जिनेवा : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और अमेरिकी तथा नाटो सैनिकों की वापसी के बाद अफगान नागरिकों की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र इस साल 60 करोड़ डॉलर से ज्यादा रकम जुटाने की कोशिश में लगा है. संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान की मदद के लिए आपात कोष जुटाने के संबंध में सोमवार को उच्च स्तरीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है.
ऐसी चिंताएं भी हैं कि अस्थिरता और मानवीय प्रयास बाधित होने से स्थिति और बिगड़ सकती है और अफगानिस्तान अकाल की ओर बढ़ सकता है. यह सम्मेलन तालिबान के साथ राजनयिक संबंध बनाए बिना पश्चिमी देशों को अफगान नागरिकों की मदद करने का अवसर भी प्रदान करेगा.
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि हालिया घटनाक्रम ने अफगान नागरिकों के समक्ष खतरे को और बढ़ा दिया है जो पहले ही कई दशकों से हिंसा और सूखे समेत कुछ अन्य चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र अपने भागीदारों के साथ 1.1 करोड़ अफगान लोगों की मदद के लिए 60.6 करोड़ डॉलर रकम जुटाना चाहता है. भीषण सूखे ने आगामी फसल की पैदावार को भी प्रभावित किया है और भुखमरी की समस्या भी बढ़ रही है. सोमवार को सम्मेलन में इकट्ठा रकम का बड़ा हिस्सा संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम को मिलेगा.
जिनेवा में सोमवार से शुरू हो रहे इस सम्मेलन के पहले संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फिलिपो ग्रांडी ने पिछले दिनों अचानक काबुल की यात्रा की थी. उन्होंने ट्वीट किया था कि वह मानवीय जरूरतों और 35 लाख विस्थापित अफगान नागरिकों के हालात का आकलन करेंगे. इसमें पांच लाख ऐसे लोगों की स्थिति को भी ध्यान रखा जाएगा जो इस साल विस्थापित हुए.
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शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) कार्यालय के अधिकारियों ने कहा है कि अफगानिस्तान के कुछ लोग पाकिस्तान और ईरान में शरण लेने का प्रयास कर सकते हैं जहां पहले से ही अफगानों की बड़ी आबादी है.
(पीटीआई-भाषा)