नई दिल्ली : लता मंगेशकर की सुरीली आवाज ने दुनिया में उन्हें एक अलग पहचान दी. वो आवाज जिसके आगे हर एक गायक नतमस्तक है. लता दीदी के गाने ने हर दिलों की धड़कन को छुआ है. उनकी आवाज के दीवाने कभी चाह कर भी लता मंगेशकर जैसा मुकाम नहीं पा सकते. लता मंगेशकर एक ही थीं और हमेशा एक ही रहेंगी. लेकिन दिलचस्प है कि एक दौर में जहां हर सिंगर लता मंगेशकर जैसा बनना चाहता था, खुद लता दीदी ने एक बार कहा कि वह अगले जन्म में लता मंगेशकर नहीं बनना चाहतीं. एक इंटरव्यू में जब लता मंगेशकर ने यह बात कही तो हर सुनने वाला हैरान हो गया. तब लता मंगेशकर ने कहा था- मैं अगले जन्म में फिर से लता मंगेशकर नहीं बनना चाहती.
लता मंगेशकर को याद करते हुए कुमार शानू ने कहा मानो मैंने अपनी मां को खो दिया हो. उसका नुकसान अपूरणीय है. वे स्वयं सरस्वती थीं. कल वसंत पंचमी थी और आज विसर्जन हुआ. वह थी जिसने हमें गाना सिखाया. आने वाले 500-1000 साल उनका गीत अमर रहेगा. उसकी आत्मा को शांति मिले.
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अनूप जलोटा ने भी लता जी को याद करते हुए कहा कि उनके साथ कुछ अच्छे-अच्छे पल गुजारे हैं. मुझे लता जी का आशीर्वाद मिला है. मेरे लिए सब कुछ बता पाना बहुत मुश्किल है. मुझे याद है कि पहली गोल्ड डिस्क मिली थी वह मुझे प्रजेंट करने के लिए ताज महल होटल में आई थीं. एक समारोह में दीदी ने आकर मुझे प्रजेंट किया था. यह उनमें खास बात है कि दीदी बहुत ज्यादा प्रोत्साहित करती हैं.
उस दिन दीदी ने इतना अच्छा भाषण दिया था. एक और बात याद करता हूं कि मुझे आरडी बर्मन जी का फोन आया था कि लता दीदी के साथ आपको गाना है. मैं तो इतना खुश हो गया कि फिल्म प्रोफेसर की पड़ोसन में वह गाना गाना है. मैं कहीं दूसरी सिटी से आ रहा था मैं कुछ लेट पहुंचा, लेकिन दीदी स्टूडियो आ चुकी थी. मैं आया तो दीदी ने मेरे साथ रिहर्सल की. उसके बाद हमने गाना रिकॉर्ड करवाया.
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अभिनेता और सांसद रवि किशन ने भी लता दीदी को याद करते हुए कहा कि यह दुखद खबर है. स्वर कोकिला लता जी हमारे बीच नहीं रहीं. पूरा सिनेमा जगत संगीत जगत आज अनाथ हो गया, उसने अपनी मां खो दी. आवाज कहां से आएगी भारत की पहचान थी लता जी. सिनेमा जगत का आज सबसे बड़ा काला दिन लता जी का चले जाना.