नई दिल्ली : कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तक सबसे अधिक कोरोना संक्रमितों की संख्या देखने को मिल रही है. पूरे देश में ढाई लाख के आसपास और दिल्ली में 13,00 के आसपास नए मामले सामने आए हैं. इनमें सबसे अधिक वे लोग शामिल हैं, जो कोरोना से बचाव के लिए टीके लगवा चुके हैं. भारत सरकार एवं दिल्ली सरकार दावा करती है कि 100 फीसदी लोगों को टीका लगा दिया गया है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब कोरोना वायरस से बचाव के लिए 100 फीसदी लोगों को टीका लगाया जा चुका है, इसके बावजूद लोग कोरोना संक्रमण का शिकार क्यों हो रहे हैं ? ऐसे में यह तर्क दिया जाता है कि वैक्सीन कोरोना के गंभीर संक्रमण से बचाव करता है. यह वेंटिलेटर पर जाने की नौबत नहीं आने देता है. यहां दो विरोधाभासी बातें हो रही है.
एक तरफ कहा जा रहा है कि तीसरी लहर में माइल्ड इंफेक्शन होता है और वैक्सीन ले चुके लोगों में भी हल्का संक्रमण हो रहा है. अगर ऐसा है तो फिर ऑक्सीजन सपोर्ट पर और वेंटिलेटर पर कौन मरीज आ रहे हैं? शुरू से ही विशेषज्ञ बता रहे हैं कि कोरोना संक्रमण से मृत्यु दर एक फीसदी से भी कम है. जाहिर- सी बात है कि एक फीसदी से भी कम लोगों के बचाव के लिए ही 99 फीसदी से अधिक लोगों को टीका लगाया गया है. इसके बावजूद बचाव नहीं हो पा रहा है.
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डॉ. अजय गंभीर मल्टीवेलेंट वैक्सीन की विशेषता के बारे में बताते हैं कि चार अहम सुरक्षा कारकों को ध्यान में रखते हुए नई वैक्सीन को तैयार किया जाएगा. पहला "इफेक्टिवेनेस" यानी वैक्सीन कितना प्रभावी होगा. दूसरा हर उम्र समूह के लोगों के ऊपर वैक्सीन का एक समान प्रभाव. अभी कुछ वैक्सीन महिलाओं के लिए अच्छी है तो कुछ बुजुर्गों के लिए बच्चों और जवानों के लिए. तीसरा, वैक्सीन से कितनी सुरक्षा मिलती है. अर्थात वैक्सीन की इम्यूनोजेनिसिटी कितनी है.
WHO ने सभी वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स को पहले ही गाइडलाइंस जारी किया है कि वैक्सीन से सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है. इसलिए इस कारक की तरफ ध्यान देना बहुत जरूरी है. लेकिन पूरी दुनिया भर में जो वैक्सीन बनकर तैयार हुई सबकी एफीकेसी और एफेक्टिविटी अलग-अलग है. इसी को लेकर कन्फ्यूजन पैदा हो गई है. वैक्सीन निर्माण रिसर्च से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक आते-आते हजारों करोड़ खर्च होते हैं. अलग- अलग वैक्सीन बनाने से अच्छा है कोई ऐसा इफेक्टिव वैक्सीन बनाया जाए जो कोरोना वायरस के हर वेरिएंट के लिए एक समान प्रभावी हो.
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डॉ. अजय गंभीर बताते हैं कि वैक्सीन निर्माण में हजारों करोड़ रुपये खर्च आते हैं. इसलिए जरूरी है कि सोच समझकर बेहतर रिसर्च करते हुए ऐसा वैक्सीन बनाया जाए जो हर तरह के वेरिएंट पर प्रभावी हो. अभी जो आंकड़े प्राप्त हो रहे हैं उसके मुताबिक कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन के ऊपर कोई भी वैक्सीन प्रभावी साबित नहीं हो पा रहा है. दुनिया में ज्यादातर लोगों ने वैक्सीन ले ली है. इसके बावजूद संक्रमण तेजी से फैल रहा है. यह इस बात का सबूत है कि वैक्सीन प्रभावी नहीं है.