जकार्ता: इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता डूब रही है. जकार्ता दुनिया की सबसे तेजी से डूबने वाले शहरों में से है. यहां लोगों की आबादी का बोझ बढ़ रहा है. जिसके चलते यहां भूजल का उपयोग अत्यधिक मात्रा में हो रहा है. इस कारण से यहां जलवायु परिवर्तन हो रहा है. इससे समुद्र के जलस्तर में वृद्धि हो रही है और यहां की भूमि भी तेजी से घट रही है.
बता दें, जकार्ता शहर में 10 मिलियन से अधिक लोग रहते है.
जलवायु परिवर्तन पर बनी संयुक्त राष्ट्र की संस्था आईपीसीसी (IPCC) द्वारा आने वाली एक रिपोर्ट में जाकार्ता शहर पर चर्चा की गई है.
बता दें कि इस पैनल के द्वारा जलवायु परिवर्तनों से संबंधित अनुकूल तरीके खोजेने का प्रयास किया जाता है.
गौरतलब है कि उत्तरी जकार्ता में समुद्र के बढ़ते हुए जल स्तर को बढ़ते हुए देखा जा सकता है.
विश्व आर्थिक मंच के मुताबिक, उत्तरी जकार्ता पिछले दस वर्षों में, 2.5 मीटर ( 8 फीट) तक डूब गयी है और दलदली जमीन साल में औसतन 10 सेंटीमीटर (4 इंच) डूब रही है.
जकार्ता एक एशियाई मेगा-शहर है, जिसमें दस मिलियन से अधिक लोग रहते है. यहां भूकंप और बाढ़ का खतरा बराबर रहता है और भूजल को अनियंत्रित तरीके से निकाले जाने की वजह से यह तेजी से डूब रहा है. भूजल और यहां की नदियां अत्यधिक प्रदूषित हैं.
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इस पर विशेषज्ञों की टीम ने रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के आधार पर जाकार्ता शहर का एक तिहाई हिस्सा 2050 तक डूब जाएगा. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो इस रिपोर्ट को गलत बता रहे हैं.
इससे निपटने के लिए इंडोनेशिया सरकार ने प्रोजेक्ट शुरू करने वाली है. यह प्रोजेक्ट तीन चरणों में पूरा किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट की लागत 42 बिलियन डालर है.
इस प्रोजेक्ट के द्वारा समु्द्री किनारे 30 किलोमीटर तटीय बांधों को मजबूत किया जाएगा. इसके बाद 17 कृत्रिम द्वीप बनाए जाएंगे. इसके साथ ही शहर के पश्चिमी और पूर्वी किनारों पर विशाल समुद्री दीवारें बनाई जाएंगी.