नई दिल्ली : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मन्त्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली का बजट पेश किया. उन्होंने एलान किया कि अगले 5 साल में 20 लाख रोजगार दिल्ली सरकार उपलब्ध कराएगी, लेकिन दिल्ली के कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों को सरकार की इस बजट घोषणा पर भरोसा नहीं है. उनका कहना है कि सरकार सिर्फ घोषणा ही कर रही है. रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं कर पाएगी, क्योंकि आज पढ़ाई में बहुत ज्यादा प्रतियोगिता हो गई है. रोजगार के अवसर बहुत कम हैं. जरूरत है उस अवसर को बढ़ाने के साथ-साथ वोकेशनल कोर्स को अधिक से अधिक बढ़ावा देने की. जिससे रोजगार के अवसर मिल सकें.
बीते 2 साल में जिस तरह से कोरोना के कारण लोगों के रोजगार गए और नौकरी भी खत्म हुई. उससे लोगों का भरोसा और भी टूट गया है. छात्रों का कहना है कि रोजगार के अवसर नहीं मिलने के कारण ही आज दिल्ली में रहने वाले युवा दूसरे देशों का रुख करना चाहते हैं, लेकिन वहां भी सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि यहां के जो कोर्स हैं. वह ग्लोबल स्तर पर मान्य नहीं हैं. इसके कारण भी बाहर जाने वाले छात्रों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. छात्रों का यह भी कहना है कि दिल्ली में स्टार्टअप नए-नए आ रहे हैं. यह अच्छी बात है, लेकिन जो पहले से स्टार्टअप चल रहे हैं. उनको नुकसान ना पहुंचे और जो नुकसान की स्थिति में हैं, उन्हें भी उस नुकसान से उबरने की कोशिश सरकार की तरफ से होनी चाहिए.
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स्किल डेवलपमेंट को और अधिक बढ़ावा देना चाहिए. रोजगार देने का सिर्फ यह मतलब नहीं है कि 10 या 15 हजार की नौकरी मिल जाए. क्योंकि इतनी कम सैलरी में आज कल घर चलाना और पैसे बचाना दोनों ही बहुत मुश्किल है. इसलिए लोगों को अपनी पढ़ाई के हिसाब से अच्छी सैलरी वाली नौकरी भी मिलनी चाहिए. तभी वह संतुष्ट होंगे. कुछ छात्रों ने कहा कि सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए कि जिनकी नौकरी की उम्र पिछले 2 साल में कोरोना के कारण खत्म हो गई और वैसे लाखों युवा आज नौकरी के लिए धक्के खा रहे हैं. कुछ तनाव की जिंदगी जी रहे हैं. सरकार को उनके लिए भी पहल करनी चाहिए.
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