नई दिल्ली : दिल्ली और यमुना एक दूसरे के पर्याय कहे जाते रहे हैं, लेकिन आज दिल्ली और प्रदूषण एक दूसरे के पर्याय हैं. प्रदूषित यमुना (Yamuna Pollution) ही आज दिल्ली की पहचान बन चुकी है. इन दिनों फिर से यमुना में झाग (Toxic Foam in Yamuna) दिखने लगे हैं और ये झाग यमुना में खतरनाक प्रदूषण स्तर की तरफ इशारा कर रहे हैं. हालत यह है कि दिल्ली सरकार ने यमुना में मछली पकड़ने पर पाबंदी लगा दी है.
दिल्ली सरकार ने लगाई है डिटर्जेंट पर रोक
यमुना में जहरीले प्रदूषण से युक्त झाग दिखने के बाद दिल्ली सरकार ने आनन फानन में उस डिटर्जेंट की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी (Delhi Government Ban Detergent), जिसके जरिए ज्यादा झाग पैदा होता है, लेकिन यह स्पष्ट है कि केवल यह कदम नाकाफी है. आपको बता दें कि दिल्ली में यमुना की सफाई हर चुनाव में बड़ा मुद्दा बनती है, लेकिन हो कुछ नहीं पाता. वर्तमान सत्ताधारी पार्टी ने भी अब तक इसे महज वादों तक सीमित रखा है.
मेनिफेस्टो तक ही रहा सफाई का वादा
केजरीवाल सरकार के 6 सालों के कार्यकाल में इतना जरूर बदला कि यमुना की दुर्दशा दूर करने का आम आदमी पार्टी का वादा मेनिफेस्टो में 15वें से 8 वें नम्बर पर पहुंच गया. 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के मेनिफेस्टो में यमुना में दिल्ली वालों को डुबकी लगवाने के साथ-साथ यमुना के किनारों का सौंदर्यीकरण (Yamuna River beautification) भी शामिल कर दिया गया. लेकिन हालत अब भी जस की तस है.
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1 अप्रैल को हुई थी अंतिम समीक्षा बैठक
आज यमुना की दुर्दशा देखें, तो बीते डेढ़ साल में भी इस दिशा में हुए कोई काम नज़र नहीं आते हैं. बीते एक अप्रैल को अंतिम बार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना की सफाई से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा बैठक की थी. हालांकि उस बैठक में भी आदेश और निर्देश से ज्यादा कुछ निकलकर सामने नहीं आया. ये अलग बात है कि पिछले साल के कोरोना लॉक डाउन के दौरान यमुना साफ नज़र आने लगी थी.
नहाने लायक नहीं है यमुना का पानी
लेकिन पटरी पर लौटे आम जन-जीवन ने यमुना को फिर से उसी गंदे नाले वाले पहचान में तब्दील कर दिया है. बीते साल 4 दिसम्बर को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने गंदे पानी के शोधन को लेकर दिल्ली जल बोर्ड को जरूरी निर्देश दिए थे. अक्टूबर के आंकड़ों का हवाला देते हुए सीपीसीबी ने जल बोर्ड को कहा था कि पल्ला गांव के अलावा पूरी दिल्ली में कहीं भी यमुना का पानी नहाने लायक भी नहीं है.
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यमुना में गिरता है 22 नालों का गंदा पानी
आपको बता दें कि यमुना में 22 प्रमुख गंदे नालों के पानी गिरते हैं और इन गंदे नालों का असर यह है कि दिल्ली में कुछ घाटों पर यमुना के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा 3 मिलीग्राम से भी कम पाई गई है. ये आंकड़े इसलिए भयावह कहे जा सकते हैं, क्योंकि पानी में ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्राम से कम होने पर उसे जलीय जीव जंतुओं के लिए खतरनाक माना जाता है, मानव स्पर्श के लिए तो यह खतरनाक होता ही है.
विपक्ष ने उठाया दिल्ली सरकार पर सवाल
अब फिर से यमुना में झाग दिखने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. दिल्ली भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना ने इसे लेकर दिल्ली सरकार से सवाल किया है कि यमुना को साफ करने के वादे का क्या हुआ. वहीं दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने भी इसे लेकर दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. आपको बता दें कि दिल्ली में पीने के पानी की आपूर्ति का एक बड़ा माध्यम यमुना ही है.
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'इस कार्यकाल में साफ कर देंगे यमुना'
इधर, दिल्ली सरकार अब भी यही दावा कर रही है कि इस कार्यकाल में यमुना को साफ कर देंगे. इसे लेकर सवाल करने पर दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि कोरोना के कारण इस दिशा में हो रहे कार्यों की गति धीमी हुई है, लेकिन हम यह करके दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि अभी हमारे इस कार्यकाल के डेढ़ साल बीते हैं, साढ़े तीन साल अभी बाकी हैं. इस कार्यकाल में हम यमुना को साफ कर देंगे.