नई दिल्ली: कोरोना का कहर लगातार बढ़ रहा है. इसका असर कोरोना वॉरियर्स पर भी पड़ रहा है. ताजा आंकड़े के मुताबिक अब तक 436 डॉक्टर कोरोना संक्रमण की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. जिस देश की स्वास्थ्य व्यवस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के आधार पर ना हो, जहां मरीज और डॉक्टर के बीच के अनुपात में एक बड़ा फासला हो वहां इतनी संख्या में डॉक्टरों का कोरोना संक्रमण से मरना अच्छे संकेत नहीं हैं.
400 से ज्यादा डॉक्टर की मौत ग्रामीण और छोटे शहरों में ज्यादा है संख्या
देश भर के डॉक्टर चिंतित हैं. अब कोरोना का संक्रमण शहर से गांव की तरफ बढ़ रहा है, जहां सिस्टम बहुत ही खराब स्थिति में है क्योंकि सुरक्षा के उपकरण वहां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति काफी भयावह हो रही है. यहां ज्यादा संख्या में डॉक्टर मर रहे हैं. जीटीबी हॉस्पिटल के फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉक्टर एनके अग्रवाल बताते हैं कि भारत में कोरोना बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. इसका सबसे खराब असर डॉक्टर्स पर पड़ रहा है. अभी तक 400 से ज्यादा डॉक्टरों ने कोरोना की वजह से अपनी जान गंवा दी है. ये वो डॉक्टर थे जो कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे थे.
एम्स के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ अमरिन्दर सिंह ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि कोरोना संक्रमण की वजह से 337 डॉक्टर्स की जान चली गई है. एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया के मिताबिक कोरोना का कहर अगले साल 2021 के कुछ महीनों तक जारी रहेगा.
कोविड ड्यूटी पर लगे डॉक्टर से सुरक्षित रहने की अपीलजीटीबी हॉस्पिटल की फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉक्टर एनके अग्रवाल कोरोना मरीजों की देखभाल करते हुए संक्रमण का शिकार होकर अपनी जान गंवाने वाले डॉक्टर और दूसरे कोरोना वॉरियर के परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि अभी तक 400 से अधिक डॉक्टर और हजारों की संख्या में हेल्थ केयर वर्कर्स और दूसरे कोरोना वारियर्स अपनी जान से हाथ धो चुके हैं. साथ ही उन्होंने कोरोना मरीजों की देखभाल करने वाले सभी कोरोना वॉरियर्स और डॉक्टर्स से पर्याप्त सुरक्षा के उपाय करने की अपील की है. जब भी कोविड-19 ड्यूटी करें अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए अच्छी क्वालिटी की पीपीई किट का इस्तेमाल करें.'अपनी सुरक्षा भी जरूरी'
डॉ अग्रवाल ने कहा कि डाक्टर है कि वह ज्यादा से ज्यादा मरीजों की देखभाल करें. साथ ही इस देखभाल के दौरान खुद की भी सुरक्षा करनी है इसके लिए अच्छी पीपीई किट के अलावा डबल मास्क पहने और सोशल डिस्टेंस का भी पूरा ध्यान रखें. डॉ अग्रवाल बताते हैं कि भारत में जनसंख्या के अनुपात में डॉक्टर्स की संख्या वैसे भी बहुत कम है. अगर इसे जल्दी ही नहीं रोका गया तो हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर इसका काफी प्रतिकूल असर पड़ेगा. इस तरह के हालात हमारे देश में क्यों हो रहे हैं? डॉ बंसल बताते हैं कि हमारे देश का हेल्थ सिस्टम बेहतर स्थिति में नहीं है. शहरों में कुछ हद तक स्थिति ठीक है, लेकिन ग्रामीण इलाके में स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल नहीं के बराबर है.
ग्रामीण इलाकों में सुविधा नहीं
गांव में कोरोना बड़ी तेजी से फैल रहा है, लेकिन वहां सुरक्षा के ज्यादा इंतजाम नहीं है. डॉक्टर्स के लिए अच्छी क्ववालिटी की पीपीई किट्स तक उपलब्ध नहीं है. जिसकी वजह से उनकी जान हमेशा खतरे में बनी रहती है. जिन डॉक्टरों की कोरोना संक्रमण से अभी तक मौत हुई है, अगर उनका आंकड़ा देखा जाए तो उनमें से ज्यादातर टायर टू सिटी या ग्रामीण क्षेत्र के डॉक्टर आते हैं.
हेल्थ वर्कर्स पर लोड अधिक
डॉक्टर के मुताबिक करीब 90 फ़ीसदी कोरोना संक्रमित मरीज अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन जो हेल्थ केयर वर्कर्स हैं जैसे डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ ये ज्यादातर समय कोरोना वायरस के आसपास ही बिताते हैं. इसकी वजह से उनमें वायरल लोड बहुत ज्यादा हो जाता है. इससे इन्हें काफी गंभीर तरह के इंफेक्शन होते हैं. तत्काल अगर इनको उचित इलाज ना मिले तो ज्यादा संभावना है कि उनकी मौत हो जाएगी.
'देश के पूरे हेल्थ सिस्टम पर पड़ेगा असर'
डॉ. अग्रवाल के मुताबिक पिछले 6 महीने के दौरान 400 से ज्यादा डॉक्टरों ने अपनी जान गंवा दी है. इस तरह से अगर डॉक्टर मरते रहे तो देश में डॉक्टरों की संख्या बहुत कम हो जाएगी, जिसका असर पूरे हेल्थ सिस्टम पर पड़ेगा. किसी डॉक्टर पैरामेडिकल स्टाफ या नर्सिंग स्टाफ की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत होने पर उनके परिजनों को कम से कम 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए जैसा कि दिल्ली सरकार दे रही है, इससे पीड़ित परिवार को थोड़ी राहत मिलेगी.