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Teachers Day Special : भारत में पहली बार कब मनाया गया था शिक्षक दिवस, जानें इस दिन की Interesting History & Facts

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Published : Sep 5, 2022, 9:07 AM IST

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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के पहले उपराष्ट्रपति थे. जब वे राष्ट्रपति बने तब उनके छात्रों ने उनकी सम्मानित स्थिति को देखते हुए उनके जन्मदिन को 'राधाकृष्णन दिवस' के तौर पर मनाना चाहते थे. आइए जानते हैं इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में क्यों मनाया जाने लगा...

नई दिल्लीः 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के मद्रास प्रांत के थिरुत्तानी में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvapalli Radhakrishnan) का जन्म हुआ था. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान भारतीय दार्शनिक, विद्वान और राजनीतिज्ञ थे. उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरस्वामी था, जो अधीनस्थ राजस्व अधिकारी थे और उनकी माता का नाम सर्वपल्ली सीता था.

डॉ. राधाकृष्णन ने मद्रास विश्वविद्यालय (Madras University) से दर्शनशास्त्र (Philosophy) में परास्नातक किया और बाद में, मैसूर विश्वविद्यालय (Mysore University) और कलकत्ता विश्वविद्यालय (Calcutta University) में पढ़ाने के लिए चले गए, जहां वे छात्रों के बीच भी लोकप्रिय रहे. उनके फिलॉसफी और उपदेश ने दुनिया भर में एक बड़ा प्रभाव डाला. राधाकृष्णन ने 16 साल की उम्र में अपने दूर की चचेरी बहन शिवकामु से शादी कर ली थी, जिनसें उनकी छह संतानें हुईं, जिनमें पांच बेटियां और एक बेटा था.

∆ शिक्षक दिवस का इतिहास

पहला शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था, जिस वर्ष राधाकृष्णन ने राष्ट्रपति के तौर पर अपना पद ग्रहण किया था. राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे और राजेंद्र प्रसाद के बाद देश के दूसरे राष्ट्रपति बने. उनकी सम्मानित स्थिति का जश्न मनाने के लिए उनके छात्रों ने सुझाव दिया कि उनके जन्मदिन को 'राधाकृष्णन दिवस' के रूप में मनाया जाए. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस कदम को अस्वीकार कर दिया और सुझाव दिया कि उनका जन्मदिन मनाने के बजाय, यह उनका गौरवपूर्ण विशेषाधिकार होगा यदि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए.

∆ नेहरू के साथ संबंध

डॉ. राधाकृष्णन के सबसे करीबी दोस्तों में से एक थे पंडित जवाहरलाल नेहरू, जिन्होंने एक बार उनके बारे में कहा था, "उन्होंने कई क्षमताओं में अपने देश की सेवा की है. लेकिन सबसे बढ़कर, वह एक महान शिक्षक हैं जिनसे हम सभी ने बहुत कुछ सीखा है और सीखना जारी रखेंगे. हमारे राष्ट्रपति के रूप में एक महान दार्शनिक, एक महान शिक्षाविद् और एक महान मानवतावादी का होना भारत का विशिष्ट विशेषाधिकार है."


∆ डॉ. राधाकृष्णन के Quotes

ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है.
Knowledge gives us power, love gives us fullness.

पुस्तकें वह माध्यम हैं जिसके द्वारा हम संस्कृतियों के बीच सेतु का निर्माण करते हैं.

Books are the means by which we build bridges between cultures.

सहनशीलता वह श्रद्धांजलि है जो सीमित मन अनंत की अटूटता को अदा करता है.

Tolerance is the homage which the finite mind pays to the inexhaustibility of the Infinite.

ज्ञान और विज्ञान के आधार पर ही आनंद और आनंद का जीवन संभव है.

A life of joy and happiness is possible only on the basis of knowledge and science.


∆ डॉ. राधाकृष्णन की पुस्तकें

द हिंदू व्यू ऑफ लाइफ (The Hindu View of Life)

ए सोर्स बुक इन इंडियन फिलॉसफी

एन आइडियलिस्ट व्यू ऑफ लाइफ

ईस्टर्न रिलिजंस एंड वेस्टर्न थॉट

द फिलॉसफी ऑफ रवींद्रनाथ टैगोर

द परस्यूट ऑफ ट्रुथ, रिलिजन

साइंस एंड कल्चर

द हार्ट ऑफ हिंदुस्थान

लिविंग विद ए पर्पज

फेथ रिन्यूड

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