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अफगानिस्तान से ऐसे मुंह नहीं मोड़ सकता अमेरिका : चीन

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Published : Aug 23, 2021, 10:10 PM IST

अफगानिस्तान तालिबान संकट पर चीन
अफगानिस्तान तालिबान संकट पर चीन

अफगानिस्तान को लेकर चीन ने एक बार फिर अमेरिका की कटु आलोचना करते हुए कहा कि वह युद्ध से जर्जर देश से इस तरह यूंही मुंह नहीं मोड़ सकता है.

बीजिंग : चीन ने अफगानिस्तान-तालिबान संकट के बीच अमेरिका के रवैये पर हमला बोला है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, 'अमेरिका इस सबकी जड़ है और अफगानिस्तान मामले में सबसे बड़ा बाहरी कारक है.' उन्होंने कहा, 'वह ऐसे (अपनी जिम्मेदारियों से) नहीं भाग सकता.' उन्होंने अमेरिका से स्थिरता बनाए रखने, अफरा-तफरी मचने से रोकने और अफगानिस्तान के पुन:निर्माण में मदद करने को कहा.

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'मैं आशा करता हूं कि अमेरिका अपनी कथनी और करनी में फर्क नहीं करेगा, अफगानिस्तान पर अपनी जिम्मेदारी समझेगा और विकास, पुन:निर्माण तथा मानवीय सहायता के संदर्भ में अफगानिस्तान के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को निभाएगा.'

चीन ने युद्ध प्रभावित देश के पुन:निर्माण के लिए तालिबान सहित सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जतायी है.

बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से वहां अफरा-तफरी का माहौल है. अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan Taliban Crisis) के बीच एक अहम घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 17 अगस्त को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक की.

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प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर हुई इस अहम बैठक के बाद अधिकारियों को यह निर्देश दिए. इसी बीच सूत्रों ने कहा है कि भारत इंतजार करेगा और देखेगा कि सरकार का गठन कितना समावेशी होगा और तालिबान कैसे आचरण करेगा. सूत्रों के मुताबिक तालिबान ने कश्मीर पर भी अपना रुख स्पष्ट किया है. इसके मुताबिक तालिबान कश्मीर को एक द्विपक्षीय, आंतरिक मुद्दा मानता है. पीएम ने कहा कि हिंदुओं और सिखों को देंगे शरण.

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इसके बाद काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफगानिस्तान से भारत पहुंचा था. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सभी भारतीयों की अफगानिस्तान से सकुशल वापसी को लेकर प्रतिबद्ध है और काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानों की बहाली होते ही वहां फंसे अन्य भारतीयों को स्वदेश लाने का प्रबंध किया जाएगा.

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काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने लचीला रुख अपनाते हुए पूरे अफगानिस्तान में 'आम माफी' की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया. इसके साथ ही तालिबान ने लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश है, जो एक दिन पहले उसके शासन से बचने के लिए काबुल छोड़कर भागने की कोशिश करते दिखे थे और जिसकी वजह से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने के बाद कई लोग मारे गए थे.

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गौरतलब है कि भारत ने 2001 के बाद से अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण में करीब 3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. संसद भवन, सलमा बांध और जरांज-देलाराम हाईवे प्रोजेक्ट में भारी निवेश किया है. इनके अलावा भारत-ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास का काम कर रहा है. भारत को ईरान के रणनीतिक चाबहार के शाहिद बेहेश्टी क्षेत्र में पांच बर्थ के साथ दो टर्मिनल का निर्माण करना था, जो एक पारगमन गलियारे का हिस्सा होता. यह भारतीय व्यापार की पहुंच को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुंच प्रदान करता. इस परियोजना में दो टर्मिनल, 600-मीटर कार्गो टर्मिनल और 640-मीटर कंटेनर टर्मिनल शामिल थे. इसके अलावा 628 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण होना था, जो चाबहार को अफगानिस्तान सीमावर्ती शहर जाहेदान से जोड़ती. जानकारों का मानना है कि भारत ने चीन के चाबहार के जवाब में ग्वादर प्रोजेक्ट में निवेश किया था. अब तालिबान के राज में इसके पूरा होने पर संशय है.

(पीटीआई-भाषा)

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