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384 दिनों से निराहार हैं भैयाजी सरकार, नर्मदा के साथ यमुना सरंक्षण पर लाएंगे जागृति

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Published : Nov 8, 2021, 7:33 PM IST

नर्मदा नदी के सरंक्षण के लिए पिछले 384 दिनों से प्रकृति उपासक समर्थ सद्गुरु भैयाजी सरकार निराहार रहकर सिर्फ नर्मदा का जल पीकर अनशनरत हैं. इस आवाज को राजधानी दिल्ली में बुलंद करने के लिए संत भैयाजी सरकार आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक संवाददाता सम्मेलन करने जा रहे हैं.

प्रकृति उपासक समर्थ सद्गुरु भैयाजी सरकार
प्रकृति उपासक समर्थ सद्गुरु भैयाजी सरकार

नई दिल्ली: नर्मदा नदी के सरंक्षण के लिए पिछले 384 दिनों से प्रकृति उपासक समर्थ सद्गुरु भैयाजी सरकार निराहार रहकर सिर्फ नर्मदा का जल पीकर अनशनरत हैं. इस आवाज को राजधानी दिल्ली में बुलंद करने के लिए संत भैयाजी सरकार आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक संवाददाता सम्मेलन करने जा रहे हैं. उसके उपरांत मंगलवार को यमुना की हालत देखने के लिए कालिंदी कुंज यमुना घाट का दौरा भी करेंगे.

नदी नहीं तो सदी नहीं' जैसा ब्रह्म वाक्य देने वाले भैयाजी सरकार नर्मदा के जीवन के बचाने के लिए पिछले 384 दिनों से निराहार रहकर अनशन कर रहे हैं, क्योंकि नर्मदा का अस्तित्व धीरे-धीरे नष्ट हो रहा है. भैयाजी सरकार द्वारा बार बार प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो नर्मदा के अस्तित्व को एवं आने वाली पीढ़ी के जीवन को बचाने के लिए उन्होंने 17 अक्टूबर, 2020 को आमरण अनशन (भूख हड़ताल) शुरू कर दी. इसे उन्होंने 'सत्याग्रह' नाम दिया है. वे केवल नर्मदाजल पीकर नर्मदा के तटीय क्षेत्रों व वनों में रहकर उपवास कर रहें हैं.

भैयाजी सरकार के मार्गदर्शन में नर्मदा मिशन द्वारा अनेक कार्य किए जा रहे हैं. समाज के उत्थान और सृष्टि के सम्वर्धन संरक्षण के कार्यों को सुचारु रूप से चलाने के लिए उन्होंने मध्य प्रदेश के जबलपुर में नर्मदा मिशन की स्थापना की. इसका उद्देश्य मानव को मानव से और मानव को प्रकृति से जोड़ना है. इसकी स्थापना के बाद से ही नर्मदा मिशन भैयाजी सरकार के मार्गदर्शन व सानिध्य में पूरे प्रदेश में मानव सेवा, गोसेवा, नर्मदाजल शुद्धिकरण, प्रकृति संरक्षण सम्वर्धन का कार्य करते हुए अविराम प्रयासरत हैं.

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नर्मदा मिशन ने समूचे समाज को प्रकृति से जोड़ने के साथ ही उच्चतम शिखर पर अपने सफलता के ध्वज भी लहराए हैं. इसमें गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड जैसे अवार्ड भी शामिल हैं.

मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान का जनजीवन घोर संकट में आ जाएगा क्योंकि नर्मदा नदी ही इनका जीवन है. इसलिए राजधानी दिल्ली में केन्द्र सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए भैयाजी सरकार दिल्ली आए हैं और नर्मदा के साथ साथ यमुना के अस्तित्व पर भी मंथन करेंगे.

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