नई दिल्ली: देश की राजधानी में जंतर मंतर पर विभिन्न भागों से आए 8 से 10 लोगों ने रविवार को एकत्रित होकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और अपनी नाराजगी दर्ज कराई. यह वही लोग हैं जो सरकारी कागजों में मृत घोषित हो चुके हैं और तमाम जगह शिकायत करने के बाद भी इन लोगों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. वहीं सरकारी कागजों में मृत घोषित हो जाने के चलते इनके और इनके परिवार के लोगों की परेशानी कई गुना बढ़ चुकी है.
उत्तर प्रदेश से यहां आए संतोष मूरत सिंह को साल 2003 में सरकारी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया था. हालांकि 19 साल के बाद उनका संघर्ष जारी है. उनके द्वारा अपने आप को जीवित साबित करने के लिए कोर्ट और प्रशासन समेत तमाम जगहों का दरवाजा खटखटाया गया, लेकिन उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला है. वे गूगल पर भी डेड मैन अलाइव (dead man alive santosh murat singh) के नाम से भी मशहूर हो चुके हैं. संतोष ने बताया की लोगों ने उनकी पिता की जमीन को हड़प लिया था जिसे पाने के लिए वो आज भी संघर्ष कर रहे हैं.
वहीं मऊ से यहां आए एक अन्य व्यक्ति ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए बताया कि उनकी सास को मृत दिखाकर उनकी नाम की जमीन को रिश्तेदारों ने हड़प लिया था जबकि उनकी सास उस समय जीवित थी. उनके देवर के द्वारा तहसील स्तर पर सरकारी अधिकारियों के साथ साठगांठ करके जमीन को हड़प लिया गया जिसके बाद अब उनके परिवार वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
उनके अतिरिक्त, मध्यप्रदेश के बैतूल डिस्ट्रिक्ट से आए युवक विजय धाकड़ के पिता को सरकारी अधिकारियों के साथ सांठगांठ करके उनके पड़ोसियों ने मृत घोषित करा दिया और उनकी पुश्तैनी जमीन पर कब्जा कर लिया. इसके बाद वे 2019 से लेकर आज तक न्याय की मांग को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं. इसी सिलसिले में उन्हें 2022 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की सभा में हंगामा करने के लिए गिरफ्तार भी किया जा चुका है लेकिन उनकी लड़ाई अब भी जारी है.
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