काेराेना और पटाखे पर बैन के कारण रावण के पुतले की मांग घटी, कारीगराें में उदासी

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Published : Oct 13, 2021, 6:06 PM IST

रावण का पुतला.

दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत कहा जाता है. रावण दहन के साथ नवरात्रि का समापन हो जाता है. लेकिन इस बार काेराेना के कारण रावण दहन पर रोक के रावण पुतले की मांग कम है. ऐसे में पुतला बनाने वाले कारीगर तंगहाली में हैं.

नई दिल्ली : दुर्गा पूजा की शुरुआत रामलीला से हाेती है ताे इसका समापन रावण दहन से हाेता है. इसके लिए कुछ professional कारीगर रावण के पुतले बनाते हैं. तातारपुर में रावण का पुतला बनाया जाता है, लेकिन काेराेना के कारण इस बाजार में मंदी छायी है.

तातारपुर में रावण का पुतला बनाने वाले कारीगर ने बताया कि कोरोना से पहले पार्कों में अनगिनत पुतले जलाये जाते थे. ऐसा इस बार नहीं हाे रहा है. दिल्ली में दुर्गा पूजा मनाने की छूट मिली ताे उम्मीद थी कि मांग बढ़ेगी, लेकिन पटाखों पर रोक के कारण ऐसा नहीं हाे सका. फिर हालात पिछले साल जैसे हो गये.

तातारपुर में रावण का पुतला बनाते कारीगर.

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पुतला बनाने वाले कारोबारियों का कहना है कि दिल्ली से काफी कम ऑर्डर आये हैं, जाे ऑर्डर राजधानी से आये भी हैं वे महज 10 से 15 फुट पुतले के हैं. दूसरे राज्यों जैसे राजस्थान, हरियाणा, यूपी से कुछ बड़े पुतलों का ऑर्डर मिला है. 30 से 35 फुट के पुतले का ऑर्डर मिला है. काराेबारी ने बताया कि कारीगराें की भी समस्या है. काेराेना के कारण जाे कारीगर गांव चले गये हैं, वाे लाैटे नहीं, जाे ऑर्डर मिले हैं, उसके लिए काम चल रहा है, लेकिन trained कारीगर नहीं मिलने के कारण काम में परेशानी आयी.

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पहले 50 फुट से भी अधिक ऊंचाई के पुतलों के ऑर्डर आते थे, लेकिन कोरोना ने सब चौपट कर दिया. यहां काम करने वाले कारीगरों का कहना है कि पहले इस समय खाने तक की भी फुर्सत नहीं मिलती थी. अब तो समय ही समय है. कोरोना से पहले इस बाजार से पुतले विदेशों में भी जाते थे.

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