिर्फ माध्यम की चिंता किए बग़ैर अपनी कहानी कहने का भरपूर प्रयास करती हूँ.'

वो इस बात से उत्साहित हैं कि इस मुश्किल दौर में, उनकी फिल्म का प्रसार 200 देशों में मौजूद लाखों दर्शकों के बीच हुआ. वो बताती हैं कि उनकी फिल्म एक ऐसी औरत के जीवन पर आधारित है जिसने जीवन की हर मुश्किल का सामना कर उसे भरपूर जिया. यह एक मां और बेटी के अस्स्पास बुनी एक सुन्दर कहानी है, एक ऐसी कथा जिसे लोग अपने परिवारों के साथ बैठकर देखना चाहेंगे.

दूसरा सवाल उठता है कि फिल्मों की शूटिंग कब से शुरू होगी और किस तरह से? फिल्म की कास्ट और कर्मचारियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सफाई और सुरक्षा के बेहतर इन्तजाम करने होंगे. कई ऐसी पिक्चरें हैं जो तकरीबन पूरी तरह तैयार हैं, कुछ आधी बन चुकी हैं और कुछ बनना शुरू होने जा रहीं हैं.

अद्वैत चंदन, जो फॉरेस्ट गंप की रीमेक में लाल सिंह चड्ढा के रूप में आमिर खान का निर्देशन कर रहे हैं, का कहना है कि उनके अभिनेता ज़ोन में थे और शूटिंग अच्छी चल रही थी, बड़े कारगिल युद्ध के सेट पर और मुंबई और दिल्ली में कुछ ही दिनों की शूटिंग बाकी थी.

दिसम्बर में आने वाली इस पिक्चर के निर्माता को उम्मीद है कि वह समय से इसे रिलीज़ कर सकेंगे, हालांकि अभी भी वीएफएक्स का काफी काम बाकी बचा है. दिबाकर बनर्जी की नेटफ्लिक्स मूवी, जो एक कश्मीरी परिवार की तीन पीढ़ियों पर आधारित है, की एक दिन की शूटिंग बाकी है जबकि अनुराग कश्यप की युवा प्रेम कहानी की चार दिनों की शूटिंग छूटी हुई है. वे सब काम पर लौटने का इंतज़ार कर रहें हैं.

मुम्बई में कारण जौहर जिन्होंने अपनी फिल्म तख़्त जो मुग़ल कथा पर आधारित है के लिए 250 करोड़ की लगत से दो सेट बनवाए थे, वे भी काम शुरू करने का इंतज़ार कर रहे हैं.

लेकिन आज के मौजूदा हालात में, हर चीज़ बदल रही है. हालाँकि फिल्म उद्योग जोकि पचास लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार देता है वह राज्य और केंद्र सरकार की प्राथमिकता नहीं है. कई थिएटर मॉल में स्थित हैं जो पिक्चर देखने वालों को और खतरे में दाल सकते हैं.

अमेरिका में, क्रिस्टोफर नोलन को उम्मीद है कि 17 जुलाई को उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म 'टेनेट' की राष्ट्रव्यापी रिलीज़ दर्शकों को सिनेमाघरों में वापस ले आएगी, लेकिन वहां का उद्योग काफी अलग तरीके से काम करता है. अमेरिका में चार प्रमुख स्टूडियो और बड़ी प्रदर्शक श्रृंखलाएं हैं.

भारत के विपरीत जहां फिल्मों के निर्माता बिखरे हुए हैं और बनने वाली पिक्चरों की दर– 1,000 से 1,200 सालाना जोकि अमेरिका में बन्ने वाली 200 फिल्मों से कहीं ज्यादा है, वहां किसी भी लिए गए फैसले को लागू करना कुछ फ़ोन कॉल पर मुमकिन किया जा सकता है.

पर ये तथ्य ये भी दर्शाता है कि भारत में फिल्मों की भूख कहीं ज्यादा है. क्या सिर्फ़ एक वायरस इसको नष्ट कर सकता है भला?

(लेखिका- कावेरी बम्जई)

Last Updated : May 28, 2020, 12:39 PM IST
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