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नूंह में 'कोख के कातिलों' पर स्वास्थ्य विभाग विभाग की पैनी नजर, लिंगानुपात में सबसे आगे है जिला

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Published : Mar 10, 2021, 4:49 PM IST

डिप्टी सिविल सर्जन ने बताया कि अगर कोई लिंग जांच या भ्रूण हत्या की शिकायत करता है तो उसका नाम गुप्त रखा जाता है और उसे 1 लाख रुपये का इनाम भी दिया जाता है. वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर कड़ी नजर रखती है.

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नूंह में 'कोख के कातिलों' स्वास्थ्य विभाग विभाग की पैनी नजर, लिंगानुपात में सबसे आगे है जिला

नई दिल्ली/नूंह: जिले में साल दर साल लिंगानुपात में सुधार हो रहा है. इस जिले में राज्य के दूसरे जिलों के मुकाबले लिंग जांच एवं भ्रूण हत्या के मामले कम ही सामने आते हैं. नूंह हरियाणा का मुस्लिम बाहुल्य जिला होने के बावजूद यहां लिंगानुपात 1,000 लड़कों के मुकाबले 934 लड़कियां हैं, जो प्रदेश के टॉप 5 जिलों में शामिल है.

नूंह में 'कोख के कातिलों' स्वास्थ्य विभाग विभाग की पैनी नजर

वहीं जिले में अगर कोई लिंग जांच करवाता पाया जाता है उस पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा सख्त कार्रवाई भी की जाती है. इस बारे में जानकारी देते हुए डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. आशीष सिंगला ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें पूरे जिले में अल्ट्रासाउंड केंद्रों के संचालन पर कड़ी निगरानी रखती है और न केवल नूंह में बल्कि दिल्ली और आगरा तक टीम लिंग जांच या भ्रूण हत्या की शिकायत पर कार्रवाई करती है.

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इसके अलावा अल्ट्रासाउंड केंद्रों के बाहर लिंग जांच करवाना कानूनी अपराध है इस तरह की चेतावनी का बोर्ड भी लगा हुआ दिखाई देता है. डॉ.आशीष सिंगला ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि जहां तक मशीनरी की बात है तो उनके पास अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर छापेमारी करने के लिए पूरी टीम है.

डिप्टी सिविल सर्जन बताया कि अगर कोई लिंग जांच या भ्रूण हत्या की शिकायत करता है तो उसका नाम गुप्त रखा जाता है और उसे 1 लाख रुपये का इनाम भी दिया जाता है. वहीं उन्होंने जिले में अल्ट्रासाउंड केंद्रों की संख्या के बारे में भी बताया.

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जिले के डॉक्टर्स और स्थानीय लोगों का कहना है कि नूंह एक मुस्लिम बाहुल्य जिला होने के बावजूद यहां लिंग जांच और भ्रूण हत्या को पाप समझते हैं. नूंह जिले में दूसरे जिलों के मुकाबले अल्ट्रासाउंड केंद्रों की संख्या भी कम है और बहुत सी महिलाएं अनपढ़ और अज्ञानता के चलते बिना अल्ट्रासाउंड कराए ही बच्चों को जन्म दे देती हैं.

जिले के अधिकतर आबादी में मुस्लिम समाज के लोग रहते हैं जो इस तरह की कार्य को गलत मानते हैं और लड़के लड़की की जांच में कोई अंतर नहीं समझते. यही वजह है कि यहां लिंग अनुपात शर्मसार करने वाला कभी भी नहीं रहा है. साल दर साल इन में इजाफा भी देखने को मिल रहा है.

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कुल मिलाकर राज्य के दूसरे जिलों के मुकाबले नूंह जिले में लिंग जांच में भ्रूण हत्या ना के बराबर होती है. पीएम नरेंद्र मोदी ने हरियाणा से इस योजना की शुरूआत की थी जिसके बाद इस जले में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है.

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