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254 Nepalese students landed in Kathmandu: इजरायल में फंसे 254 नेपाली छात्रों का पहला जत्था काठमांडू पहुंचा

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By ANI

Published : Oct 13, 2023, 8:55 AM IST

इजरायल और हमास (Israel-Hamas war) के बीच जारी संघर्ष में फंसे नेपाली छात्रों का एक जत्था आज तड़के काठमांडू (254 Nepalese students landed in Kathmandu) पहुंचा. नेपाल सरकार ने वहां फंसे अन्य छात्रों के सकुशल वापसी सुनिश्चित कराने का आश्वासन दिया.

Nepal: First batch of 254 students, stranded amid Israel-Hamas war, land in Kathmandu
इजरायल में फंसे 254 नेपाली छात्रों का पहला जत्था काठमांडू पहुंचा

काठमांडू: नेपाल की राजधानी काठमांडू अड्डे पर आज तड़के इजरायल में फंसे 254 नेपाली छात्रों का पहला जत्था (254 Nepalese students landed in Kathmandu) पहुंचा. छात्रों के अपने देश में पहुंचने पर उनके चेहरों पर खुशी देखी गई. इस बीच नेपाल सरकार ने इजराइल से नागरिकों को वापस लाने के लिए और व्यवस्था करने की घोषणा की है. नेपाल एयरलाइंस का एक वाइड-बॉडी विमान नेपाली छात्रों को वापस लाने के लिए गुरुवार सुबह तेल अवीव के लिए उड़ान भरी. फिर शुक्रवार लगभग 3 बजे (स्थानीय समय) काठमांडू में उतरा.

बचाव अभियान का नेतृत्व करते हुए नेपाल के विदेश मंत्री एनपी सऊद ने निकासी के पहले बैच में 254 छात्रों के आगमन की घोषणा की. वहीं, 249 अभी भी एयरलिफ्ट के लिए इजराइल में इंतजार कर रहे हैं. तेल अवीव में नेपाल दूतावास ने पहले उन नेपाली नागरिकों को पंजीकृत किया था जो सुरक्षित क्षेत्रों में रहना चाहते थे और जो नेपाल वापस लौटना चाहते थे.

सऊद ने शुक्रवार की सुबह हवाई अड्डा पर मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि अब तक कुल 557 नेपाली नागरिकों ने अपना पंजीकरण कराया. इनमें से 503 नेपाल लौटना चाहते थे. उनमें से निकासी प्रयासों के पहले चरण के तहत कुल 254 छात्रों को निकाला गया है. फिलहाल तेल अवीव में दैनिक आधार पर व्यावसायिक उड़ानें शुरू हो रही हैं. नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि जो छात्र रह गए हैं उनके तत्काल वापस लाने की व्यवस्था की जा रही है.

छात्रों ने काठमांडू पहुंचने पर राहत की सांस ली. उन्हें अपने परिवार और रिश्तेदारों को गले लगाते और गले लगाते देखा गया. लेकिन उनका मन कठिनाइयों से भरा हुआ था. आतंकवादी समूह हमास द्वारा इजरायली सरकार की 'सीखो और कमाओ' योजना के तहत प्रशिक्षु के रूप में काम कर रहे 10 छात्रों की हत्या ने वहां मौजूद सभी लोगों को झकझोर कर रख दिया है.

वहां से लौटे एक छात्र ने कहा,'हम दोपहर का भोजन कर रहे थे, तभी अचानक हमें हाई अलर्ट का संदेश मिला. इसके बाद हम बंकर की ओर भागे. हम सभी काम छोड़कर जान बचाने के लिए भागे. हम 2 दिनों तक बंकर में रहे, क्योंकि यह हमारे लिए उतना सुरक्षित नहीं था. फिर हम सामुदायिक बंकर में चले गए जहाँ हम लगभग 25 घंटे तक रहे.'

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बंकर की सुरक्षा सेना द्वारा की गई थी, लेकिन इसे सुरक्षित नहीं माना गया क्योंकि हमारे पास आपूर्ति की कमी थी. हमने खुद को स्थानांतरित करने की कोशिश की लेकिन हर जगह स्थिति एक जैसी हो गई. उत्तरी इजराइल में रहने वाले निकासीकर्ताओं में से एक कृष्ण आचार्य ने एएनआई को बताया जब वह अपने सामान के आने का इंतजार कर रहे थे.

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