नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी शरजील इमाम के खिलाफ न्यू फ्रेंड्स कालोनी थाने में दर्ज मामले में दायर जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि अगर शरजील को जमानत पर रिहा किया गया तो वो गवाहों को धमका सकता है. और ऐसे अपराध दोबारा कर सकता है. दिल्ली पुलिस ने जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच के समक्ष दाखिल हलफनामे में ये दलीलें दी हैं.
दिल्ली पुलिस ने कहा कि शरजील इमाम ने अपने भाषणों के जरिए असम के नरसंहार के बारे में झूठ फैलाया. वो अपने भाषणों से एक खास धर्म के लोगों को पूर्वोत्तर भारत को देश के दूसरे हिस्सों से काटने के लिए उकसा रहा था. दिल्ली पुलिस ने कहा कि शरजील इमाम के भाषण राजद्रोह की श्रेणी में आते हैं. इस मामले में शरजील इमाम के खिलाफ राजद्रोह की धाराएं लगाई गई हैं. जिसके लिए दिल्ली सरकार से अनुमति लेने के लिए आवेदन दिया गया है.
1 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. शरजील इमाम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा था कि एफआईआर में शुरुआती आरोपियों में शरजील का नाम नहीं था. उसे एक सह-आरोपी मोहम्मद फुरकान के बयानों के बाद आरोपी बनाया गया है. 12 फरवरी 2020 को एफआईआर दर्ज किया गया था. शरजील के खिलाफ राजद्रोह, गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा होना और दंगा भड़काने के आरोप हैं.
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साकेत कोर्ट ने 22 अक्टूबर को शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. एडिशनल सेशंस जज अनुज अग्रवाल ने कहा था कि शरजील इमाम के भाषण विभाजनकारी थे. जो समाज में शांति और सौहार्द्र को प्रभावित करने वाले थे. साकेत कोर्ट ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हमारे संविधान में सर्वाधिक महत्व है, लेकिन इसका उपयोग समाज की सांप्रदायिक शांति और सौहार्द्र को भंग करने के लिए नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा था कि 13 दिसंबर 2019 को शरजील इमाम के ट्रांसक्रिप्ट को सरसरी तौर पर पढ़ने से साफ जाहिर होता है कि उसने समाज में तनाव और अशांति पैदा करने के मकसद से भाषण दिया था. साकेत कोर्ट ने अपने आदेश में स्वामी विवेकानंद की उक्ति को उद्धृत करते हुए कहा था कि हम वो हैं, जो हमारी विचार ने हमें बनाया है. इसलिए हमें अपनी विचार पर ध्यान देने की जरुरत है. विचारों की यात्रा काफी लंबी होती है.