नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे सभी जल निकायों के संरक्षण के लिए एक नोडल एजेंसी का गठन करें. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में बनी इस कमेटियों को 31 जनवरी तक बैठक कर जल निकायों के संरक्षण के लिए जिला और पंचायत अधिकारियों को निर्देश जारी करने का निर्देश दिया.
एनजीटी ने कहा है कि जल निकायों के संरक्षण की मॉनिटरिंग करने के लिए शिकायत निवारण मैकेनिज्म तैयार किया जाए. एनजीटी ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे समय-समय पर अपनी रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जल शक्रित मंत्रालय के सचिव के पास भेजें. एनजीटी ने पहली ऐसी रिपोर्ट 28 फरवरी तक दाखिल करने का निर्देश दिया.
केंद्रीय निगरानी समिति मॉनिटरिंग करने का निर्देश
एनजीटी ने देशभर की 351 नदियों की धाराओं को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए गठित केंद्रीय निगरानी समिति को निर्देश दिया कि वे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की और से जल निकायों के संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदमों की समय-समय पर एक वर्ष में कम-से-कम तीन बार मॉनिटरिंग करें. एनजीटी ने केंद्रीय निगरानी समिति को निर्देश दिया कि वे 31 मार्च 2021 तक पहली निगरानी करें. एनजीटी ने केंद्रीय निगरानी समिति को निर्देश दिया कि वो अपनी पहली रिपोर्ट एनजीटी को 30 अप्रैल 2021 तक दाखिल करें.
दिशानिर्देश जारी करने की मांग
याचिका हरियाणा निवासी लेफ्टिनेंट कर्नल सर्वदमन सिंह ओबेराय ने दायर की है. याचिका में हरियाणा के जल निकायों के पुनरुद्धार के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है. इस मामले पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने इसका दायरा बढ़ाते हुए पूरे देश के जल निकायों के पुनरुद्धार से जोड़ दिया. एनजीटी ने कहा कि देशभर में नदियों से निकलने वाली 351 जलधाराएं काफी प्रदूषित हैं. उनका पुनरुद्धार काफी जरुरी है. जल निकाय भूजल स्तर को सुधारने में भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं.