9/11 : आतंकवाद के हमले से अमेरिका का सीना हुआ छलनी

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Published : Sep 11, 2020, 8:27 AM IST

Updated : Sep 11, 2020, 10:09 AM IST

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दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका 2001 में लगातार चार हमलों से दहल उठा था. हमलों से पता चला कि अमेरिकी सुरक्षा कितनी नाजुक थी, लेकिन इसने पूरे देश को एक भयानक सबक सिखाया और ऐसी घटनाएं फिर कभी न दोहराने को लेकर सुरक्षा भी सुनिश्चित की.

हैदराबाद : 11 सितंबर का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है. दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के सीने पर इस दिन हुए घातक आतंकी हमले ने एक ऐसा जख्म दिया, जिसकी टीस रहती दुनिया तक कायम रहेगी.

19 साल पहले आज का दिन अमेरिकियों में विनाश लेकर आया और इस दिन ने आतंकवाद का असली चेहरा दिखाया. तबाही के उस हमले में लगभग 3,000 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिसने पेंटागनवासियों को गहरे सदमे में डाल दिया.

वेस्ट कोस्ट जा रहे चार अमेरिकी विमानों को 19 लोगों द्वारा हाईजैक कर लिया गया. बता दें कि 2001 को 11 सितंबर के दिन आतंकवादियों ने यात्री विमानों को मिसाइल की तरह इस्तेमाल करते हुए अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध वर्ल्ड ट्रेड टॉवर और पेंटागन को निशाना बनाया. इसे अमेरिका के इतिहास के सबसे बड़े आतंकी हमले के तौर पर देखा जाता है.

इस घटना ने अमेरिकी सुरक्षा प्रणालियों की कमी को उजागर किया.

आज ही के दिन अल-कायदा के आतंकियों ने चार पैसेंजर एयरक्राफ्ट में से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से टकरा दिया था. इस घटना में विमानों पर सवार सारे लोग और इमारत में काम करने वाले हजारों लोग मारे गए.

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वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में सबसे ज्यादा मौतें हुईं, जहां 2,753 लोग मारे गए. अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट 11 और यूनाइटेड एयरलाइंस की फ्लाइट 175 बुरी तरह ध्वस्त हो गईं.

दुर्घटना में सिर्फ छह लोग बचे, जबकि 10,000 लोग घायल हो गए. इसके अलावा हाईजैक अमेरिकन एयरालाइंस की फ्लाइट 77 के दुर्घटनाग्रस्त होने से 184 लोग मारे गए.

यूनाइटेड एयरलाइंस की फ्लाइट 93 में सवार 40 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की शैंक्सविले के पास विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से मौत हो गई थी.

विशेषज्ञ मानते हैं कि यात्रियों और चालक दल के फ्लाइट डेक पर नियंत्रण के प्रयास के बाद, अपहर्ताओं ने अपने लक्ष्य के बजाय विमान को उस स्थान पर दुर्घटनाग्रस्त कर दिया.

अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन ने अमरिका की सुरक्षा पर एक प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया. हमलों के तुरंत बाद अमेरिका ने आतंकियों के आकाओं को पकड़ने की काफी कोशिशें कीं. अफगानिस्तान में भी अमेरिकी सेना मौजूद थी, जिस वजह से यह लड़ाई बहुत लंबी हो गई.

हमले के बाद अमेरिका ने लादेन को शक्ति देने वाले तालिबान को कुछ हद तक खत्म तो कर दिया, लेकिन अल-कायदा के प्रमुख लादेन को खत्म करने में 10 साल लग गए. फिर भी अफगानिस्तान में यह लड़ाई जारी रही.

हालांकि, अमेरिकी सेना अभी भी अफगानिस्तान में है लेकिन अमेरिका ने तालिबान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि देश से उसके सैनिकों के वापस आने का मार्ग प्रशस्त हो सके.

इस साल, जब कोरोना महामारी ने काफी कुछ बदलकर रख दिया है, फिर भी 9/11 हमले की यादें नहीं बदल सकीं.

Last Updated :Sep 11, 2020, 10:09 AM IST
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