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दिल्ली हिंसा के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित

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Published : Feb 10, 2022, 7:49 PM IST

दिल्ली हिंसा
दिल्ली हिंसा

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत की अदालत में दलीलें रखी गई थीं.

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.


गुरुवार को सुनवाई के दौरान शरजील इमाम की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा कि किसी के खिलाफ साजिशों के अंतहीन केस कैसे चलाए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली दंगों के मामले में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया यूनिवर्सिटी में दिए गए भाषणों के आधार पर यूएपीए के तहत संज्ञान कैसे लिया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि शरजील इमाम को गिरफ्तार पहले किया गया जबकि दंगे बाद में भड़के. कोर्ट ने शरजील इमाम के भले ही राजद्रोह वाला माना है, लेकिन उसने हिंसा भड़काने का काम नहीं किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ये बताए कि शरजील इमाम ने किसकी हत्या के लिए साजिश रची.

मीर की दलील का विरोध करते हुए स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने क्रिकेट के खेल का जिक्र करते हुए कहा कि जब कोई क्रिकेट टीम खेलती है तो हर खिलाड़ी का अपना महत्व होता है. मान लीजिए कि किसी ओपनर का विकेट गिर जाता है तो इसका मतलब ये नहीं कि खेल खत्म हो गया. यह मान लेना गलत है कि शरजील इमाम की गिरफ्तारी के बाद वो टीम से हटा दिया गया तो पूरी साजिश खत्म हो गई.

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कोर्ट ने 24 जनवरी को शरजील की एक मामले में जमानत याचिका खारिज करते हुए राजद्रोह का आरोप तय करने का आदेस दिया था. 24 नवंबर 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल की गई थी. पूरक चार्जशीट में स्पेशल सेल ने यूएपीए की धारा 13, 16, 17, और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147, 148, 149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395, 419, 420, 427, 435, 436, 452, 454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

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