नई दिल्ली : पटियाला हाउस कोर्ट (patiala house court) ने एक व्यक्ति को पोक्सो अधिनियम के तहत नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार (rape with minor daughter) करने का दोषी पाया है. कोर्ट ने डीएनए परीक्षण (DNA Test) के आधार पर आरोपी पिता को दोषी करार दिया है.
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा कि डीएनए विश्लेषण रिपोर्ट बताती है कि पिता ने ही नाबालिग का रेप किया है. उसके कारण ही बच्ची गर्भवती हुई. उसका लगाता यौन शोषण किया जा रहा था. यह अपराध सामाजिक भ्रष्टता का उदाहरण है. जहां बच्ची के लिए सुरक्षित जगह यानी उसके अपने घर में ही यौन शोषण हो रहा था. यौन शोषण उसके अपने ही जैविक पिता कर रहा था.
2017 में पुलिस ने पोक्सो एक्ट की धारा 5 और आपराधिक धमकी की धाराओं में मामला दर्ज किया था. लेकिन अभियोजन पक्ष को उस समय परेशानियों का सामना करना पड़ा, जब पीड़िता की मां और पीड़िता ने खुद को जवाबदेही से अलग कर लिया. इसके बाद बाल कल्याण समिति के निर्देशन में भ्रूण का डीएनए विश्लेषण कराया गया. डीएनए विश्लेषण दोषी के खिलाफ आया.
डीएनए विश्लेषण के खिलाफ बचाव पक्ष ने कई विश्लेषकों और मेडिकल कंसलटेंट की प्रकाशित जनरल का हवाला दिया. लेकिन कोर्ट ने इन सभी को अवैज्ञानिक माना. अदालत ने मामले में डीएनए नमूनों के साथ छेड़छाड़ होने की किसी भी संभावना से इनकार किया. कोर्ट ने अपने आदेश में जोड़ा की विश्लेषण के दौरान तैयार किए गए डीएनए प्रोफाइल से पता चला कि भ्रूण के सभी 15 बिंदु आरोपी के साथ मेल खाते थे.
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न्यायाधीश ने कहा कि तत्काल मामले में न्याय में कोई पूर्वाग्रह नहीं है. उलट आरोपी साक्ष्यों को स्वीकार नहीं कर रहा है. मामले की पूरी कहानी बिना किसी दोष के सामने आती है कि आरोपी के अलावा और कोई भी उसकी बेटी का यौन उत्पीड़न नहीं कर रहा था और यह संभव था कि वह पीड़ित को गंभीर रूप से धमकी भी दे रहा था. अगर उसने यौन उत्पीड़न के ऐसे कृत्यों का खुलासा किया तो परिणाम सामने आएंगे. कोर्ट इस मामले में 15 अक्टूबर को सजा का ऐलान करेगा.