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AI Development In India: आर्थिक विकास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का क्या है महत्व?

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 11, 2023, 4:16 PM IST

Updated : Sep 11, 2023, 4:50 PM IST

दुनियाभर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई का इस्तेमाल और विकास तेजी से बढ़ रहा है. भारत भी इस दिशा में काम कर रहा है, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि जहां एआई तकनीक लोगों के लिए फायदेमंद है, वहीं कई तरीकों से इसका दुरुपयोग भी हो सकता है. इस मुद्दे पर डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञ, एल मारुति शंकर का पढ़ें विश्लेषण...

artifical Intelligence
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

हैदराबाद: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का मानवता पर पहले से ही व्यापक प्रभाव पड़ा है. इस प्रक्रिया में, सरकारों और निजी क्षेत्र के संगठनों दोनों को एआई पर पूरा ध्यान देने की आवश्यकता है. संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और विभिन्न यूरोपीय देशों जैसे देशों में एआई में विकास तेजी से आगे बढ़ रहा है. वे एआई से संबंधित महत्वपूर्ण परियोजनाएं चला रहे हैं. यूएई और सऊदी अरब जैसे खाड़ी देश भी इस दौर में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.

दूसरी ओर, भारत डिजिटल प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के लिए काफी प्रयास कर रहा है. यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ये प्रयास फलीभूत हों. अधिक संसाधनों को आवंटित करने की आवश्यकता है, और व्यापक शोध से नए तकनीकी समाधान सामने आने चाहिए. सरकार इस मामले में अहम भूमिका निभाती है. यदि सरकार मार्ग प्रशस्त करे तो निजी क्षेत्र के संगठन आईटी क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल कर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं.

स्पष्ट लक्ष्यों के साथ...

भारत में एक निजी क्षेत्र का संगठन, रिलायंस समूह सक्रिय रूप से देश के लिए तैयार एआई मॉडल विकसित करने में लगा हुआ है. इसने एआई अनुप्रयोगों को विकसित करने के कार्य को पूरा करने के लिए दो एक्साफ्लॉप्स की एआई कंप्यूटिंग क्षमताओं के साथ एक परिसर स्थापित किया है. टेक महिंद्रा और आईआईटी मद्रास जैसे भारतीय संस्थानों के साथ सहयोग से एआई के क्षेत्र में विशेष परियोजनाएं शुरू हुई हैं.

एआई के इन विकासों में भारत की आर्थिक वृद्धि को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा देने की क्षमता है. परिणामस्वरूप, आय का स्तर बढ़ता है, जिससे लोगों के जीवन में सुधार होता है. एआई के विभिन्न क्षेत्रों में कई अनुप्रयोग हैं, जिनमें प्रत्यक्ष अनुसंधान, रोग निदान, बीमारियों की गंभीरता और सरकारी कार्यक्रमों में नुकसान की रोकथाम शामिल है, जिससे एआई तेजी से प्रासंगिक हो गया है.

सिंगापुर में, AI का उपयोग आर्थिक संकेतकों की पहचान करने के लिए किया जा रहा है, जबकि नीदरलैंड में, सरकार कल्याणकारी कार्यक्रमों का दुरुपयोग करने वालों की पहचान करने के लिए AI का उपयोग कर रही है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर भारत अभी भी शुरुआती चरण में है. भारत में एआई प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग और इस क्षेत्र में अनुप्रयोगों का विकास सीमित है.

नए अनुप्रयोगों की खोज के लिए एआई में अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) को और प्रगति की आवश्यकता है. इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति करने के लिए निजी क्षेत्र के संगठनों को पहल करनी होगी. सरकार को पर्याप्त सहायता और विनियमन प्रदान करना चाहिए. भारत को एआई में अग्रणी बनने के लिए, उसे स्वतंत्र रूप से नए एप्लिकेशन विकसित करने होंगे और वैश्विक एआई क्षमताओं में योगदान देना होगा.

