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अमेरिका का गांधी, जो भेदभाव से लड़कर बने अश्वेतों की आवाज

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Published : Jan 18, 2021, 8:34 AM IST

मार्टिन लूथर किंग जूनियर डे जनवरी में तीसरे सोमवार को मनाया जाता है, मार्टिन लूथर किंग डे एक राष्ट्रीय अवकाश है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे प्रसिद्ध नागरिक-अधिकार कार्यकर्ता का सम्मान करता है. पढ़ें अमेरिका में सामाजिक अधिकारों को लेकर किए गए संघर्ष के लिए पहचाने जाने वाले किंग जूनियर से जुड़ी खास जानकारियां...

Martin Luther King Jr
मार्टिन लूथर किंग जूनियर

हैदराबाद : मार्टिन लूथर किंग को भला कौन नहीं जानता. आज भी कई लोग उनसे प्रभावित हैं, लेकिन वो खुद भारत के अंहिसा के पुजारी महात्‍मा गांधी से प्रभावित थे. उनसे ही प्रेरणा लेकर मार्टिन ने अमेरिका में नस्‍लभेद के खिलाफ अपना आंदोलन चलाया था. उनका यह अहिंसात्मक विरोध प्रदर्शन मॉन्टगोमेरी बस बायकॉट के नाम से भी जाना जाता है. इसकी बदौलत वो पूरी दुनिया में मशहूर हो गए थे. इसकी एक बड़ी वजह ये भी थी कि ये अमेरिका का पहला बड़ा जनआंदोलन था.

इसी आंदोलन की वजह से उन्‍हें 1965 में अमेरिकी समाज में रंगभेद के विरुद्ध अहिंसात्मक आंदोलन चलाने के लिए पुरस्कृत किया गया था. वो दुनिया के सबसे कम उम्र में ही नोबेल पुरस्‍कार पाने वाले पहले व्‍यक्ति हैं. उन्‍होंने इस पुरस्कार के तहत मिली राशि को नागरिक अधिकार आंदोलनों को दे दिया था. उन्‍हें अमेरिका का गांधी भी कहा जाता है.

Martin Luther King Jr
अमेरिका में नस्‍लभेद के खिलाफ चलाया आंदोलन

मार्टिन लूथर किंग जूनियर कौन थे?
नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित मार्टिन लूथर किंग जूनियर (Martin Luther King Jr.) को अमेरिका में सामाजिक अधिकारों को लेकर किए गए संघर्ष के लिए पहचाना जाता है. अमेरिका में सामाजिक अधिकारों के संघर्ष के कारण 1950 और 60 के दशक में मार्टिन बेहद पसंद किए जाते थे. अहिंसक विरोध में उनके दृढ़ विश्वास ने आंदोलन के स्वर को स्थापित करने में मदद की. मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अमेरिका में रंगभेद और वर्गभेद के खिलाफ लंबा संघर्ष किया था. आज भी उनकी गिनती दुनिया के बड़े नेताओं में होती है.

Martin Luther King Jr
मॉन्‍टगोमरी बसों का बहिष्‍कार

मार्टिन लूथर का किंग जूनियर का प्रारंभिक जीवन
अमेरिका के गांधी डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर का जन्म सन्‌ 1929 में अटलांटा (जॉर्जिया) अमेरिका में हुआ था. डॉ. किंग ने संयुक्त राज्य अमेरिका में नीग्रो समुदाय के प्रति होने वाले भेदभाव के विरुद्ध सफल अहिंसात्मक आंदोलन का संचालन किया. सन्‌ 1955 का वर्ष उनके जीवन का निर्णायक मोड़ था. इसी वर्ष कोरेटा से उनका विवाह हुआ, उनको अमेरिका के दक्षिणी प्रांत अल्बामा के मांटगोमरी शहर में डेक्सटर एवेन्यू बॅपटिस्ट चर्च में प्रवचन देने बुलाया गया और इसी वर्ष मॉटगोमरी की सार्वजनिक बसों में काले-गोरे के भेद के विरुद्ध एक महिला रोज पार्क्स ने गिरफ्तारी दी. इसके बाद ही डॉ. किंग ने प्रसिद्ध बस आंदोलन चलाया.

1968 में गोली मारकर हत्या
संयुक्त राज्य अमेरिका में 1968 के मध्य उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. अमेरिका में सिविल राइट्स के लिए एक बड़ा आंदोलन खड़ा हुआ. इसके सबसे बड़े हीरो थे मार्टिन लूथर किंग जूनियर. 1963 में अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय के लिए हकों की मांग के साथ वॉशिंगटन सिविल राइट्स मार्च बुलाया गया. मार्च के दौरान 1963 को उन्होंने अब्राहम लिंकन मेमोरियल की सीढ़ियों पर खड़े होकर एक भाषण दिया था, (मेरा एक सपना है) नाम से. इस भाषण को अमेरीकी सिविल राइट्स आंदोलन के सबसे खास लम्हों में गिना जाता है. उन्हें 1964 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

Martin Luther King Jr
1964 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित

मार्टिन लूथर किंग ने नागरिक अधिकार आंदोलन के लिए क्या किया?
मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने दौड़ की परवाह किए बिना अमेरिका में अधिक से अधिक समानता लाने और सभी लोगों के लिए नागरिक अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की. विशेष रूप से, उन्होंने अहिंसक विरोध के महत्व पर जोर देते हुए प्रमुख नागरिक अधिकार गतिविधियों के लिए प्रचार किया.

