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Rapid Rail Project: ऊपर सड़क पर सामान्य रहेगा ट्रैफिक, अंडर ग्राउंड होता रहेगा स्टेशन का निर्माण

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Published : Oct 4, 2022, 11:18 AM IST

मेरठ में रैपिड रेल प्रोजेक्ट (Rapid Rail Project) के तहत करीब 285 मीटर लंबे और 30 मीटर चौड़े स्टेशन का निर्माण शहर के बीचोबीच किया जा रहा है. यहां निर्माण की ऐसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसमें सड़क पर यातायात सामान्य ढंग से जारी रहेगा और निर्माण कार्य जमीन के अंदर चलता (continue under ground ) रहेगा.

ऊपर सड़क पर सामान्य रहेगा ट्रैफिक, अंडर ग्राउंड होता रहेगा स्टेशन का निर्माण
ऊपर सड़क पर सामान्य रहेगा ट्रैफिक, अंडर ग्राउंड होता रहेगा स्टेशन का निर्माण

नई दिल्ली : दिल्ली मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर पर मेरठ में निर्माणाधीन मेट्रो के भूमिगत स्टेशन, मेरठ सेंट्रल की डी वॉल का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है. इसके साथ ही स्टेशन का निर्माण अगले चरण में पहुंच गया है और आगे का निर्माण कार्य पूरी तरह से भूमिगत किया जाएगा. करीब 285 मीटर लंबे और 30 मीटर चौड़े इस स्टेशन का निर्माण शहर के बीचो-बीच किया जा रहा है. जिस सड़क के पास इसका निर्माण हो रहा है, उसका इस्तेमाल रोज़ाना हजारों लोग करते हैं और यहां हमेशा भीड़ की स्थिति बनी रहती है. इसलिए यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आने वाले समय में इस स्टेशन का निर्माण कार्य पूरी तरह से भूमिगत (अंडरग्राउंड) किया जाएगा . वर्तमान में, दिल्ली-मेरठ मार्ग का एक हिस्सा बंद कर, बैरिकेडिंग कर इस भूमिगत स्टेशन की ऊपरी छत (रूफ स्लैब) का निर्माण किया जा रहा है, जो आधे से ज्यादा पूरा किया जा चुका है. रूफ स्लैब का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद, ज़मीनी स्तर पर सड़क पर किसी भी तरह के निर्माण कार्य की आवश्यकता बहुत कम रह जाएगी. इसके बाद स्टेशन निर्माण का सारा कार्य जमीन के अंदर ही अंदर किया (construction of station) जा सकेगा. साथ ही, रूफ स्लैब के ऊपर बने दिल्ली-मेरठ मार्ग को पूरी तरह खोल दिया जाएगा.

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मिट्टी निकालने के लिए सिर्फ छोटे बैरिकेंडिंग सेक्शन रहेंगे सड़क पर : जिससे ट्रैफिक सुचारु रूप से चलता रहेगा. सिर्फ स्टेशन से मिट्टी निकालने के लिए कुछ छोटे बैरिकेंडिंग सेक्शन ही सड़क पर रह जाएंगे. तकनीक का कमाल है कि चलती सड़क के नीचे भूमिगत स्टेशन का निर्माण होता रहेगा और सड़क पर चलने वाले वाहनों और यात्रियों को न इसका आभास होगा, न ही किसी तरह की असुविधा का सामना करना पड़ेगा. स्टेशन का निर्माण सड़क के बीच में किया जा रहा है, इसलिए पहले एक तरफ की सड़क बंद कर ट्रैफिक को डायवर्ट कर तेज़ी से निर्माण किया जा रहा था. उस तरफ काम पूरा हो जाने के बाद उस सड़क को खोलकर वर्तमान में दूसरी ओर काम चल रहा है. सड़क पर हो रहे रूफ स्लैब के निर्माण के साथ-साथ इस भूमिगत स्टेशन के निर्माण के लिए 127 डी वॉल पैनलों को भूमिगत डालकर पूरे स्टेशन की डी वॉल का निर्माण किया गया है. इस स्टेशन में डी वॉल पैनलों को लगभग 23 मीटर की गहराई में डाला गया है. इस तरह पूरे स्टेशन के चारों ओर एक बाहरी ढांचा तैयार हो गया है. यह स्टेशन लगभग 17 मीटर की गहराई में बनाया जा रहा है. मेरठ सेंट्रल स्टेशन की लोकेशन ऐसी है इसका लाभ मेरठ के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले सैकड़ों मेरठवासियों को मिलेगा, जो शहर के अलग-अलग हिस्सों में तीव्र गति से सुगमता एवं सुविधाजनक रूप से यात्रा कर सकेंगे. यात्रियों की सुविधा के लिए इस स्टेशन के दोनों तरफ 1-1 यानी 2 प्रवेश-निकास द्वार बनाए जाएंगे. ये दोनों द्वार फुटबॉल चौक से वॉकिंग डिस्टेंस पर स्थित होंगे. दोनों प्रवेश-निकास द्वारों पर ग्राउंड लेवल से कॉनकोर्स लेवल तक और कॉनकोर्स से प्लेटफॉर्म लेवल तक उतरने-चढ़ने के लिए एस्केलेटर्स लगाए जाएंगे. यह स्टेशन शहर की नई यातायात व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

मेरठ शहर में बन रहा 21 किलोमीटर का मेट्रो सिस्टम : मेरठ शहर में 21 किलोमीटर का मेट्रो सिस्टम बनाया जा रहा है जिसमे 13 स्टेशन होंगे. मेट्रो का नेटवर्क मेरठ साउथ से शुरू होगा और परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैंसाली, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, दौरली, मेरठ नॉर्थ और मोदीपुरम होता हुआ मोदीपुरम डिपो तक जाएगा. इनमे से मेरठ सेंट्रल, भैंसाली और बेगमपुल तीन स्टेशन अंडरग्राउंड होंगे, जबकि अन्य सभी स्टेशन एलिवेटेड होंगे. मेरठ में मेट्रो नेटवर्क रीज़नल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर के बुनियादी ढांचे पर ही संचालित होगी. मेरठ साउथ, शताब्दी नगर, बेगमपुल और मोदीपुरम स्टेशनों पर आरआरटीएस ट्रेनों के रुकने का भी प्रावधान होगा, जहां से मेरठ मेट्रो के यात्री दिल्ली आदि की यात्रा के लिए ट्रेन ले सकेंगे.

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