नई दिल्ली : नौकरी दिलाने के नाम पर एनडीएमसी में एक बड़ा रैकेट चल रहा है. दिल्ली क्राइम ब्रांच ने जब से एनडीएमसी में नौकरी का झांसा देने वाले एक फर्ज़ी आईएएस अफसर को उसके चार साथियों के साथ गिरफ्तार किया गया है. तब से यह चर्चा जोरों पर है कि जो लोग 15-20 वर्षों से एनडीएमसी में काम कर रहे हैं. उन्हें तो पक्की नौकरी मिल नहीं रही है और यहां नौकरियां बेची जा रही हैं. पालिका कर्मचारी संघ ने प्रशासन पर सवाल उठाया है.
नई दिल्ली नगर पालिका परिषद में एक तरफ 4500 RMR कर्मचारी स्थाई होने की वर्षों से बाट जोह रहे हैं. काउंसिल मीटिंग में उन्हें नियमित करने का निर्णय लिए जाने के बावजूद पक्का नहीं किया जा रहा है. दूसरी तरफ यहां नौकरी दिलाने के नाम पर एक बड़ा रैकेट चल रहा है. पालिका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधाकर कुमार बताते हैं कि NDMC खुद एक काजल की कोठरी है. इस तरह के मामले का भंडाफोड़ होना कोई बड़ी बात नहीं है.
उन्होंने कहा कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इस तरह के काम नहीं किए जा सकते. किसी भी व्यक्ति या संस्थान की विश्वसनीयता ही उसकी सबसे बड़ी पूंजी होती है. उस पर किसी तरह की आंच नहीं आनी चाहिए. इस तरह के काम के लिए प्रशासन भी जिम्मेदार है. वह पिछले 3 वर्षों से इस की कार्यप्रणाली को देख रहे हैं. बार-बार ज्ञापन देने के बावजूद इसमें सुधार नहीं हो रहा है. नई दिल्ली नगर पालिका परिषद कर्मचारी संघ 2017 से ही भ्रष्टाचार के मामले को प्रमुखता से उठा रही है, लेकिन प्रशासन इसको लेकर कभी गंभीर नहीं हुआ. इसी का नतीजा है कि इस तरह के कांड सामने आ रहे हैं.
दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी. सुधाकर ने बताया कि एनडीएमसी के नए अध्यक्ष विक्रम सिंह भल्ला भ्रष्टाचार के मामले को लेकर गंभीर लगते हैं. जब भी वह उन्हें बुलाएंगे व उनके सामने एनडीएमसी में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले उनके सामने उजागर जरूर करेंगे. एनडीएमसी से भ्रष्टाचार को समाप्त करने में उनका सहयोग करेंगे.