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1984 दंगे: जिन्होंने गंवाई जान, उनकी याद में बनाया गया म्यूजिम, जानिए क्या है खास

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Published : Nov 1, 2021, 6:53 PM IST

सिख दंगों को 37 साल बाद भी लोग भूल नहीं पाए है. सिखों की शहादत को याद रखने के लिए तिलक विहार के गुरुद्वारे शहीदगंज साहिब में एक म्यूजियम बनाया गया हैं. उस संग्रहालय में दंगों में मारे गए लोगों की तस्वीर लगाई गई है, जिन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है.

tilak vihar
पीड़ितों की याद में

नई दिल्ली : 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में काफी संख्या में सिखों की जान गई थी. उस दंगे को 37 साल के बाद भी लोग भूल नहीं पाए है. इसी कड़ी में सिखों की शहादत को याद रखने के लिए तिलक विहार के गुरुद्वारे शहीदगंज साहिब में एक म्यूजियम बनाया गया है. उस संग्रहालय में दंगों में मारे गए लोगों की तस्वीर लगाई गई है, जिन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है.


37 साल पहले एक, दो और तीन नवंबर को हुए कत्लेआम की उन पीड़ित परिवार के सदस्यों के मन में अब भी टीस है. इसलिए हर साल बरसी पर उनके जख्म हरे हो जाते हैं. क्योंकि सबसे अधिक उनके मन को यह बात दुखाते हैं कि जो भी उस कत्लेआम में मारे गए थे, वो सभी निर्दोष थे.

सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों की याद में म्यूजियम

उस दौरान मारे गए लोगों की याद में गुरुद्वारा शहीदगंज साहिब में म्यूजियम बनाया गया है. दंगों में मारे गए लोगों की फोटो को एकजुट कर शहीदगंज साहिब गुरुद्वारा के प्रांगण में म्यूजियम को तैयार किया गया है. इसका निर्माण 2017 में किया गया था. उस समय दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चेयरमैन मनजिंदर सिंह सिरसा थे. यहां उस दौरान मारे गए सभी लोगों की तस्वीर है. इनमें से कुछ परिवार के चार-चार. छह-छह लोगों की तस्वीर लगी है, जो उस घटना में मारे गए थे.

museum in tilak vihar
गुरुद्वारा प्रांगण में ही दंगा पीड़ितों को समर्पित म्यूजियम

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हालांकि, कुछ ऐसे भी थे जिनकी तस्वीरें नही मिल पाई. यहां के कमरे में एक इंच भी ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां तस्वीर न लगी हो. स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ जरूरतों के वक्त तस्वीर लेने के लिए जब परिजनों के पास जाते थे तो उनके जख्म हरे हो जाते थे.

शहीदगंज गुरुद्वारे में है ये म्यूजियम
शहीदगंज गुरुद्वारे में है ये म्यूजियम

उन्हें मानसिक रूप से दुख भी पहुंचता था. अब इस म्यूजियम को बनाने का यह उद्देश्य था कि लोग अब उनको आसानी से श्रद्धांजलि दे सकें. इस म्यूजियम के बारे में युवाओं को भी बताया जाता है ताकि उन्हें भी इस बात का अहसास हो कि उनके पूर्वजों के साथ क्या हुआ और किसने किया. क्योंकि ये तो ऐसा सच है जिसे न तो झुठलाया जा सकता और न ही भुलाया जा सकता है.

गौरतलब है कि वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे हुए थे. एक, दो और तीन नवंबर को हुए इन दंगों में करीब तीन हजार लोगों की जान गई थी.


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