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तावडू: मृत मोर को राष्ट्रीय ध्वज में लपेट कर दी गई सम्मान सहित अंतिम विदाई

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Published : Jun 17, 2020, 10:27 PM IST

तावडू में एक मृत मोर के शव को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर सम्मान सहित अंतिम विदाई दी गई. इस मौके पर पुलिस जवानों और अन्य विभाग के कर्मचारियों ने मृत मोर को पुष्पांजलि अर्पित कर, सम्मान के साथ सलामी दी.

honor of dead peacock wrapping in the national flag in tawaru
मृत मोर को दी गई सम्मान सहित अंतिम विदाई

नई दिल्ली/तावडू: नूंह जिले के तावडू से एक दिल छू लेने वाली खबर सामने आई है. बुधवार को उपमंडल के अधिकारियों ने एक मृत मोर को सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी. प्रदेश में शायद पहली बार इस तरह से राष्ट्रीय पक्षी का शव तिरंगे में लपेट कर सम्मान सहित अंतिम संस्कार किया गया हो.

मृत मोर को दी गई सम्मान सहित अंतिम विदाई

बताया जा रहा है कि मंगलवार सुबह करीब 7 बजे नगर के तावडू-रेवाड़ी रोड के वेयर हाउस गोदाम के पास लगे विद्युत ट्रांसफार्मर की चपेट में आने से राष्ट्रीय पक्षी मोर की मौत हो गई. इस हादसे के बाद मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई. इसकी सूचना लोगों ने शहर थाना पुलिस को दी गई. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर वन विभाग और पशु चिकित्सकों और दमकल विभाग को घटना की सूचना दी.

दमकल कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर मृत मोर के शव को राष्ट्रीय ध्वज में लपेट कर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल पहुंचाया. पोस्ट मार्टम के बाद पुलिस जवानों ने और अन्य विभाग के कर्मचारियों ने मृत मोर को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए, सम्मान के साथ सलामी भी दी.

पर्यावरण प्रेमियों ने जताई चिंता

करंट की चपेट में आने से राष्ट्रीय पक्षी मोर की मौत को लेकर पर्यावरण प्रेमियों ने चिंता जताई है. उन्होंने प्रशासन से बिजली लाइन में सुधार की मांग की है. तावडू भाजपा मंडल के पूर्व अध्यक्ष हरभगवान सिंह बिल्ला ने बताया कि बीते कुछ दिनों में कई मोर और बंदरों की करंट की चपेट में आने से मौत हो गई हो चुकी है. करंट की चपेट में आने से जीव-जंतुओं की मौत पर बिजली विभाग बेपरवाह नजर आ रहा है.

उन्होंने बिजली निगम के अधिकारियों पर आरोप भी लगाया कि अधिकारियों को कई बार लटकती तारों और ट्रांसफार्मरों के खुले फ्यूज बॉक्स के बारे में जानकारी दी गई, लेकिन सुधार नहीं किया गया. यही वजह ह कि लगातार हादसे हो रहे हैं.

राष्ट्रीय पक्षी मोर के बारे में जानें

  • भारत सरकार ने 26 जनवरी 1963 को इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया था.
  • मोर को संसदीय कानून 'भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972' के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है.
  • इंडियन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 के तहत मोर या किसी भी संरक्षित पक्षी को मारने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है.
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