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नोएडा में जामताड़ा गिरोह के दो शातिर गिरफ्तार

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Published : Apr 24, 2022, 6:39 PM IST

नोएडा साइबर क्राइम थाना पुलिस ने जामताड़ा गिरोह के दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है. ये लोग इंटरनेट पर फर्जी कस्टमर केयर नंबर डालकर और उसके बाद कस्टमर केयर अधिकारी बनकर लोगों को मदद का झांसा देकर उनसे लाखों रुपये की ठगी कर लेते थे.

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नोएडा में ठग गिरफ्तार

नई दिल्ली/नोएडा : नोएडा पुलिस ने ऑनलाइन रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस मामले में पुलिस ने जामताड़ा के साइबर ठगों से कथित रूप से जुड़े दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. उसके पास से पुलिस ने विभिन्न बैंकों के डेबिट कार्ड और मोबाइल फोन बरामद किया है. इनके द्वारा अब तक सैकड़ों लोगों को ठगी का शिकार बनाया गया है. पकड़े गए आरोपियों द्वारा लोगों को बैंकिंग सुविधा देने के नाम पर ठगी करते हैं. दोनों आरोपियों को साइबर क्राइम थाना पुलिस द्वारा मेरठ से गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मोहम्मद रियाज और अहमद के रूप में हुई है. ये यूपी के मेरठ के रहने वाले हैं.

नोएडा सेक्टर-36 स्थित साइबर क्राइम थाने में 28 जनवरी 2022 को गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी स्टीफन थॉमस ने एक तहरीर दी थी. इसमें कहा गया कि मेरी बेटी ने इंटरनेट से अपने बैंक में नेट बैंकिंग एक्टिवेट कराने के लिए कस्टमर केयर नंबर लिया था. खुद को संबंधित बैंक का अधिकारी बताकर जालसाजों ने युवती के फोन में क्विक सपोर्ट ऐप डाउनलोड करा कर 5 लाख 97 हजार रुपये निकाल लिए थे. इस मामले में साइबर क्राइम थाना पुलिस आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू की.

जामताड़ा गिरोह के दो शातिर गिरफ्तार

साइबर क्राइम थाना पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि पीड़ित से ठगी करने वाले मेरठ के हैं. जो गूगल पर बैंक कस्टमर केयर टोल फ्री नंबर अपलोड करके लोगों के साथ ठगी करते हैं. यह गैंग झारखंड के जामताड़ा से संबंधित है. पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर दोनों आरोपियों को मेरठ से गिरफ्तार कर लिया. उसके पास से 10 डेबिट कार्ड विभिन्न बैंकों के तथा तीन मोबाइल फोन बरामद किया गया है.

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नोएडा के सेक्टर 36 स्थित साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक रीता यादव ने बताया कि दोनों ही आरोपियों से पूछताछ पर प्रकाश में आया कि अभियुक्त का साइबर अपराधियों का एक संगठित गैंग है, जो गूगल पर बैंकिंग हेल्पलाइन से संबंधित फर्जी टोल फ्री डालता है. इस पर कॉल करने वाले लोगों को बैंकिंग सहायता देने के नाम पर क्विक सपोर्ट ऐप इंस्टॉल करा लेते हैं. उस ऐप के माध्यम से उनके खाते का एक्सेस लेकर अपने खातों में पैसा ट्रांसफर कर लेते हैं.

जिन बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं, उन बैंक खातों को गिरफ्तार आरोपियों द्वारा लोगों से लोन के नाम पर बैंक खाता खुलवा कर डेबिट कार्ड, मोबाइल सिम, व खाता पासबुक को अपने पास रख लेता था. इसके बाद आरोपी इसको झारखंड के डीलर मामा को मधुपुर रेलवे स्टेशन पर दे देते हैं. जिसके एवज में 10 से लेकर 20 प्रतिसत कमीशन मिलता है. कमीशन का पैसा इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से निकाल लेते हैं. इस तरह लगभग 150 बैंक खाते झारखंड के मामा को उपलब्ध करा चुके हैं. साथ ही करीब 35 से 40 लाख रुपये का कमीशन पकड़े गए आरोपी ले चुके हैं. इनके अन्य अपराधिक इतिहास के बारे में और जानकारी की जा रही है.

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