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Supertech Twins Tower : सुप्रीम कोर्ट के वकील बोले- बिल्डरों के खिलाफ और आएंगे ऐसे फैसले - सुपरटेक के दो अपार्टमेंट गिराने के आदेश

मंगलवार को नोएडा के सुपरटेक बिल्डर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने सुपरटेक के दो टावर 3 महीने में ध्वस्त करने के आदेश दिये हैं. इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील केके सिंह ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अन्य बिल्डरों के लिए बहुत बड़ी नसीहत है.

supertech twin towers in noida
नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण
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Published : August 31, 2021 at 6:19 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा : सुप्रीम कोर्ट के सुपरटेक के खिलाफ दिए गए फैसले के संबंध में RWA का मुकदमा लड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट केके सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि सुपरटेक का यह सुपर ब्लंडर केस है. नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अपनी बातें मनवाने के लिए मनमानी करते हैं. प्राधिकरण की संलिप्तता इस प्रोजेक्ट में साफ-साफ दिखाई दे रही है.

RWA के वकील केके सिंह ने कहा कि अन्य बिल्डरों के लिए बहुत बड़ी नसीहत है और कोर्ट के फैसले के बाद अब अन्य बिल्डर बायर्स के साथ छल करने से पहले कई बार सोचेंगे. वहीं उन्होंने कहा कि बायर्स को बिल्डर द्वारा 18 से 24 प्रतिशत ब्याज देना होगा.

वकील केके सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह का फैसला दिया है, हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में भी इस तरह के फैसले और भी आएंगे. जिन-जिन जगहों पर बायर्स के पैसे फंसे हुए हैं वह उन्हें दिलाने में काफी मददगार होंगे. इसके साथ ही यह फैसला बिल्डरों की मनमानी पर भी रोक लगाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के वकील केके सिंह.

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के दो अपार्टमेंट को 3 महीने के अंदर ध्वस्त करने का आदेश दिया है. दोनों ही अपार्टमेंट सेक्टर-93 में हैं और दोनों ही निर्माणाधीन हैं. सुप्रीम कोर्ट के दोनों ही टावर 40-40 मंजिला हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि सभी बायर्स को ब्याज के साथ निर्धारित समय के अंदर उनके पैसे वापस किए जाएं. यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने दिया है.

ये भी पढ़ें : सुपरटेक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिल्डरों के लिए सबक : कर्नल TP त्यागी

11 अप्रैल 2014 को नोएडा प्राधिकरण को 4 महीने की अवधि के भीतर प्लॉट-4 सेक्टर-93a नोएडा में स्थित टावर 16 और 17 को ध्वस्त करने का निर्देश इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिया गया था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट दी गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलावर को फैसला दिया है. सुपरटेक को यह भी आदेश दिया गया है कि बायर्स को निर्धारित समय के अंदर ब्याज के साथ उनके पैसे लौटाए जाएं. साथ ही कोर्ट ने बिल्डर को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपये की लागत का भुगतान करने के भी निर्देश दिये हैं.

demolition of supertech twin towers
नोएडा में सुपरटेक के दोनों टावरों को गिराया जाना है.

ये भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट से सुपरटेक को झटका, गिराए जाएंगे 40 मंजिला 2 टॉवर्स

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बायर्स एसोसिएशन और निवेशकों में काफी खुशी देखी गई. बायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अन्नू खान ने बताया कि निवेशकों की यह बहुत बड़ी जीत है और सुपरटेक को बहुत बड़ा झटका है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अन्य बिल्डर जो निवेशकों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं, उनके लिए एक बड़ी सीख होगी और आने वाले समय में बिल्डर बायर्स और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने से पहले जरूर सोचेंगे.

नई दिल्ली/नोएडा : सुप्रीम कोर्ट के सुपरटेक के खिलाफ दिए गए फैसले के संबंध में RWA का मुकदमा लड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट केके सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि सुपरटेक का यह सुपर ब्लंडर केस है. नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अपनी बातें मनवाने के लिए मनमानी करते हैं. प्राधिकरण की संलिप्तता इस प्रोजेक्ट में साफ-साफ दिखाई दे रही है.

RWA के वकील केके सिंह ने कहा कि अन्य बिल्डरों के लिए बहुत बड़ी नसीहत है और कोर्ट के फैसले के बाद अब अन्य बिल्डर बायर्स के साथ छल करने से पहले कई बार सोचेंगे. वहीं उन्होंने कहा कि बायर्स को बिल्डर द्वारा 18 से 24 प्रतिशत ब्याज देना होगा.

वकील केके सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह का फैसला दिया है, हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में भी इस तरह के फैसले और भी आएंगे. जिन-जिन जगहों पर बायर्स के पैसे फंसे हुए हैं वह उन्हें दिलाने में काफी मददगार होंगे. इसके साथ ही यह फैसला बिल्डरों की मनमानी पर भी रोक लगाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के वकील केके सिंह.

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के दो अपार्टमेंट को 3 महीने के अंदर ध्वस्त करने का आदेश दिया है. दोनों ही अपार्टमेंट सेक्टर-93 में हैं और दोनों ही निर्माणाधीन हैं. सुप्रीम कोर्ट के दोनों ही टावर 40-40 मंजिला हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि सभी बायर्स को ब्याज के साथ निर्धारित समय के अंदर उनके पैसे वापस किए जाएं. यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने दिया है.

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11 अप्रैल 2014 को नोएडा प्राधिकरण को 4 महीने की अवधि के भीतर प्लॉट-4 सेक्टर-93a नोएडा में स्थित टावर 16 और 17 को ध्वस्त करने का निर्देश इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिया गया था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट दी गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलावर को फैसला दिया है. सुपरटेक को यह भी आदेश दिया गया है कि बायर्स को निर्धारित समय के अंदर ब्याज के साथ उनके पैसे लौटाए जाएं. साथ ही कोर्ट ने बिल्डर को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपये की लागत का भुगतान करने के भी निर्देश दिये हैं.

demolition of supertech twin towers
नोएडा में सुपरटेक के दोनों टावरों को गिराया जाना है.

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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बायर्स एसोसिएशन और निवेशकों में काफी खुशी देखी गई. बायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अन्नू खान ने बताया कि निवेशकों की यह बहुत बड़ी जीत है और सुपरटेक को बहुत बड़ा झटका है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अन्य बिल्डर जो निवेशकों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं, उनके लिए एक बड़ी सीख होगी और आने वाले समय में बिल्डर बायर्स और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने से पहले जरूर सोचेंगे.

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