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एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए ट्रांसप्लांट पेड़ों में से 20 फीसदी सूखे, बाकी पर खतरा

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Published : Oct 23, 2020, 8:48 PM IST

द्वारका में एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया था, लेकिन संबंधित एजेंसियों की लापरवाही के कारण ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में से लगभग 20 प्रतिशत पेड़ सूख चुके हैं.

tree transplantation for expressway in dwarka
द्वारका में एक्सप्रेस वे के लिए वृक्ष प्रत्यारोपण

नई दिल्ली: स्वच्छ पर्यावरण और विकास की गति के बीच बेहतर समन्वय बनाने के लिए पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की नीति पर केंद्र व राज्य सरकार की ओर से अमल किया जा रहा है. लेकिन संबंधित एजेंसियों की लापरवाही के कारण यह नीति विफल साबित हो रही है. उप नगरी द्वारका में एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया था. जिसके परिणाम स्वरूप ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में से लगभग 20 प्रतिशत पेड़ सूख चुके हैं. वहीं अन्य पेड़ों पर भी सूखने का खतरा मंडरा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट


3800 पेड़ों को किया गया था ट्रांसप्लांट

आपको बता दें 1 वर्ष पूर्व द्वारका सेक्टर 11, 12, 19, 20, 23 और सेक्टर 24 में 3800 पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया था. कुछ समय तक इन पेड़ों का रखरखाव भी किया गया, लेकिन बाद में लापरवाही के कारण यह पेड़ सूखने लगे. लॉकडाउन के दौरान इन पेड़ों के सूखने का सिलसिला तेज हो गया. जिसके चलते पेड़ों के सूखने का आंकड़ा लगभग साढ़े सात सौ तक पहुंच चुका है.


15 से 20 साल पुराने हैं पेड़

आपको बता दें कि ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ पर्यावरण को शुद्ध रखने वाले पेड़ जैसे शीशम, नीम, पीपल, अर्जुन शामिल है. वहीं फलदार पेड़, सख्त लकड़ी के तौर पर उपयोग होने वाले पौलोनिया और स्कारलेट बुश जैसे औषधि पेड़ भी ट्रांसप्लांट किए गए थे. ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ 15 से 20 साल पुराने हैं जिनमें से कई में तो दिमग भी लग गई है. ऐसे में अगर दवाई नहीं दी गई तो इन पेड़ों को सूखने से कोई नहीं रोक सकता, साथ ही पेड़ों की नियमित देखभाल भी बहुत ही जरूरी है.


दिल्ली सरकार ने भी दी ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी को मंजूरी

हालांकि इसी महीने दिल्ली सरकार ने भी ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी को मंजूरी दी है, जिसके तहत अब किसी भी प्रोजेक्ट में आने वाले 80 सीसी पेड़ को ट्रांसप्लांट करना अनिवार्य होगा. वहीं ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में से 80 फीसदी से कम पेड़ों के जीवित रहने पर संबंधित एजेंसी को होने वाले भुगतान में कटौती भी की जाएगी.

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