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जेएनयू में विवादित डाक्यूमेंट्री 'राम के नाम' की हुई स्क्रीनिंग, प्रशासन ने नहीं दी थी अनुमति

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Published : Dec 5, 2021, 10:54 AM IST

Updated : Dec 5, 2021, 5:28 PM IST

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) के स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर टेफल्स में 'राम के नाम (Ram Ke Naam) ' डॉक्यूमेंट्री (Ram ke naam documentary) की स्क्रीनिंग हो गई. विश्वविद्यालय प्रशासन की तमाम रोक के बावजूद डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कर दी गई.

नई दिल्ली: राम के नाम (Ram Ke Naam) पर विवाद, और राम के नाम पर राजनीति, देश में कोई नई बात नहीं है. जेएनयू कैंपस में जेएनयू छात्र संघ द्वारा एक बार फिर 'राम के नाम' फिल्म स्क्रीनिंग की घोषणा की गई. प्रशासन को इसका पता लगते ही तत्काल प्रभाव से स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी गई. लेकिन प्रशासन के फैसले के खिलाफ जेएनयू छात्र संघ न सिर्फ फिल्म की स्क्रीनिंग ही नहीं की, बल्कि सैकड़ों छात्रों ने इस फिल्म को भी देखा.

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (Jawaharlal Nehru University) और विवाद का चोली दामन का रिश्ता है. यहां पर अक्सर कुछ ऐसी घटनाएं घटित होती हैं, जो एक विवादित शक्ल ले लेती है. चार दिसंबर को जेएनयू छात्र संघ द्वारा 'राम के नाम' फिल्म के स्क्रीनिंग करने की घोषणा की गई. यह फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा जरूर पारित है, लेकिन इस फिल्म को लेकर एक विवाद जुड़ा हुआ है. उसी विवाद के डर से जेएनयू प्रशासन को इस स्क्रीनिंग की जैसे ही सूचना मिली. उन्होंने छात्र संघ के लिए नोटिस जारी कर दिया.

जेएनयू में विवादित डाक्यूमेंट्री 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग.

इस फिल्म की स्क्रीनिंग को रोक दें, वरना कैंपस में धार्मिक सौहार्द बिगड़ सकता है, लेकिन छात्र संघ ने प्रशासन के इस नोटिस को ताक पर रखते हुए रात 9:30 बजे न सिर्फ इस फिल्म की स्क्रीनिंग की, बल्कि इसको देखने के लिए सैकड़ों छात्र यहां एकत्रित हुए. स्क्रीनिंग के दौरान कोई माहौल ना बिगड़े इसको लेकर स्थानीय सिक्योरिटी यहां काफी संख्या में मौजूद थी. इस फिल्म की समाप्ति तक किसी तरह का कोई माहौल नहीं बिगड़ा.

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आइशी घोष का ट्वीट: 'राम के नाम' डाक्यूमेंट्री की स्कीनिंग देखते JNU छात्र.

इस फिल्म की बात करें तो बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर यह एक डॉक्यूमेंट्री पिक्चर है. इस फिल्म में कई बीजेपी, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं को दिखाया गया है कि उस विवाद के समय इन नेताओं का क्या रोल था. लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई रथ यात्रा भी इस फिल्म में शामिल है.

जेएनयू प्रेसिडेंट आइशी घोष (JNUSU president Aishe Ghosh) का कहना है कि बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने जानबूझकर लोगों को गुमराह करने का काम किया था. जिससे कई लोगों की जान गई थी. आइशी घोष के मुताबिक बीजेपी देश में हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करती है.

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जेएनयू प्रशासन के सर्कुलर को आइशी घोष ने किया ट्वीट

पढ़ें: JNU: 'राम के नाम' डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर प्रशासन और छात्रसंघ आमने-सामने

आपको बता दें, यह फिल्म इस कैंपस में पहली बार नहीं दिखायी गई है. 16 अक्टूबर 2019 में भी इस फिल्म को दिखाया गया था. उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले का फैसला सुरक्षित रख लिया था.

जेएनयू प्रेसिडेंट आइशी घोष कहती हैं कि इस फिल्म का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर भी है. आरोप है भाजपा शासित सरकार उत्तर प्रदेश में हिंदू-मुस्लिम को बांटने की राजनीति कर रही है. जबकि उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी, अपराध जैसी कई चीजें हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत है. जैसा कि इस फिल्म में बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस को बाबरी मस्जिद को लेकर विवादित तस्वीर के रूप में दिखाया गया है. जेएनयू छात्र संघ का मकसद यही है कि छात्र इस फिल्म को देखें और भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस के प्रति अपनी सोच को बदलें.

फिल्म निर्माता का बयान

आनंद पटवर्धन (Anand Patwardhan Director of 'Ram Ke Naam' ) ने कहा कि प्रशासन के मना करने के बावजूद जेएनयू छात्र संघ द्वारा राम के नाम फिल्म की स्क्रीनिंग का फैसला सराहनीय है. उन्होंने कहा कि सीबीएफसी ने इस फिल्म को यू सर्टिफिकेट दिया है. इसे 1992 में राम के नाम को बेस्ट इन्वेस्टिगेटिव डॉक्यूमेंट्री की कैटेगरी में राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है

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आइशी घोष का ट्वीट: 'राम के नाम' डाक्यूमेंट्री के निर्माता आनंद पटवर्धन.

पटवर्धन ने बताया कि राम के नाम दूरदर्शन पर भी दिखाई जा चुकी है. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद राम के नाम फिल्म को प्राइम टाइम यानी रात नौ बजे दूरदर्शन पर दिखाया जा चुका है. ऐसे में नई पीढ़ी को भी यह फिल्म देखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि फिल्म की स्क्रीनिंग एक ही स्थिति में रोकी जा सकती है, जब देश में पूरी तरह से फासिज्म आ जाए, लेकिन अभी ऐसे हालात नहीं हैं.

फिलहाल जेएनयू प्रशासन के आदेश के खिलाफ जाकर छात्रसंघ ने फिल्म की स्क्रीनिंग कर दी है, लेकिन देखने वाली बात होगी जेएनयू प्रशासन इस पूरे मामले पर क्या एक्शन लेता है. वहीं जेएनयू प्रेसिडेंट आइशी घोष का कहना है कि ये फिल्म सरकार द्वारा पास है. उसके बावजूद भी अगर कोई एक्शन होता है, तो हम उसके लिए भी तैयार हैं.

Last Updated :Dec 5, 2021, 5:28 PM IST
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