नई दिल्ली: अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की हार्ट अटैक से मौत के बाद एक बार फिर हर किसी को युवाओं में हार्टअटैक की चिंता ने परेशान कर दिया है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़े भी यही कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में हार्ट अटैक किया दिल से जुड़ी बीमारियों के चलते मौतों के आंकड़ों में इजाफा हुआ है और यह बीमारी ना केवल युवाओं में बल्कि हर एक वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में ले रही है.
इसके क्या कुछ कारण है और किन-किन सावधानियों को ध्यान में रखकर इन बीमारियों से बचा जा सकता है? इसको लेकर ईटीवी भारत में अलग-अलग अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर और हृदय रोग विशेषज्ञों से बात की. इंटरनल मेडिसिन के एक्सपर्ट डॉक्टर शुचिन बजाज ने बताया पिछले कुछ सालों में युवाओं में हार्ट अटैक किया दिल से जुड़ी परेशानियों में इजाफा हुआ है, इसके पीछे का एक कारण कोरोना को भी मान सकते हैं, लेकिन केवल कोरोना के पीछे बड़ा नहीं है, क्योंकि आज के युवाओं में डिप्रेशन अल्कोहल स्मोकिंग जैसी आदतों के चलते भी दिल से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही है.
डॉ बजाज ने कहा कि मौजूदा समय में हर एक युवा जल्द से जल्द आगे बढ़ना चाहता है, अपने साथियों के साथ होड़ में लगा हुआ है, जिससे कि वह खुद को समय नहीं दे रहा, लगातार अपने ऊपर दबाव बनाए हुए हैं. जिसका असर हमारे दिल पर पड़ता है, इसके साथ ही पारस अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ अमित भूषण शर्मा ने बताया कि कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में अधिकतर लोगों में मानसिक तनाव हुआ है, और यह मानसिक तनाव हार्टअटैक को 38% तक बढ़ा देता है, लॉकडाउन में लोगों को अपने स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं आई है. ऐसे में लोग जल्द से जल्द फिट रहने के लिए अधिक मात्रा में प्रोटीन स्टेरॉइड और कई अन्य प्रकार के पदार्थ ले रहे हैं, जो कि हमारे हृदय की गति को बढ़ा देता है.
डॉ शर्मा ने कहा कि आमतौर पर किसी भी इंसान के हृदय की गति 120 या 130 तक होती है, लेकिन ज्यादा एक्सरसाइज या भागदौड़ करना या स्ट्रेस लेने के बाद यह 150 से 160 तक पहुंच जाती है, लेकिन लगातार एक्सरसाइज या डिप्रेशन में रहने के बाद यदि हृदय की गति 190 तक जाती है, तो वह सडन कार्डियक डेथ का कारण भी बन सकती है.
वहीं सडन कार्डियक डेथ और हार्ट अटैक को लेकर दिल्ली के पटपड़गंज मैक्स अस्पताल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉक्टर मनोज कुमार ने बताया कि इन बीमारियों के कोई भी गंभीर लक्षण पहले से व्यक्ति में देखने को नहीं मिलते हैं, हार्ट अटैक या सडन कार्डियक डेथ 1 घंटे के भीतर ही हो जाती है. डॉ मनोज कुमार ने कहा कि दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाव का केवल यही तरीका है, कि यदि परिवार में किसी को दिल से जुड़ी बीमारी है या फिर ब्लड प्रेशर कैस्ट्रोल जैसी परेशानी है तो समय-समय पर उसका चेकअप करवाते रहें.
इसके साथ ही नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2014 में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 18309 थी जो कि साल 2019 में बढ़कर 28005 हो गई यानी कि इन 5 सालों में हार्ट अटैक से जुड़ी बीमारियों और मौतों में 53 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है. इन आंकड़ों से यह साफ है कि देश में हर साल मरने वालों में चार व्यक्ति में से एक हार्टअटैक से पीड़ित है.