नई दिल्ली : दिल्ली के जंतर-मंतर पर पिछले 13 दिनों से जारी किसान संसद का आज यानी सोमवार को आखिरी दिन है. किसान संसद के आखिरी दिन की कमान महिला किसानों ने संभाली. इसमें अलग-अलग राज्यों से आई महिला किसानों ने कृषि कानूनों और सरकार की कमियों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की.
आखरी दिन महिला किसान संसद में महिला स्पीकर और महिला डिप्टी स्पीकर चुने गए. इस किसान संसद में आखरी दिन किसान नेता राकेश टिकैत की पत्नी और उनके परिवार की अन्य सदस्य किसान संसद में पहुंचीं. इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल समेत कई राज्यों से महिलाएं किसान संसद में चर्चा करते हुए नजर आईं.
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महिला किसान संसद में पहुंची योग्यता सुहाग ने कहा कि आज 9 अगस्त है. 9 अगस्त 1942 को ही भारत छोड़ो आंदोलन से निकली अरूणा आसफ अली ने आज ही के दिन ग्वालियर में झंडा फहरा कर इस आंदोलन को तेज किया था. उस समय भी भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मौजूदा समय में किसान आंदोलन में भी महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. किसान आंदोलन में महिला किसान ढाल बनकर बैठी हुई है.
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इसके साथ ही महिला किसानों ने कहा कि 13 दिनों तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसान संसद लगाई गई, जिससे देश की संसद तक किसानों की आवाज पहुंची. कृषि कानूनों को वापस लिए जाने को लेकर दबाव बनेगा. सरकार पर दबाव बना है और किसान अपनी मांगों को लेकर डटे रहेंगे, जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती.