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गाज़ियाबाद: दो वक्त की रोटी को मोहताज हुए मूर्तिकार! फीका रहा गणेश चतुर्थी का त्योहार

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Published : Aug 21, 2020, 5:23 PM IST

Updated : Aug 21, 2020, 6:26 PM IST

होली को बैरंग और ईद को फीका करने के बाद तमाम त्योहारों की रौनक कोरोना वायरस ने छीन ली है. त्योहारों पर दुकानदार अच्छी खासी कमाई कर लिया करते थे लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते त्योहारों पर भी दुकानदारी ना के बराबर है. गणेश चतुर्थी से पहले मूर्तियों की अच्छी खासी बिक्री होती थी लेकिन इस बार कोरोना ने सब कुछ चौपट कर दिया है.

Customers not buying idols during Ganesh Chaturthi festival due to covid-19
मूर्तिकार दो वक्त की रोटी को मोहताज

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कल देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन श्रद्धालु भगवान गणेश की मूर्ति खरीद कर उनकी पूजा करते हैं और गणेश विसर्जन कर मूर्ति को प्रवाहित कर देते हैं. ऐसे में गणेश की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों का कारोबार भी अच्छा होता है लेकिन इस बार कोरोना ने मूर्तिकारों का पूरा कारोबार चौपट कर दिया है.

मूर्तिकार दो वक्त की रोटी को मोहताज


मूर्तिकार खेताराम का परिवार करीब 35 सालों से मूर्ति बनाने का काम करता आ रहा है. हर साल गणेश चतुर्थी के त्योहार को लेकर उनका पूरा परिवार सैकड़ों मूर्तियां बनाता है. जिससे उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती है. हर साल गणेश चतुर्थी पर करीब 4 से 5 लाख का कारोबार होता था लेकिन इस बार कोरोना ने सब कुछ चौपट कर दिया है. इस साल खेताराम ने कर्ज पर पैसे लेकर कारोबार किया था लेकिन बिक्री ना होने के चलते उनको चिंता सता रही है कि इस बार नुकसान की भरपाई कैसे होगी.

मूर्तिकार सुंदर ने बताया कि कोरोना के कारण मूर्तियों की मांग बहुत कम है. इस साल उन्होंने गणेश चतुर्थी पर बेचने के लिए मूर्तियां तो बनाई थी लेकिन उनकी रंगाई नहीं की क्योंकि ग्राहक ना होने के चलते मूर्तियां बिक नहीं रही हैं.



कोरोना ने फीका किया त्योहारों का रंग
किसी नेक काम को शुरू करने से पहले गणपति जी की पूजा की जाती है लेकिन आज उसी गणपति की मूर्ति बनाकर बेचने वाले लोग भूखे मरने की कगार पर हैं. उसकी असल वजह है कि कोरोना के बढ़ते कहर के चलते लोगों को एक साथ इकट्ठा होने की इजाजत नहीं दी जाती.

शादी समारोह में भी अधिकतम 20 लोग ही शामिल हो सकते हैं. ऐसे में जब गणपति किसी भी घर में, मंदिर में, चौराहों पर या किसी अन्य स्थान पर विराजमान किए जाते हैं तो वहां श्रद्धालुओं का जुटना लाजमी है और उनके जुड़ते ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी भली भांति नहीं हो पाएगा. यही कारण है कि हर साल जिस तरीके से गणेश चतुर्थी आते ही गणेश जी की प्रतिमा बिकना शुरू हो जाती थी. इस बार मूर्ति बेचने वालों के पास मूर्ति तो है लेकिन ग्राहक नहीं हैं.

Last Updated : Aug 21, 2020, 6:26 PM IST
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