अन्य देशों के साथ सहयोग उन देशों की विभिन्न समस्याओं और आवश्यकताओं के कारण भारत के लिए अनोखी चुनौतियां ला सकता है. इसलिए, भारत को अपनी विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने वाली डिजिटल प्रौद्योगिकियों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. इसे प्राप्त करने के लिए, अनुसंधान में पर्याप्त निवेश, स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करना और कुशल संसाधन आवंटन महत्वपूर्ण हैं.

तत्काल आवश्यकता

एआई में आने वाले दशकों में भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की क्षमता है. विश्लेषण से पता चलता है कि एआई में अगले कुछ दशकों में भारत के आर्थिक मूल्य में खरबों डॉलर जोड़ने की क्षमता है. भारत तेजी से एक वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है, आर्थिक रूप से भी और एक मजबूत एआई शक्ति के रूप में भी. इसलिए, नई तकनीकी प्रगति का उपयोग करना आवश्यक है. इस दिशा में केंद्र और राज्य सरकारों ने अभी से ही प्रयास शुरू कर दिए हैं.

आधार, यूपीआई, डिजिटल लॉकर, कोविन प्लेटफॉर्म, उमंग और कई अन्य इसके उदाहरण हैं. भारतीय शोधकर्ता और संस्थान बायोमेट्रिक्स, प्रत्यक्ष अनुसंधान, महिला सुरक्षा और चेहरे की पहचान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एआई को सक्रिय रूप से लागू कर रहे हैं. एआई विभिन्न तरीकों से जनता की सेवा कर सकता है, खासकर ई-गवर्नेंस परियोजनाओं में. केंद्र एवं राज्य सरकारें इस दिशा में अनेक कार्यक्रम चला रही हैं.

बहुत सारे अवसर

भारत को अपने विकास के लिए एआई अनुप्रयोगों को बढ़ाने की जरूरत है और एक राष्ट्रीय एआई कंप्यूटिंग केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता है, जैसा कि हाल ही में एक बैठक में आईबीएम के अध्यक्ष और सीईओ अरविंद कृष्णा ने रेखांकित किया था. भारत बढ़ते मानव संसाधनों के साथ आईटी के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है. युवा पेशेवर स्टार्टअप को बढ़ावा दे रहे हैं और विभिन्न डिजिटल सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.

भारत में वैश्विक एआई परिदृश्य में अन्य देशों के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति बनने की क्षमता है. मोदी सरकार ने डिजिटल तकनीक के महत्व को पहचाना है और इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. हालांकि, चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, जिनमें AI का जिम्मेदार और नैतिक उपयोग भी शामिल है. जी20 शिखर सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों को संबोधित करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर चर्चा ने जोर पकड़ लिया है.

एआई की क्षमता का सही मायने में दोहन करने के लिए, दुरुपयोग को रोकने, गोपनीयता की रक्षा करने और सभी के लिए पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाए जाने चाहिए. सत्ता में बैठे लोगों के बारे में झूठी खबरें फैलाने, प्रतिष्ठित कंपनियों का मूल्य कम करने और अपराधियों को कानून से बचाने के लिए एआई का दुरुपयोग किया जा सकता है.

उपभोक्ताओं को एआई के बारे में शिक्षित करने के लिए सतर्क जागरूकता अभियान शुरू किया जाना चाहिए और एआई के दुरुपयोग को हतोत्साहित किया जाना चाहिए. यह व्यापक दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि एआई का लाभ सभी तक पहुंचे और भारत इस नए तकनीकी युग में नेतृत्व कर सके.

(छवि विवरण ब्लॉकचेन, एज कंप्यूटिंग, क्लाउड, मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)... ये सभी डिजिटल प्रौद्योगिकी स्पेक्ट्रम के अंतर्गत आते हैं. इनमें AI की एक अलग भूमिका है. एआई न केवल लोगों की जीवनशैली को समग्र रूप से बदलता है, बल्कि विभिन्न समस्याओं के लिए नवीन समाधान प्रदान करने की क्षमता भी रखता है.)

Last Updated :Sep 11, 2023, 4:50 PM IST
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