नई दिल्ली: देशभर में नवरात्रि की धूम देखने को मिल रही है. इस अवसर पर दिल्ली के अलग अलग इलाकों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन पर आधारित रामलीला का मंचन भी जारी है. दूसरी ओर दशहरे पर होने वाले रावण दहन के लिए भी दिल्ली के कई इलाकों में रावण का पुतला बनाने का काम अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है. दिल्ली के कई इलाकों में रावण का पुतला भी अब बनकर तैयार है, बस उसको अंतिम स्वरूप देने का काम किया जा रहा है. कुछ ऐसी ही तस्वीर दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में भी देखने को मिल रही है, जहां कोरोना का प्रभाव समाप्त होने के बाद कारीगरों ने रावण का पुतला बनाकर तैयार कर दिया है. इसके विपरित दिल्ली में प्रदूषण के मद्देनजर सरकार द्वारा पटाखों पर लगाया गया प्रतिबंध भी इस पर काफी प्रभाव डाल रहा है. दिल्ली सरकार द्वारा लाए गए नियम से कारीगरों की खुशी निराशा में बदल गई है.
दरसल, हर साल की तरह इस साल भी दशहरा और दीवाली से पहले दिल्ली में प्रदूषण और लोगों की सुरक्षा को देखते हुए दिल्ली सरकार ने पटाखों पर रोक लगा दी है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर बिन पटाखे रावण कैसे जलाए जाएंगे. रावण दहन के दौरान पटाखों की गूंज सुनाई देती है, लेकिन इस बार पटाखों की गूंज सुनाई नहीं देगी. रावण कारीगरों ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते पहले दो साल काम बंद था अब जब दो साल के बाद दशहरा मनाया जा रहा है तो अब पटाखों पर रोक लगा दी है.
कारीगरों ने बताया कि सरकार के नियम से निराशा ही हाथ लगी है. क्योंकि बिना पटाखे रावण अच्छा नहीं लगेगा, जिससे उनके काम पर भी काफी असर पड़ेगा. हालांकि, उन्होंने बताया कि अब रावण को जलाने के लिए कागज और घास फूस का इस्तेमाल किया जाएगा.
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गौरतलब है कि कोरोना महामारी के कारण बीते दो सालों से दिल्ली में रामलीला का मंचन नहीं हो पाया था. इस कारण रावण दहन के कार्यक्रम पर भी प्रतिबंध था. ऐसे में इस बार रावण का पुतला भी जोर-शोर से बनाया जा रहा है. लेकिन इस बार पटाखों पर प्रतिबंध से रावण के पुतले की रौनक भी कम होने वाली है. हालांकि कारीगरों ने सरकार के इस कदम का समर्थन भी किया है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें अच्छे ऑर्डर की भी उम्मीद है.
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