सुसान फाउंटेन (न्यूजीलैंड) : दुनियाभर में खबरों के क्षेत्र में महिलाएं पहले से कहीं ज्यादा दिखाई दे रही हैं, लेकिन वे अभी भी पुरुषों के साथ समानता हासिल करने से बहुत दूर हैं.
हाल ही में जारी ग्लोबल मीडिया मॉनिटरिंग प्रोजेक्ट (Global Media Monitoring Project) के अनुसार, प्रिंट, टीवी, रेडियो, इंटरनेट समाचार और ट्विटर पर पत्रकारों का 40% और समाचार स्रोतों का 25% हिस्सा महिलाओं के नाम रहा.
समाचार कर्मियों और स्रोतों दोनों ही रूप में महिलाओं के लिए यह एक रिकॉर्ड आंकड़ा था, लेकिन अभी भी समानता से काफी कम है. रिपोर्ट का अनुमान है कि समाचारों में लैंगिक अंतर को खत्म करने में 67 साल और लगेंगे.
1995 के बाद से छठे GMMP अध्ययन में मापी गई महिलाओं की सुस्त प्रगति को ऐसे में सही ठहराना मुश्किल नहीं है, जब संयुक्त राष्ट्र ने मीडिया प्रतिनिधित्व में लगातार लैंगिक असमानता की बात कही है, जो महिलाओं और लड़कियों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर हाशिए पर धकेलने में योगदान देता है.
GMMP समाचारों में लैंगिक स्वरूप का दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन है. नवीनतम परिणाम 29 सितंबर 2020 के 116 देशों के समाचार कवरेज पर आधारित हैं.
पांच साल में एक बार किए जाने वाले इस अध्ययन को एक सामान्य समाचार दिवस की झलक दिखाने के लिहाज से तैयार किया गया है. ताजा अध्ययन में 30,000 से अधिक समाचारों को शामिल किया गया, जिनमें से एक चौथाई कोविड-19 से संबंधित थीं.
ओटेरोआ न्यूजीलैंड का बेहतर प्रदर्शन
स्पष्ट रूप से, ओटेरोआ न्यूजीलैंड (Oteroa New Zealand) लिंग संतुलन पर वैश्विक औसत से बेहतर प्रदर्शन करता है. रिपोर्टरों और प्रस्तुतकर्ताओं के रिकॉर्ड अनुपात में महिलाएं (68%) थीं और समाचारों में स्रोतों (33%) के रूप में दिखाई दीं.
2020 के परिणाम 2010 और 2015 के मुकाबले बेहतर हैं, जब न्यूजीलैंड में इस संबंध में ज्यादा प्रगति नहीं हुई, जबकि कई अन्य देशों में महिलाओं की मीडिया दृश्यता में वृद्धि हुई.
हालांकि, न्यूज़ीलैंड और दुनिया भर में इस बात की संभावना अधिक है कि महिलाएं समाचारों में दिखने की बजाय उन्हें प्रस्तुत और रिपोर्ट करती दिखाई दें.
पिछले 25 वर्षों में मीडिया की गतिविधियों पर नजर रखने से पता चलता है कि न्यूजीलैंड ने उस समय अच्छा प्रदर्शन किया है, जब देश में महिला राजनीतिक नेता हैं और दैनिक समाचारों में राजनीतिक समाचारों का बोलबाला है. 2000 में, जब हेलेन क्लार्क प्रधानमंत्री थीं, न्यूजीलैंड ने महिला राजनीतिक समाचार स्रोतों के अनुपात में दुनिया का नेतृत्व किया, जिससे समस्त परिणामों को बल मिला.
2005 से 2015 तक, हालांकि, देश वैश्विक औसत से पिछड़ गया. लेकिन 2020 के परिणाम स्पष्ट रूप से दो मुख्य राजनीतिक दलों के नेताओं के रूप में महिलाओं की विशेषता वाले चुनाव अभियान के दौरान पड़ने वाले निगरानी दिवस को दर्शाते हैं.
अन्य सकारात्मक निष्कर्षों में, 2020 में अकादमिक विशेषज्ञ और कार्यकर्ता स्रोतों में महिलाओं का हिस्सा लगभग आधा रहा. न्यूजीलैंड के रोजगार पर केंद्रित अधिकांश आर्थिक समाचार महिलाओं द्वारा रिपोर्ट किए गए और इसमें महिलाओं के व्यक्तिगत अनुभव शामिल थे.
विश्वव्यापी महामारी के दौरान खराब स्वास्थ्य परिस्थितियों और असमान आर्थिक नतीजों के बीच, यह उत्साहजनक है - हालांकि सर्वेक्षण में सभी क्षेत्रों में प्राप्त परिणाम ऐसे नहीं है.
खेल रिपोर्टिंग में हिस्सेदारी कम
खेल समाचारों के क्षेत्र में महिलाओं की कम संख्या है जो न्यूजीलैंड में मीडिया समानता को प्रभावित करती है, महामारी के दौरान कम खेल होने के बावजूद इस ढर्रे में पहले के अध्ययनों के मुकाबले अधिक अंतर दिखाई नहीं देता है.
अध्ययन के लिए चुने गए निगरानी दिवस पर, केवल 17% खेल स्रोत महिलाएं थीं. न्यूजहब के शाम 6 बजे के बुलेटिन के खेल समाचारों में एक भी महिला प्रस्तुतकर्ता, रिपोर्टर या स्रोत शामिल नहीं था. क्रिकेट के ग्रीष्मकालीन कार्यक्रम की चैनल की घोषणा ने महिलाओं के खेल को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया.
इसके विपरीत, टीवीएनजेड के 1 न्यूज के लिए इसी समाचार को कवर करने वाले पुरुष रिपोर्टर ने अपनी न्यूज रिपोर्ट में महिलाओं के मैचों का विवरण शामिल किया और व्हाइट फर्न्स की कप्तान सोफी डिवाइन का इंटरव्यू भी लिया.
यह कोई विसंगति नहीं है. इसेंटिया और स्पोर्ट एनजेड के महिलाओं के मीडिया कवरेज के हालिया अध्ययन में इसी तरह के प्रतिरूप (ढांचे) का उल्लेख किया गया था.
बाइलाइन से अधिक प्रस्तुतकर्ता
टीवीएनजैड और स्काई की लगभग आधी बायलाइन महिलाओं के नाम थी, लेकिन उनके कवरेज का 15% से कम महिलाओं के बारे में था. जब प्रस्तुतकर्ताओं को नमूने से हटा दिया गया, तो स्काई की महिला बायलाइन का अनुपात घटकर 3.4% हो गया.
महिलाओं के खेल की रिपोर्टिंग के बारे में चिंतित पत्रकारों ने भी पुरुष बाईलाइन की व्यापकता और रिपोर्टिंग पदानुक्रम में पुरुष खेलों के प्रभुत्व को महसूस किया है.
कई मीडिया पर्यवेक्षकों का कहना है कि पत्रकारिता में काम करने वाली महिलाएं आने वाले समय में अपने समाचार संग्रहण में महिलाओं और लिंग संबंधी मुद्दों को ज्यादा जगह देंगी और अध्ययन के न्यूजीलैंड के निष्कर्ष इस दिशा में आशा की एक किरण दिखाते हैं.
(भाषा)