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कोरोना से हार गए डेंगू-मलेरिया जैसे जलजनित रोग! जानें क्या है वजह

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Published : Jul 25, 2020, 5:28 PM IST

राजधानी में मानसून का सीजन चल रहा है. आमतौर पर इसे बीमारियों का मौसम कहा जाता है, लेकिन कोरोना काल में ऐसा क्या हुआ कि बाकी की बीमारियां गायब हो गईं. पिछले वर्ष दिल्ली में डेंगू के 833 मामले, मलेरिया के 473 मामले और चिकनगुनिया के 165 मामले सामने आए थे. डेंगू से चार लोगों की मौत भी हो गई थीं, वहीं 2018 में डेंगू के तकरीबन 3 हजार मामले सामने आए थे. ऐसे में सवाल है कि इस बार ये बीमारियां कहां हैं.

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कोरोना काल में गिरे डेंगू केस

नई दिल्ली : पिछले 4 महीने से पूरी दुनिया में कोरोना दूसरी बीमारियों को बैकग्राउंड में धकेलकर एक छत्र राज कर रहा है. हार्ट, लीवर, किडनी, हाइपरटेंशन और डाइबिटीज जैसी लाइफ स्टाइल डिजीज तो छोड़िए, डेंगू, मलेरिया, वायरल और चिकनगुनिया जैसी मौसमी बीमारियां भी जैसे कहीं गायब ही गई हैं.

सुनिए क्या कह रहे विशेषज्ञ

क्या कोरोना ने सारी बीमारियों के वाहक को अपना आहार बना लिया है या एक म्यान में दो तलवार वाली बात यहां भी लागू है. आइए इस बारे में जानते हैं एक्सपर्ट की राय है.


दरअसल जब किसी एक बीमारी का प्रकोप हो तो बाकी सारी बीमारियां लुप्त हो जाती हैं या फिर जैसे ही उस बीमारी का प्रकोप खत्म होता है बाकी लुप्त हुई बीमारियां वापस लौटने लगती हैं. जी हां, कम से कम मेडिकल प्रोफेशनल तो ऐसा मानते हैं. उनका स्पष्ट मानना है कि एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकती हैं. उसी तरह से एक बार में एक से ज्यादा बीमारियों का प्रकोप नहीं रह सकता है.



हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल बताते हैं कि सामान्य तौर पर देखा जाता है कि जब एक बीमारी होती है तो दूसरी बीमारी नहीं आती है. जैसे इस समय डेंगू का सीजन है तो टाइफाइड नहीं दिखाई दे रहा है. टाइफाइड का टेस्ट इस समय फॉल्स पॉजिटिव आ रहा है और जिनको टाइफाइड निकल रहा है वह वास्तव में कोरोना है.

कोरोना के पहले दिल्ली में डेंगू का राज था

डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि करोना के पहले दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप हुआ करता था, लेकिन इस वक्त ना तो मच्छर दिखाई दे रहे हैं ना डेंगू और चिकनगुनिया दिखाई दे रहा है. जापानी इंसेफेलाइटिस भी नहीं दिखाई दे रहा है.

पिछले साल जून के महीने में बिहार में लीची के मौसम में इंसेफेलाइटिस बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया था. इसलिए इसे लीची सिंड्रोम कहा जाता है, लेकिन कोरोना काल में इस बार लीची सिंड्रोम भी गायब हो गया.


डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि जब एक बीमारी का पेनडेमिक चल रहा होता है तो दूसरी बीमारियां नहीं होती हैं. इसे आप कह सकते हैं कि जिस तरह से एक म्यान में दो तलवार नहीं रहती हैं, उसी तरह से एक बार में एक ही महामारी रहती है दूसरी महामारी नहीं रह सकती.


आरएमएल अस्पताल के डॉ. सक्षम मित्तल भी ऐसी स्थिति में हैरानी व्यक्त कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर समय लोग अपने घरों में ही रहे. बाहर का खाना छूट गया तो लाइफ स्टाइल बीमारियां वैसे ही कम हो गईं.

दूसरी तरफ प्रदूषण लगभग खत्म हो गया. मौसम साफ हो गया इसकी वजह से मौसमी बीमारियां भी नियंत्रित हो गईं, लेकिन यह एक अस्थाई स्थिति है. जैसे ही लोग पहले की तरह रूटीन में उतरेंगे सब कुछ वापस आएगा जो लॉकडाउन के दौरान फौरी तौर पर गायब हो गया था.

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