नई दिल्ली : राजधानी में उपचुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी में संगठनात्मक स्तर पर समीक्षा बैठक की शुरुआत हो चुकी है. प्रदेश उपाध्यक्ष राजन तिवारी ने बातचीत के दौरान स्पष्ट तौर पर कहा कि उपचुनाव में मिली हार को दिल्ली की जनता के रेफरेंडम के तौर पर न देखा जाए. बीजेपी का वोट शेयर पहले की तरह बरकरार है, बल्कि इस बार के उपचुनाव में कम वोटिंग के बावजूद वोट शेयर 2% तक बढ़ा है. उपचुनाव में कांग्रेस की असक्रियता और गंभीरता पूर्ण रूप से न भाग लेने का फायदा आप को हुआ है. फिलहाल, हार के कारणों को नहीं बताया जा सकता है. हालांकि, समीक्षा बैठक में हर विषय पर चर्चा जरूर होगी. बीजेपी बाकी राजनीतिक दलों की तरह नहीं है, जहां एक व्यक्ति हार की जिम्मेदारी ले और बाकी निकल जाएं. आगे आने वाले चुनावो में बीजेपी पूरी ताकत के साथ लड़ेगी और जीतेगी भी.
दिल्ली बीजेपी के उपाध्यक्ष राजन तिवारी ने बातचीत के दौरान अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उपचुनाव के जो नतीजे सामने आए हैं, उसमें बीजेपी का वोट शेयर कम होने की बजाय बढ़ा है. निश्चित तौर पर नतीजे हमारे पक्ष में नहीं आए, लेकिन आप को भी इतनी बड़ी जीत नहीं मिली है, जितना इसे दिखाया जा रहा है. राजेंद्र नगर विधानसभा की जनता तक बीजेपी और अच्छे तरीके से आने वाले समय में अपनी बात लेकर जाएगी. जिस तरह से फ्री बिजली को लेकर आप ने राजनीति की है. आने वाले समय में खुलकर लोगों के सामने आएगी, जिसके बाद लोग केजरीवाल को हाथों-हाथ नकार देंगे. हम पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि आने वाले चुनाव चाहे वह नगर निगम के हों या विधानसभा के उसके नतीजे बीजेपी के पक्ष में आएंगे.
राजन तिवारी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि चुनाव, चुनाव होता है. किन्हीं कारणों की वजह से नतीजे हमारे पक्ष में नहीं आए और हार मिली है. मैं हार उस समय मानता जब बीजेपी के वोट शेयर में गिरावट होती या हमारा वोट इधर से उधर होता, लेकिन हमारा वोट शेयर जितना था उतना ही है, बल्कि इसमें 2% की बढ़ोतरी हुई है. इन चुनावों में राष्ट्रीय स्तर की पार्टी कांग्रेस का अस्तित्व बिल्कुल खत्म हो गया. बीजेपी के वोट शेयर में जहां 2% का इजाफा हुआ, वहीं कांग्रेस का वोट शेयर महज 2% से थोड़ा ज्यादा रहा. कांग्रेस इन चुनावों को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं थी. न तो उनके कैंडिडेट ने जमीनी स्तर पर प्रचार किया और न ही उनके नेता प्रचार करते नजर आए. बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं ने अपना दल छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थामा, जिसका फायदा उपचुनाव में आप को हुआ है.
उपचुनाव में बीजेपी को मिली हार का एक बड़ा कारण यह भी रहा कि बीजेपी अरविंद केजरीवाल के विपक्ष में कोई बड़ा चेहरा इस बार के उपचुनाव में नहीं उतार सकी. राजन ने कहा कि अगर अरविंद केजरीवाल इतने बड़े नेता होते तो वह बीजेपी के टोटल वोट शेयर में सेंधमारी कर पाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. उपचुनाव में पूरी तन्मयता और प्रतिबद्धता के साथ बीजेपी ने गंभीरता के साथ भाग लिया, बल्कि प्रचार भी किया. बीजेपी को कठघरे में तब खड़ा किया जा सकता था. जब हमारे वोट शेयर में गिरावट होती. उपचुनाव में मिली हार का कारण बताया नहीं जा सकता है. इसमें जनता के द्वारा एक्सेप्टेबिलिटी होती है. हार के कारण सवाल पूछे जाने पर राजन तिवारी ने कहा कि प्रबंधन किसी भी तरीके से सवालों के घेरे में नहीं है. हालांकि, समीक्षा की बैठक होनी है, जिसमें हार के कारणों के बारे में चर्चा होगी.
हर चुनाव के बाद समीक्षा बैठक होती है. चाहे जीत हुई हो या हार दोनों पर चर्चा होती है. बीजेपी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की तरह नहीं है, जिसमें हार का ठीकरा किसी एक व्यक्ति पर फोड़ा जाए और बाकी निकल जाएं. उपचुनाव में हार की जिम्मेदारी लेने की किसी को आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इन चुनावों से न तो सरकार बन रही थी और न ही गिर रही थी. कम मतदान से एक बात तो साफ है कि इस चुनाव के प्रति लोगों के मन में उदासीनता थी. इस बार के उपचुनावों को दिल्ली की जनता का रेफरेंडम न माना जाए. आने वाले चुनावों में बीजेपी न सिर्फ जीत दर्ज करेगी बल्कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली से बाहर का रास्ता भी दिखाएगी.
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