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सालों तक लड़का बनकर खेलती रहीं शेफाली वर्मा, अब क्रिकेट में बनाई अलग पहचान

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Published : Oct 5, 2019, 2:41 PM IST

हरियाणा के रोहतक की शेफाली वर्मा क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए चर्चा का विषय बनी हुई हैं. एक ऐसा भी समय था जब शेफाली को लड़का बनकर खेलना पड़ा था.

सालों तक लड़का बनकर खेलती रहीं शेफाली वर्मा

रोहतक/नई दिल्ली: “क्रिकेट सिर्फ लड़कों का खेल है” अब इस सोच से हमारा देश कहीं परे निकल चुका है. एक समय था जब क्रिकेट से लड़कियों का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था. लेकिन अब परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी हैं. आज महिला क्रिकेट टीम भी उतनी ही अहमियत रखती है जितनी की मेंस क्रिकेट टीम. इसका जीता-जागता उदाहरण है रोहतक की शेफाली वर्मा.

सालों तक लड़का बनकर खेलती रहीं शेफाली वर्मा

महिला क्रिकेटर शेफाली बनीं चर्चा का विषय
अफ्रीका महिला क्रिकेट टीम के खिलाफ खेलने वाली भारतीय महिला टीम की खिलाड़ी शेफाली वर्मा ने दूसरे मैच में 46 रनों की शानदार पारी खेलकर सबको प्रभावित कर दिया और जीत हासिल की.

सालों तक लड़का बनकर खेलती रही शेफाली
आपको बता दें कि शेफाली के जिंदगी में में एक ऐसा दौर भी था जब उन्हें लड़का बनकर क्रिकेट खेलना पड़ा था. जानकारी के अनुसार उस समय उनके होम टाउन में लड़कियों के खेलने के लिए कोई एकेडमी नहीं बनाई गई थी. जिसके बाद शेफाली के पिता ने उसके बाल कटवाकर लड़कों की एकेडमी में दाखिला दिलवाया औ कई सालों तक लड़का बनकर खेलती रहीं.

शेफाली के पिता को था क्रिकेट का शौक
शेफाली की मां परवीन का कहना है कि शेफाली के पिता को शुरू से क्रिकेट खेलने का शौक था. आस पड़ोस के लोग ये कहते थे कि लड़की को बाहर खेलने भेजना ठीक नहीं है और फिर क्या शेफाली के पापा ने उसके बाल कटवा दिए और फिर लड़कों की एकेडमी में डलवा दिया.

भारतीय महिला क्रिकेट टीम में शामिल होने वाली पहली महिला
ऐसा कहा जाता है कि मेहनत करने वालों की हार नहीं और हुआ भी ऐसा. शेफाली को उनकी मेहनत का ऐसा फल मिला कि वो 15 साल की उम्र में भारतीय महिला क्रिकेट टीम में शामिल होने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन गई और उन्होंने भारत को जीत दिलाने के लिए अहम योगदान भी निभाया.

साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं शेफाली वर्मा
आपको बता दे शेफाली एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं रोहतक में उनके के पिता संजीव वर्मा की एक ज्‍वैलरी की दुकान है जिससे वो अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं.

Intro:रोहतक:-भारतीय महिला क्रिकेटर को खेलने के लिए कटाने पड़े लड़को की तरह बाल।कई सालों तक खेलती रही लड़का बन कर।
लड़की होने की वजह से नही खेलने दिया किसी भी एकेडमी ने।
परिजनों ने लड़कों की तरह कटवाए बाल,आज खेल रही है भारतीय महिला टीम में।
लड़की होने की वजह से नही खेलने दिया किसी भी एकेडमी ने।

पुरुष प्रधान समाज में देश का नाम रोशन करने का जुनून था इसलिए लड़की होने के बावजूद लड़कों की तरह बाल कटवा कर खेलती रही राष्ट्रीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी।रोहतक की 15 वर्षीय शेफाली को यहां तक पहुंचने के लिए बड़े संघर्ष करने पड़े और लडक़ी होने के बावजूद लड़कों की तरह बाल कटवा कर पुरुषों में खेलती रही।लड़की होने के बावजूद किसी भी एकेडमी ने उन्हें खेलने नहीं दिया क्योकि वो लड़की थी।आज पिता को बेटी पर इसलिए गर्व है क्योंकि उसने देश का नाम रोशन किया।

Body:भारतीय महिला क्रिकेट टीम में देश का नाम रोशन कर रही बेटी को यहां तक पहुंचने के लिए महिला होना ही बाधा बन गया था। भारतीय टी 20 क्रिकेट टीम में सिलेक्ट हुई रोहतक की 15 वर्षीय शेफाली वर्मा को क्रिकेट सीखने के लिए लड़कों की तरह बाल कटवाने पड़े थे।क्योंकि लड़की होने की वजह से किसी भी एकेडमी ने उन्हें कोचिंग देने से मना कर दिया। बाद में परिजनों ने शैफाली के लड़कों की तरह बाल कटवाए और काफी समय तक सेफाली लड़की होने के बावजूद भी लड़का बनकर खेलती रही। बेटी के लिए संघर्ष कर रहे पिता को आज अपनी बेटी पर नाज है। क्योंकि आज शेफाली वर्मा भारतीय महिला क्रिकेट टीम में साउथ अफ्रीका में 20-20 फ़िलहाल खेल रही है।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की उभरती हुई खिलाड़ी शैफाली वर्मा की क्रिकेट में शुरुआत को लेकर अजीब कहानी है। पिताजी क्रिकेट खेलते थे लेकिन गाइडेंस ना मिलने की वजह से मुकाम तक नही पहुच पाए थे।पिता बेटी को क्रिकेटर बनाना चाहते थे लेकिन लोगों की बातों से परेशान होकर लड़कों के स्टाइल में बाल कटवाने पड़े थे।शुरू में शैफाली को लड़का बनकर खेलना पड़ा आज भारतीय टीम की उभरती हुई खिलाड़ी है जो साउथ अफ्रीका में टी 20 क्रिकेट खेल रही है।
Conclusion:वही दूसरी ओर शैफाली वर्मा की माता परवीन का कहना है कि शैफाली के पिता का क्रिकेट खेलना शौक था।आसपड़ोस के लोग ये कहते थे कि लड़की को बाहर खेलने भेजना ठीक नही है।लड़की होने की वजह से शैफाली को नही खेलने देते है।एक दिन शैफाली के बाल कटवाए ओर फिर लड़को में इसलिए खेलने लगी क्योकि उसे किसी ने नहीं पहचाना।
अब सवाल ये उठता है कि अगर शैफाली को लड़की होने की वजह से जो लोग नही खेलने देते थे आज देश का नाम रोशन कर रही शैफाली के बारे में क्या कहेंगे।

बाइट:-परवीन शैफाली की माता।

बाइट:-संजीव वर्मा शैफाली के पिता।
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