आकार पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस पर फैसला सुरक्षित

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Published : Apr 12, 2022, 5:08 PM IST

Verdict reserved on lookout circular notice against Aakar Patel

कोर्ट ने पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस लेने के एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश पर लगी रोक को कल तक के लिए के बरकरार रखा है. 8 अप्रैल को कोर्ट ने एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने लुकआउट सर्कुलर नोटिस पर रोक लगाई थी. सीबीआई ने एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस करने के खिलाफ सेशंस कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट की सेशंस कोर्ट ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस लेने के आदेश के खिलाफ सीबीआई की ओर से दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. स्पेशल जज संतोष स्नेही मान ने इस पर कल यानि 13 अप्रैल को फैसला सुनाने का आदेश दिया.

कोर्ट ने पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस लेने के एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश पर लगी रोक को कल तक के लिए के बरकरार रखा है. 8 अप्रैल को कोर्ट ने एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने लुकआउट सर्कुलर नोटिस पर रोक लगाई थी. सीबीआई ने एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस करने के खिलाफ सेशंस कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.

8 अप्रैल को सुनवाई के दौरान आकार पटेल की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा था कि कोर्ट के आदेश के बावजूद आकार पटेल को 7 अप्रैल की रात को फिर विदेश जाने से रोका गया. उन्होंने कहा था कि जिस समय कोर्ट लुकआउट सर्कुलर नोटिस वापस लेने का आदेश जारी कर रही थी उस समय जांच अधिकारी हिमांशु बहुगुणा भी कोर्ट में उपस्थित थे. उन्होंने कहा था कि कोर्ट के आदेश के बाद जब वो कल रात में फ्लाइट पकड़ने गए तो उन्हें उसी लुकआउट सर्कुलर नोटिस के आधार पर रोक दिया गया. यहां तक कि जांच अधिकारी ने अपना फोन भी स्वीच ऑफ कर लिया. जांच अधिकारी का यह रवैया मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.

सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से वकील निखिल गोयल ने कहा कि एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट का आदेश सही नहीं है. इस आदेश में कुछ ऐसे दिशानिर्देश जारी किए गए जिसका केस से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि आकार पटेल के खिलाफ एक केस गुजरात में चल रहा है, जबकि दूसरा केस बैंगलुरु में. तब कोर्ट ने पूछा कि आपकी पहली दलील है कि लुकआउट सर्कुलर वापस लेने का आदेश सही नहीं है और दूसरा कि कोर्ट ने सीबीआई को लेकर जो कहा है वो गलत है. गोयल ने सुमेर सिंह सलकान के फैसले का हवाला दिया.

गोयल ने कहा कि चार्जशीट 31 दिसंबर को दाखिल की गई थी. उसी दिन लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था. एफसीआर के प्रावधान के तहत चार्जशीट दाखिल की गयी है. जांच के दौरान कोई लुकआउट सर्कुलर जारी नहीं किया गया था. ऐसे में ये कहना सही नहीं है कि लुकआउट सर्कुलर जारी करने में कोई पक्षपात किया गया है. इसके अलावा कोर्ट ने जो अवलोकन किया है वो नहीं होना चाहिए था.

बता दें कि 7 अप्रैल को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पवन कुमार ने सीबीआई के निदेशक को निर्देश दिया था कि पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने में अधीनस्थ अधिकारियों ने गलती की है और इसलिए सीबीआई निदेशक इसका हवाला देते हुए लिखित रूप से माफी मांगें.

एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा था कि लुकआउट सर्कुलर जारी करने के अधिकार का मनमाना तरीके से उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. इसके पीछे कोई ठोस वजह होनी चाहिए. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने सीबीआई निदेशक से उम्मीद जताई कि वो उन अधीनस्थ अधिकारियों के इसके लिए संवेदनशील बनाएं जिन्होंने लुकआउट सर्कुलर जारी किया था. साथ ही उन अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए.

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पटेल के खिलाफ सूरत की निचली अदालत में एक बीजेपी विधायक पूर्णेशभाई ईश्वरभाई मोदी ने शिकायत कर रखी है. 19 फरवरी को सूरत की कोर्ट ने आकार पटेल को विदेश जाने की इजाजत देते हुए पासपोर्ट देने का आदेश दिया था. सीबीआई ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ एफसीआरए के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर आकर पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस जारी किया था.

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