नई दिल्ली: यमुना खादर इलाके में सैकड़ों झुग्गियां हैं, जहां हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर या खेतिहर लोग रहते हैं. ये यमुना किनारे की जमीन में खेती करते हैं या आसपास मजदूरी करते हैं. घर तो चल जाता है, लेकिन समस्या होती है बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की. इस इलाके में वर्षों से इस कमी को पूरा कर रहे हैं, सत्येंद्र पाल साक्या. सत्येंद्र इसी इलाके में एक झुग्गी के भीतर यहां के गरीब बच्चों को फ्री कोचिंग देते हैं.
'सुविधाहीन बच्चों के लिए कोचिंग'
खासतौर पर कोरोना काल में इस कोचिंग क्लास की अहमियत कुछ ज्यादा बढ़ गई, क्योंकि वो सरकारी स्कूल भी बंद हो गए, जहां ये बच्चे पढ़ने जाया करते थे और साथ ही कोरोना में यहां शिक्षक दिवस की परम्परा भी बदलती दिखी. इस इलाके में कई बच्चे बेहद गरीब परिवार से हैं. इनके पास वर्तमान समय में पढ़ाई के जरूरी माध्यम, ऑनलाइन क्लासेज की सुविधा नहीं है, क्योंकि घर वाले इतना महंगा मोबाइल नहीं खरीद सकते.
'बच्चे को गिफ्ट किया मोबाइल'
ऐसे ही एक बच्चे गौतम के लिए इस कोचिंग संस्थान ने आज के दिन एक अनूठी पहल की. कुछ डोनेशन के पैसे, कुछ अन्य बच्चों की सहायता और बाकी शिक्षक के सहयोग से गौतम को एक मोबाइल गिफ्ट किया गया. तीसरी कक्षा में पढ़ रहे गौतम के पिता नहीं हैं और मां मजदूरी करके घर चलाती हैं. गौतम की मां ने कहा कि बेटा पढ़ने में अच्छा है और बहुत अच्छा लगा कि आज इस कोचिंग की तरफ से उसे मोबाइल दिया गया.
'निर्माणाधीन फ्लाईओवर है छत'
यहां शिक्षक दिवस के मौके पर बच्चों के बीच लेखन और वाद विवाद प्रतियोगिता भी आयोजित की गई. छोटी-छोटी बच्चियों ने यहां अपनी तरफ से सांस्कृतिक प्रस्तुति भी दी. गौर करने वाली बात यह है कि जिस झोपड़ी में यह क्लास चलती है, उसके ठीक ऊपर से निर्माणाधीन फ्लाईओवर गुजर रहा है और बच्चों की संख्या ज्यादा होने पर वो फ्लाईओवर ही इस क्लास की छत बन जाता है. इस तस्वीर के जरिए भी शिक्षा से जुड़ी वर्तमान भारत की स्थिति का आंकलन किया जा सकता है.