नई दिल्लीः दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 2007 में पश्चिम बंगाल में एक कोयला ब्लॉक के आवंटन के मामले में हिमाचल एमटा पावर लिमिटेड (HEPL) नामक कंपनी और उसके तीन अधिकारियों को धोखाधड़ी का दोषी करार दिया है. स्पेशल जज संजय बंसल ने दोषियों की सजा की अवधि पर 5 सितंबर को सुनवाई करेगा. दोषियों पर लगी धाराओं के तहत उन्हें अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है.
कोर्ट ने HEPL समेत चारों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और 420 का दोषी करार दिया. कंपनी के अलावा जिन्हें दोषी करार दिया गया है उनमें कंपनी के दो डायरेक्टर उज्जल कुमार उपाध्याय और बिकास मुखर्जी समेत कंपनी के सीजीएम (पावर) एनसी चक्रवर्ती शामिल हैं. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने साबित किया है कि आवेदन और फीडबैक फॉर्म में बताई गई निवेश, भूमि और पानी से संबंधित जानकारी झूठी थी.
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सीबीआई के मुताबिक तीनों आरोपियों ने HEPL कंपनी के साथ मिलकर साजिश रची और पश्चिम बंगाल के गौरांगडीड एबीसी कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने के लिए कोयला मंत्रालय को जून 2007 में झूठी जानकारी दी. सीबीआई के मुताबिक इन लोगों ने कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल कर केंद्र सरकार के साथ धोखाधड़ी की. इन लोगों ने कोयला मंत्रालय को झूठ बोला कि उन्होंने 74 करोड़ रुपये का निवेश किया है और प्रोजेक्ट के लिए 80 एकड़ भूमि अधिगृहित की है. सीबीआई ने इस मामले में 7 अगस्त 2014 को एफआईआर दर्ज किया.