किंग जूनियर योगदान और समझौते
नागरिक अधिकारों के आंदोलन की प्रगति के लिए मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने क्या नहीं किया. वह आशा के एक स्तंभ और अनुग्रह के एक मॉडल के रूप में खड़े रहे और उन्होंने अफ्रीकी अमेरिकी नागरिक अधिकारों के आंदोलन के लिए नेतृत्व भी किया.

Martin Luther King Jr
वॉशिंगटन सिविल राइट्स मार्च बुलाया

नोबेल शांति पुरस्कार से भी नवाजे गये लूथर
1964 में डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग जूनियर को केवल 35 साल की उम्र में अमेरिकी समाज में रंगभेद के विरुद्ध अहिंसात्मक आंदोलन चलाने के लिए पुरस्कृत किया गया. अमेरिका के जॉर्जिया प्रांत में जन्मे किंग नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बने. मार्टिन लूथर किंग जूनियर का जन्म 1929 में जॉर्जिया की राजधानी अटलांटा में हुआ था. किंग ने धर्मशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री ली.

नागरिक अधिकार आंदोलन का पहला बड़ा विरोध प्रदर्शन
1955 में उन्होंने नागरिक अधिकार आंदोलन का पहला बड़ा विरोध प्रदर्शन किया. महात्मा गांधी से प्रभावित उनका यह अहिंसात्मक विरोध प्रदर्शन मॉन्टगोमेरी बस बायकॉट के नाम से भी जाना जाता है. किंग ने रंगभेद के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन की वकालत की. उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को भी कुछ जगहों पर हिंसा का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद किंग और उनके समर्थक डटे रहे और उनका आंदोलन और शक्तिशाली होता रहा.

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मार्टिन लूथर किंग जूनियर उपलब्धियां

मार्टिन लूथर किंग जूनियर उपलब्धियां

  • सन्‌ 1959 में उन्होंने भारत की यात्रा की. डॉ. किंग ने अखबारों में कई आलेख लिखे. 'स्ट्राइड टुवर्ड फ्रीडम' (1958) और 'व्हाय वी कैन नॉट वेट' (1964) उनकी लिखी दो पुस्तकें हैं. सन्‌ 1957 में उन्होंने साउथ क्रिश्चियन लीडरशिप कॉन्फ्रेंस की स्थापना की. डॉ. किंग की प्रिय उक्ति थी- हम वह नहीं हैं, जो हमें होना चाहिए और हम वह नहीं हैं, जो होने वाले हैं, लेकिन खुदा का शुक्र है कि हम वह भी नहीं हैं, जो हम थे. चार अप्रैल 1968 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई.
  • सन्‌ 1955 का वर्ष उनके जीवन का निर्णायक मोड़ था. इसी वर्ष कोरेटा से उनका विवाह हुआ, उनको अमेरिका के दक्षिणी प्रांत अल्बामा के मांटगोमरी शहर में डेक्सटर एवेन्यू बॅपटिस्ट चर्च में प्रवचन देने बुलाया गया और इसी वर्ष मॉटगोमरी की सार्वजनिक बसों में काले-गोरे के भेद के विरुद्ध एक महिला रोज पार्क्स ने गिरफ्तारी दी. इसके बाद ही डॉ. किंग ने प्रसिद्ध बस आंदोलन चलाया.
  • अगस्त 1963 को उन्होंने अब्राहम लिंकन मेमोरियल की सीढ़ियों पर खड़े होकर एक भाषण दिया था. 1964 में वो सबसे छोटी उम्र में नोबेल प्राइज जीतने वाले इंसान भी बने. किंग का ये यादगार भाषण पहली बार 1983 में द वॉशिंगटन पोस्ट में छपा था.

मॉन्‍टगोमरी बसों का बहिष्‍कार
1955 में अलाबामा के मॉन्‍टगोमरी में किंग ने सिटी बसों के खिलाफ एक बहिष्कार का नेतृत्व किया. अमेरिका के अलाबामा राज्य के मॉन्‍टगोमरी शहर की बसों में श्वेत और अश्वेत लोगों के लिए अलग-अलग सीटें होती थीं. एक अश्वेत महिला रोजा पार्क्स ने एक दिन एक श्वेत व्यक्ति को उनके लिए आरक्षित सीट छोड़ने से इनकार कर दिया. रोजा पार्क्स को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद अश्वेतों ने अमेरिका के बस परिवहन का बहिष्कार कर दिया.

