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तालिबान का बिना नाम लिए ही UNSC में विदेश मंत्री ने दी नसीहत, आतंकवाद से समझौता न करे दुनिया

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Published : Aug 19, 2021, 8:47 PM IST

Updated : Aug 19, 2021, 11:04 PM IST

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विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने आज आतंकवादी कृत्यों द्वारा अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) की उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित किया. जयशंकर ने कहा कि दुनिया को आतंकवाद की बुराई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए.

न्यूयॉर्क / नई दिल्ली : अफगान-तालिबान संकट पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है कि दुनिया में तालिबान से बड़े संकट मौजूद हैं. चीन ने भी तालिबान को लेकर कहा है कि तालिबान पहले से ज्यादा 'स्पष्टवादी एवं विवेकशील' हो गया है. इसी बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) में अहम बयान दिया है. यूएनएससी में विदेश मंत्री एस जयशंकर (Jaishankar at UNSC) ने स्पष्ट संदेश दिया और कहा कि दुनिया को आतंकवाद की बुराई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए.

जयशंकर ने कहा कि भारत, आतंकवाद से संबंधित चुनौतियों और क्षति से अत्याधिक प्रभावित रहा है. उन्होंने कहा कि भारत मानता है कि आतंकवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

UNSC में बोलते विदेश मंत्री

बकौल जयशंकर, आतंकवाद के सभी रूपों, अभिव्यक्तियों की निंदा की जानी चाहिए, इसे किसी भी तरह न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता.उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो आतंकवाद से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर करते हैं, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.

जयशंकर ने कहा कि आईएसआईएस का वित्तीय संसाधन जुटाना और अधिक मजबूत हुआ है, हत्याओं का इनाम अब बिटकॉइन के रूप में भी दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि व्यवस्थित ऑनलाइन प्रचार अभियानों के जरिए कमजोर युवाओं को कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल करना गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है.

अपनी राष्ट्रीय क्षमता पर बोलते हुए, जयशंकर ने इस साल जनवरी में परिषद में की गई अपनी टिप्पणियों की ओर इशारा किया, जब उन्होंने आतंकवाद के संकट को सामूहिक रूप से समाप्त करने के उद्देश्य से आठ-सूत्रीय कार्य योजना का प्रस्ताव दिया था.

उन्होंने कहा कि आतंकवाद को न्यायोचित न ठहराएं, आतंकवादियों का महिमामंडन न करें, कोई दोहरा मापदंड नहीं अपनाएं. आतंकवादी आतंकवादी हैं. भेद केवल हमारे अपने जोखिम पर किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि बिना किसी कारण के लिस्टिंग अनुरोधों को ब्लॉक और होल्ड न करें.

चीन को लेकर उन्होंने कहा कि यूएनएससी का एक स्थायी सदस्य, बार-बार भारत और अन्य देशों द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद मसूद अजहर के प्रमुख को नामित करने के लिए तकनीकी रोक लगा रहा था.

जयशंकर ने बहिष्कारवादी सोच को हतोत्साहित करने का भी आह्वान किया और सदस्य देशों से नई शब्दावली और झूठी प्राथमिकताओं से सावधान रहने का आग्रह किया.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सूचीबद्ध और असूचीबद्ध करना निष्पक्ष रूप से किया जाना चाहिए, न कि राजनीतिक या धार्मिक कारणों से.

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी संगठित अपराध से जुड़ाव को पहचानना चाहिए, FATF को समर्थन और मजबूती देनी चाहिए, और आतंकवाद विरोधी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय को अधिक से अधिक धन उपलब्ध कराना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'मैं इस परिषद से इन सिद्धांतों पर सामूहिक रूप से निर्माण करने का आह्वान करता हूं. इसलिए यह भी महत्वपूर्ण है कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक सम्मेलन को अपनाने से रोकने वाले गतिरोध को समाप्त किया जाए, जिसका भारत इतने लंबे समय से समर्थन कर रहा है.'

यह कहते हुए कि आतंकवाद के किसी भी कृत्य के लिए कोई अपवाद या औचित्य नहीं हो सकता है, इस तरह के कृत्यों के पीछे प्रेरणा की परवाह किए बिना, हम यह भी मानते हैं कि आतंकवाद का खतरा किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से जुड़ा नहीं होना चाहिए.

हालांकि, आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कानूनी, सुरक्षा, वित्तपोषण और अन्य ढांचे को मजबूत करने के लिए की गई प्रगति के बावजूद, आतंकवादी लगातार आतंक के कृत्यों को प्रेरित करने, संसाधन और क्रियान्वित करने के नए तरीके ढूंढ रहे हैं, दुर्भाग्य से, कुछ देश ऐसे भी हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहती हैं.

इससे पहले पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने अफगान-तालिबान संकट को लेकर कहा कि तालिबान के साथ अपने संबंधों पर भारत को खुले दिमाग से सोचना चाहिए. यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने सुझाव दिया कि काबुल में अपना दूतावास खोलना चाहिए और राजदूत को वापस भेजना चाहिए.

पूर्व विदेश मंत्री का बयान
अफगान-तालिबान मुद्दे पर भारत के पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में एक जिम्मेदार सरकार की तरह काम करता है तो फिर भारत को उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना चाहिए.

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संप्रग की पहली सरकार में विदेश मंत्री और अतीत में पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे 92 वर्षीय सिंह का कहना है कि फिलहाल भारत को 'प्रतीक्षा करने और नजर रखने' की रणनीति पर अमल करना चाहिए, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दिनों अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाला तालिबान 20 साल पहले के तालिबान के मुकाबले बेहतर दिखाई देता है.

इससे पहले बुधवार को एक अहम घटनाक्रम में यह बात सामने आई थी कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी गिरफ्तार (Ashraf Ghani Arrest) किए जा सकते हैं. रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी (Defense Minister Bismillah Khan Mohammadi) ने बुधवार को गनी को गिरफ्तार करने के लिए इंटरपोल (Interpol arrest ghani) से अपील की है. अफगान रक्षा मंत्री मोहम्मदी (Afghan Defence Minister Mohammadi) ने बुधवार को इंटरपोल से कहा कि गनी को 'मातृभूमि को बेचने' (selling out the motherland) और अफगानिस्तान से भागने के आरोप में गिरफ्तार किया जाए.

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अफगान रक्षा मंत्री मोहम्मदी ने ट्विटर पर अशरफ गनी की गिरफ्तारी (Ashraf Ghani Arresting) का जिक्र करते हुए हैशटैग #InterpolArrestGhani भी लिखा.

अफगान रक्षा मंत्री ने लिखा कि अपनी मातृभूमि का व्यापार करने और बेचने वालों को दंडित किया जाना चाहिए और गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

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बता दें कि अफगानिस्तान-तालिबान संकट के बीच भारत में पीएम मोदी ने कल एक उच्चस्तरीय बैठक की थी. अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan Taliban Crisis) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक की थी. प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर हुई इस अहम बैठक के बाद अधिकारियों को यह निर्देश दिए.

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इसी बीच सूत्रों ने कहा है कि भारत इंतजार करेगा और देखेगा कि सरकार का गठन कितना समावेशी होगा और तालिबान कैसे आचरण करेगा. सूत्रों के मुताबिक तालिबान ने कश्मीर पर भी अपना रुख स्पष्ट किया है. इसके मुताबिक तालिबान कश्मीर को एक द्विपक्षीय, आंतरिक मुद्दा मानता है. पीएम ने कहा कि हिंदुओं और सिखों को देंगे शरण.

Last Updated :Aug 19, 2021, 11:04 PM IST
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