नई दिल्ली: राजधानी में अपराध को लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा हाल ही में आंकड़े जारी किए गए हैं. इन आंकड़ों से पता चला है कि दिल्ली में पेशेवर अपराधी केवल 10 फीसदी वारदातों को ही अंजाम दे रहे हैं. 90 फीसदी वारदातों को अंजाम देने वाले ऐसे लोग हैं जो पहली बार अपराध करते हैं. ऐसे लोगों की संख्या हत्या, हत्या प्रयास, लूट, दुष्कर्म, झपटमारी आदि में 90 फीसदी तक रही है. पुलिस हमेशा ही आदतन अपराध करने वालों पर नजर रखती है, लेकिन ऐसे में पहली बार वारदात करने वाले उनके लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रहे हैं.
दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि पहली बार अपराध करने वाले जिस तरह से बढ़ रहे हैं, वह पुलिस के लिए बड़ी चिंता का विषय है. आमतौर पर पुलिस ऐसे अपराधियों पर नजर रखती है जिनका आपराधिक इतिहास होता है. उनके डोजियर तैयार किये जाते हैं, हिस्ट्री शीट खोली जाती है, ज्यादा वारदात करने वालों को घोषित बदमाश बना दिया जाता है. ऐसे अपराधियों पर नजर रखने से लेकर उन्हें पकड़ना आसान होता है. लेकिन पहली बार अपराध करने वालों को चिन्हित नहीं किया जा सकता. यह अनुमान लगाना नामुमकिन सा है कि कौन व्यक्ति पहली बार अपराध करने जा रहा है. इसके लिए पुलिस को नई तरह से सोचकर प्लान तैयार करना होगा.
आंकड़े से समझें पहली बार अपराध करने वालाें काे | |
डकैती | 96 फीसदी |
हत्या | 87 फीसदी |
हत्या के प्रयास | 84 फीसदी |
लूट | 82 फीसदी |
दुष्कर्म | 99 फीसदी |
झपटमारी | 87 फीसदी |
चोट पहुंचाना | 98 फीसदी |
सेंधमारी | 89 फीसदी |
वाहन चोरी | 90 फीसदी |
जबरन उगाही | 94 फीसदी |
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पूर्व एसीपी वेद भूषण ने बताया कि अपराध में फर्स्ट टाइमर के बढ़ने कई कारण हैं. अपने लाइफस्टाइल को मेंटेन करने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग अपराध की तरफ गए हैं. यह एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से फर्स्ट टाइमर लूट, झपटमारी, डकैती आदि वारदातों में लिप्त हुए हैं. उन्होंने बताया कि महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध में लगभग 99 फ़ीसदी आरोपी पहली बार यह अपराध कर रहे थे. यह सभी लोग उनके परिचित ही होते हैं. इनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं होता. ऐसे में न केवल पुलिस को बल्कि समाज को भी इस दिशा में काम करना होगा ताकि अपराध की तरफ बढ़ने जा रहे शख्स के कदम को रोका जा सके.