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अमेरिका का पहला बड़ा जनआंदोलन

अश्‍वेत लोगों ने 381 दिन तक किया था बसों का बहिष्‍कार
अमेरिका के लोगों ने महात्मा गांधी के असहयोग और सत्याग्रह जैसे विचारों से प्रेरणा ले‍कर 381 दिनों तक बहिष्कार किया. मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी. इस आंदोलन के बाद अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग सीटों की इस व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित कर दिया था.

दक्षिणी ईसाई नेतृत्व सम्मेलन
1950 के दशक के उत्तरार्ध में लूथर किंग ने दुनिया को नागरिक अधिकारों के अपने शांतिपूर्ण संदेश प्रदान करने के लिए दक्षिणी ईसाई नेतृत्व सम्मेलन की स्थापना की. शांति, अहिंसा और समानता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के कारण, किंग के नागरिक अधिकारों के विरोध ने अमेरिकी समाज में वास्तविक प्रभाव डाला. बिना किसी सवाल के मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अपनी सुविचारित शान के साथ इस आंदोलन को आगे बढ़ाया.

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नोबेल शांति पुरस्कार से भी नवाजे गये लूथर

अहिंसक सामाजिक परिवर्तन
यहां तक ​​कि जब उनके उत्पीड़कों ने बल और क्रूरता का प्रयोग किया, तब भी लूथर किंग अहिंसा पर अड़े रहे. 30 जनवरी, 1956 को लूथर किंग के घर पर भी बमबारी की गई. उन्होंने और उनके सदस्यों ने इन हिंसक भेदभाव के विरोध में प्रार्थना की.

वॉशिंगटन डीसी में नागरिक अधिकार आंदोलन
1963 में नागरिक अधिकार आंदोलन के चलते वॉशिंगटन, डीसी में समान अधिकारों के लिए एक विशाल मार्च का आयोजन किया, जिसमें 200,000 से अधिक अनुयायियों की भारी भीड़ देखने को मिली, मार्च ने स्कूलों में नस्लीय भेदभाव और कार्यबल का विरोध किया. उन्होंने सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन की मांग की. यह वॉशिंगटन, डीसी के इतिहास का सबसे बड़ा सम्मेलन था.

Martin Luther King Jr
नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित मार्टिन लूथर किंग जूनियर

मई से अगस्त 1963 के बीच 200 शहरों में 1,350 से ज्‍यादा प्रदर्शन हुए. कई जगह नस्ली होने लगा था. हालांकि, कई जगह कोई तनाव नहीं था. किंग ने अपना ऐतिहासिक भाषण लिकंन स्मारक की सीढ़ियों पर दिया था. इस भाषण और मार्च के बाद किंग उसी साल टाइम्स पर्सन ऑफ द इयर बने. वह 1964 में सबसे छोटी उम्र में नोबेल पुरस्‍कार जीतने वाले इंसान भी बने.

अफ्रीकी अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन
किंग का नागरिक अधिकार आंदोलन करीबन 1955 से 1968 तक चला. इसका लक्ष्य सार्वजनिक परिवहन, रोजगार, मतदान और शिक्षा सहित कई क्षेत्रों में नस्लीय भेदभाव को समाप्त करना था. इस दौरान अहिंसक विरोध और सविनय अवज्ञा ने कई संकट पैदा किए, जिससे सरकार को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

नागरिक अधिकार अधिनियम 1964 : इसमें जाति, रंग, धर्म या राष्ट्रीय मूल के आधार पर रोजगार और सार्वजनिक आवास में भेदभाव पर प्रतिबंध लगा दिया.

मतदान का अधिकार अधिनियम 1965 : इस अधिनियम ने मतदान के अधिकार को बहाल और संरक्षित किया.

1965 का राष्ट्रीयता सेवा अधिनियम : यह पारंपरिक यूरोपीय देशों के लोगों के अलावा अन्य समूहों से आप्रवासन की अनुमति देता है.

फेयर हाउसिंग एक्ट 1968 : इसमें बिक्री या किराये दोनों में आवास भेदभाव को प्रतिबंधित कर दिया गया.

मार्टिन लूथर किंग जूनियर की मृत्यु
चार अप्रैल, 1968 की शाम को मार्टिन लूथर किंग जूनियर टेनेसी के मेम्फिस के लोरेन मोटल में अपनी दूसरी बालकनी पर खड़े थे. वह मेम्फिस सैनिटेशन वर्कर्स की हड़ताल का समर्थन करने के लिए वहां गये हुये थे. उस शाम उन्हें गोली मारी गई, जिसके बाद महज 39 की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई.

Martin Luther King Jr
भेदभाव से लड़कर बने थे अश्वेतों की आवाज

सोमवार, 18 जनवरी को मार्टिन लूथर किंग के जन्मदिन के सम्मान में सार्वजनिक अवकाश की 35वीं वर्षगांठ है. 1983 में कानून में हस्ताक्षरित और पहली बार 1986 में मनाया गया. मार्टिन लूथर किंग दिवस को अमेरिकी सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है और प्रत्येक जनवरी के तीसरे सोमवार को विश्व स्तर पर इस दिवस को मनाया जाता है.

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