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किसान आंदोलन के चलते नहीं हो पाया एक्सप्रेस-वे का रूटीन मेंटेनेन्स, दुर्घटना का खतरा

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Published : Sep 16, 2021, 2:32 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 9:17 PM IST

एक्सप्रेस वे
एक्सप्रेस वे

दिल्ली-मेरठ नवनिर्मित एक्सप्रेस वे का पिछले 10 महीनों से रूटीन निरीक्षण नहीं हुआ है. ऐसे में अंदेशा है कि जब इसे आवाजाही के लिए खोला जाएगा तो यहां दुर्घटना हो सकती है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली-ग़ाज़ीपुर बॉर्डर (दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे) पर तकरीबन 10 महीने से किसानों का आंदोलन जारी है. गाजीपुर बार्डर पर किसानों के टेंट लगे हुए हैं, जहां किसानों के टेंट लगे हुए हैं वह दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे है. गाजियाबाद से दिल्ली की तरफ जाने वाली दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे की सभी लेन पर किसानों के टेंट लगे हैं.

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारी, मार्ग निर्माणकर्ता संस्था और स्वतंत्र इंजीनियरों की समिति द्वारा दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे के रखरखाव के लिए समय-समय पर जांच और निरीक्षण किया जाता है. साथ ही यह निरीक्षण बरसात के मौसम में लगातार किया जाना बेहद जरूरी होता है. मार्ग की सुरक्षा के लिए निरीक्षण बेहद अहम होता है. दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे के जिस हिस्से पर किसानों का आंदोलन जारी है. उस हिस्से का बीते 10 महीने से न ही कोई निरीक्षण हो पाया है और न ही किसी प्रकार का रूटीन मेंटेनेंस.

गाजियाबाद किसान आंदोलन
NHAI अधिकारियों के मुताबिक, निरीक्षण के दौरान मार्ग में आई वॉल में यदि कोई पेड़-पौधे, वनस्पति उगे होते हैं, तो उनको निकाला जाता है. पुल के गार्डर, एक्सपेंशन जॉट में ग्रीस आदि की जांच की जाती है, जिससे कि स्ट्रक्चर सुरक्षित रह सके. वर्तमान में किसान धरना व पुलिस बैरिकेडिंग के कारण निरीक्षण और रूटीन मेंटेनेन्स का कार्य समय से किये जाने में समस्या उत्पन्न हो रही है, जिससे स्ट्रक्चर की सुरक्षा को खतरा बढ़ता जा रहा है एवं लगभग 10 माह से कोई भी निरीक्षण नहीं हो पा रहा है.


अधिकारियों के मुताबिक, किसानों द्वारा किये जा रहे धरने के कारण आई वॉल में जगह-जगह पीपल एवं वनस्पत्ति आदि के पौधे उग आये हैं, जिससे सड़क मार्ग को खतरा है. धरना स्थल एक अण्डरपास के ऊपर एवं अंदर है, जोकि गर्डर पर निर्मित किया गया है. पुल का स्थापन गर्डर पर किया जाता है, जोकि बीयरिंग पर स्थापित होते हैं, जिनकी समय-समय पर सफाई एवं ग्रीसिंग आवश्यक होती है. किसानों के धरने के कारण रूटीन मेंटेनेन्स नहीं हो पा रहा है, क्योंकि धरना स्थल पर एक अण्डरपास है, जिसकी लगभग 10 महीने से निरीक्षण और मरम्मत न होने के कारण किसी भी समय आकस्मिक दुर्घटना की सम्भावना बनी हुई है.

अधिकारियों की मानें तो किसानों द्वारा सड़क पर टेंट आदि लगाने के लिए लोहे के पोल, बांस, बल्ली आदि लगाये गए हैं, जिससे बरसात का पानी मार्ग के अन्दर जा रहा है एवं सड़क टूटने की सम्भावना निरंतर बनी हुई है. मार्ग अवरुद्ध होने के कारण नालियों की सफाई नहीं हो पा रही है, जिससे अण्डरपास के नीचे जल भराव आदि की समस्या हो रही है एवं मार्ग को क्षति हो रही है.

किसान आंदोलन
किसान आंदोलन
अधिकारियों के मुताबिक, किसानों द्वारा NHAI द्वारा लगाये गये बिजली के पोल की केबल को काटते हुए अवैध रूप से बिजली का उपयोग किया जा रहा है, जिससे समय-समय पर दुर्घटना की समस्या बनी रहती है. बिजली की लाइटें, पैनल, MCV खराब हो रही है. किसानों द्वारा परियोजना पर लगायी गयी स्ट्रीट लाइटों का अपने विभिन्न संसाधनों (Fan, Cooler, Washing Machine Heater, Tent Lighting, Mobile Charging Points etc.) के लिए अनधिकृत रूप से उपयोग किया जा रहा है, जिससे आये दिन लगाये गये विधुत उपकरण जैसे कि एम०सी०वी० पैनल आदि खराब हो रहे हैं एवं लाइट में फ्लैक्चुएशन के कारण लगाई गयी विधुत लाइटें आदि भी खराब हो रही हैं.NHAI अधिकारियों के मुताबिक, किसानों द्वारा शौचालयों का निर्माण मार्ग के ऊपर किया गया है, जिसके कारण हर समय मार्ग पर जल एकत्रित रहता है, जोकि मार्ग को खराब कर रहा है. किसानों द्वारा धरना स्थल पर मार्ग के ऊपर स्थित स्पाउट को बंद कर जलभराव किया गया है, जोकि मार्ग की सुरक्षा के लिए बहुत ही खतरनाक है एवं पुल आदि के लिए एक जोखिम है.राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि व यातायात) अधिनियम 2002 के प्रस्तर संख्या 24 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को हाईवे पर धरना, अतिक्रमण का अधिकार नहीं है एवं स्टेट सपोर्ट करार के अनुसार किसी भी व्यक्ति, संघ, संस्था आदि द्वारा अतिक्रमण किये जाने पर राज्य सरकार पुलिस बल उपलब्ध कराते हुए अतिक्रमण को हटाये जाने हेतु आवश्यक सहयोग प्रदान करेगी.

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Last Updated :Sep 16, 2021, 9:17 PM IST
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