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साइकिल चलाना तक नहीं जानती थी शर्मिला, आज DTC बस से सैकड़ों लोगों को पहुंचाती हैं मंजिल तक

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Published : Sep 21, 2022, 6:53 PM IST

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बाहरी दिल्ली की रहने वाली शर्मिला 2015 से पहले साइकिल भी नहीं चला पाती थी, लेकिन अब वह डीटीसी की बस चलाकर सैकड़ों लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती है. लोग उनका मजाक भी उड़ाते थे, लेकिन अब सुकून से उसके बस में सफर करते हैं. जानिए महिला सशक्तिकरण (women empowerment) की दिशा में शर्मिला द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम की कहानी...

नई दिल्लीः दिल्ली की रहने वाली शर्मिला ने अपनी मेहनत और लगन से एक ऐसे आयाम को हासिल (Sharmila achieved her position with hard work) किया है, जिससे घर बैठे उड़ान भरने के सपने देख रही सभी महिलाओं को उनके सपने सच करने के लिए प्रेरणा मिल रही है.

महिला सशक्तिकरण (women empowerment) का जीता जागता उदाहरण शर्मिला है, जो 2015 से पहले साइकिल चलाना तक नहीं जानती थी. और अब डीटीसी की बस चला रही है. उनकी बस में सफर करने वाले यात्री भी बेखौफ होकर सुरक्षा के साथ इस बस का सफर करते हैं और शर्मिला हर रोज सैकड़ों लोगों को मंजिल तक पहुंचाती हैं. अब वह अपने पूरे घर का खर्च भी उठा रही हैं.

शर्मिला बाहरी दिल्ली की रहने वाली है और जब उन्होंने डीटीसी बस में महिला ड्राइवर की नौकरी के बारे में सुना तो शुरुआत में तो उनकी हिम्मत भी नहीं हुई कि वह इस पद के लिए अप्लाई कर सकती है. लेकिन उनके बेटे ने इस नौकरी के लिए फार्म लाकर उन्हें दिया और भरवा भी दिया. इसके बाद उन्होंने डीटीसी बस चलाने के लिए ट्रेनिंग ली. कुछ ही महीनों में वह डीटीसी की हर तरीके की बसों को दिल्ली की सड़कों पर सरपट दौड़ाने लगी.

डीटीसी बस चला रही दिल्ली की शर्मिला

शुरुआत में उन्हें डर भी लगा, क्योंकि जो महिला साइकिल न चलाती हो वह सीधे डीटीसी की लंबी चौड़ी बस की स्टेरिंग पकड़े तो डरना भी लाजमी है. उन्होंने इस डर को अपनी कमजोरी नहीं बनाया, बल्कि हिम्मत जुटाई और एक ऐसे मुकाम को हासिल किया, जहां पहुंचने के लिए महिलाएं तो क्या हजारों पुरुष भी कतारों में खड़े रहते हैं.

शर्मिला का सफर बेहद मुश्किल भरा रहा. आसपास के लोग मजाक उड़ाते थे, लेकिन उन सभी लोगों को उन्होंने अपनी मेहनत से मुंह तोड़ जवाब दिया. अप्रैल में शर्मिला ने डीटीसी बस में ड्राइवर की नौकरी के लिए आवेदन दिया. फॉर्म भरा जिसके बाद उन्हें मैसेज आया कि उनका फार्म पास कर दिया गया. उन्हें मेडिकल कराने की जरूरत थी.

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मेडिकल कराकर उन्होंने आगे आवेदन दिया और फिर ट्रेनिंग के लिए बुला लिया. सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक की ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने कड़ी मेहनत की और जो ट्रेनर थे, उन्होंने भी शर्मिला को डीटीसी बस चलाने के सभी गुण सिखाए, जिससे शर्मीला डीटीसी बस की एक अच्छी चालक बनकर सामने आई.



आज शर्मिला सुबह से लेकर शाम तक अपनी नौकरी करती है. उसके बाद घर में जाकर परिवार के साथ अपने बच्चों के साथ समय बिताती है यानी परिवार संभाल भी रही है और चला भी रही है. इसके लिए उन्हें अपने परिवार का भी पूरा साथ मिला है.

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