संयुक्त राष्ट्र : प्रस्ताव को 193 सदस्यीय विश्व निकाय ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी है, इसमें एक ऐसे मंच की मांग की गई है जो ' अफ्रीकी मूल के लोगों की सुरक्षा और उनके जीवन की गुणवत्ता तथा आजीविका में सुधार के लिए काम करे और जिस समाज में वे रहते हैं उसमें उनका पूर्ण समावेश सुनिश्चित करें.
इस फोरम की स्थापना 'इंटरनेशनल डेकेड फॉर पीपुल ऑफ अफ्रीकन डिसेंट' के दौरान की गई. इसकी शुरुआत एक जनवरी 2015 को हुई थी और यह 31 दिसम्बर 2024 तक अस्तित्व में रहेगा. यह मान्यता, न्याय और विकास के विषयों पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है.
महासभा द्वारा सोमवार को स्वीकृत प्रस्ताव में कहा गया है कि नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, विदेशियों से नफरत और असहिष्णुता से निपटने के प्रयासों के बावजूद ये व्यापक रूप से जारी हैं और इसकी निंदा की जानी चाहिए.
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महासभा ने कहा, 'सभी मनुष्य स्वतंत्र हैं, उनके अधिकार तथा गरिमा समान है और उनमें समाज के विकास तथा कल्याण में रचनात्मक योगदान देने की क्षमता है. नस्लीय श्रेष्ठता का कोई भी सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत, नैतिक रूप से निंदनीय, सामाजिक रूप से अन्यायपूर्ण तथा खतरनाक है और इन्हें खारिज किया जाना चाहिए.'