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क्या गुड मॉर्निंग से भाषण शुरू करने पर दिल्ली पुलिस आरोप खत्म कर देगी : शरजील इमाम

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Published : Oct 4, 2021, 5:50 PM IST

Sharjeel Imam Bail Plea
शरजील इमाम का भाषण

सोमवार को दिल्ली हिंसा के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान शरजील इमाम की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा कि अभियोजन को अपनी मर्जी से कोई निष्कर्ष निकालने की आजादी नहीं होनी चाहिए. हम किसी व्यक्ति पर मुकदमा केवल कानून के बदौलत नहीं बल्कि तथ्यों के आधार पर करते हैं.

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court News) में दिल्ली हिंसा (Delhi Violence Case) मामले के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका (Sharjeel Imam Bail Plea) पर दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो गईं. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने दोनों पक्षों को इस मामले पर अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने का आदेश दिया है.


सुनवाई के दौरान शरजील इमाम की ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा कि एक व्यक्ति IIT Bombay से ग्रेजुएशन करता है. उसे एक अच्छी नौकरी का ऑफर मिलता है. फिर भी वह छोड़कर आधुनिक इतिहास पढ़ता है. उन्होंने कहा कि ये उसका अपना फैसला था. मीर ने कहा कि केदारनाथ के फैसले की व्याख्या देखने की जरूरत है, जिसमें भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में राजद्रोह की व्याख्या करता है. हम अंग्रेजी कानून का पालन करना चाहते हैं, जहां भारतीयों को उठने की आजादी नहीं होती थी.


मीर ने कहा कि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) कह रही है कि अस्सलाम-ओ-अलैकुम से भाषण (Assalam O Alaikum) शुरू होने का मतलब राजद्रोह था, लेकिन क्या अगर आरोपी Good Morning से भाषण (Sharjeel Imam Speech) शुरू करता तो आरोप खत्म हो जाते. मीर ने कहा कि अभियोजन को अपनी मर्जी से कोई निष्कर्ष निकालने की आजादी नहीं होनी चाहिए. हम किसी व्यक्ति पर मुकदमा केवल कानून के बदौलत नहीं बल्कि तथ्यों के आधार पर करते हैं. उन्होंने कहा कि दो वर्ष बीतने को है, लेकिन अभी ट्रायल शुरू भी नहीं हुआ है. अगर कोई सरकार की नीतियों की आलोचना करता है तो उसके खिलाफ क्या कई सारे मुकदमे होने चाहिए. किसी नीति का विरोध करने के कई तरीके हो सकते हैं. ये रोड पर प्रदर्शन के जरिए भी हो सकता है. प्रदर्शन के दौरान कोई विवाद नहीं हो सकता है.

Karkardooma Court
कड़कड़डूमा कोर्ट में सुनवाई

मीर ने कहा कि केवल संदेह के आधार पर आरोप नहीं लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हाल ही में चीफ जस्टिस ने कहा था कि हमें राजद्रोह नहीं चाहिए. ऐसा उन्होंने इसलिए कहा कि सरकार को जनता के प्यार की जरूरत है. अब राजशाही नहीं है कि लोगों को सरकार के आगे झुकने की जरूरत है. यह देश लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों से बना है. इन मूल्यों के जरिये ही शरजील इमाम की रक्षा हो सकती है. उसके खिलाफ केवल इस आधार पर अभियोजन नहीं चलाया जा सकता है कि उसने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध दिया.

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दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने कहा कि आरोपी के पास कोई नया तथ्य नहीं है, सिवाय ये कहने के कि उसे प्रदर्शन करने का किसी भी हद तक अधिकार है. अगर सरकार आपकी बात नहीं सुन रही है तो आपको विरोध करने का अधिकार है. उनकी दलील है कि अगर आम आदमी भी प्रदर्शन से परेशान हो जाए तो भी उन्हें प्रदर्शन करने का अधिकार है. अमित प्रसाद ने अमित साहनी के फैसले का उदाहरण दिया. विरोध प्रदर्शनों के लिए आम रास्तों को रोका जाना कतई ठीक नहीं है और ऐसे में प्रशासन अपना काम जरूर करेगा और अतिक्रमण और बाधाओं को हटाएगा.


अमित प्रसाद ने कहा कि दूसरा आरोप हमारी असलाम अलैकुम की दलील पर लगाया है. उन्होंने कहा कि शरजील इमाम के भाषणों को देखिए. उन्होंने कहा कि क्या आरोपी Good Morning इत्यादि शब्दों से भाषण शुरू करता तो उसके आरोप वापस हो जाते. उन्होंने कहा कि शरजील इमाम का भाषण एक खास समुदाय को टारगेट कर दिया गया था.

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24 नवंबर 2020 को कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल (Delhi Special Police) ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल किया गया था. पूरक चार्जशीट में स्पेशल सेल ने UAPA की धारा 13, 16, 17, और 18 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 109, 124ए, 147,148,149, 153ए, 186, 201, 212, 295, 302, 307, 341, 353, 395,419,420,427,435,436,452,454, 468, 471 और 43 के अलावा आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं.


चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया, जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी. इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया. यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा. शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था.

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