नई दिल्ली : दिल्ली में विधानसभा का चुनाव हो या फिर लोकसभा, हर बार यमुना चुनावी मुद्दा बनती है. विपक्षी दल यमुना की बदहाली का रोना रोते हैं तो सत्ता पक्ष अगले पांच सालों में यमुना की दशा बदलने का दावा करते हैं. यमुना की सफाई पर अब तक की सरकारें कितना पैसा बहा चुकी हैं, इसको लेकर अलग-अलग आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं. वजह दिल्ली सरकार की कई एजेंसियां जैसे जल बोर्ड, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, पीडब्ल्यूडी के अलावा दिल्ली नगर निगम और केंद्र सरकार द्वारा अलग-अलग योजनाओं के तहत यमुना को साफ करने के प्रयास किए गए. इसके बाद भी यमुना दिनोंदिन और मैली होती चली गई. चूंकि यमुना कई राज्यों से होकर दिल्ली पहुंचती है और फिर आगे चली जाती है, इसलिए सरकारें एक-दूसरे को दोषी ठहरा कर अपना पल्लू झाड़ लेती हैं.
यमुनोत्री से निकलने वाली यमुना प्रयागराज में संगम तक पहुंचते-पहुंचते जितनी मैली होती है, उसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी दिल्ली की है. राजधानी दिल्ली का प्रदूषण यमुना को दिन-ब-दिन जहरीला बना रहा है. यमुना नदी का मात्र दो फीसदी हिस्सा ही दिल्ली से होकर गुजरता है लेकिन एक स्टडी की मानें तो 80 फीसदी यमुना सिर्फ और सिर्फ राजधानी दिल्ली में मैली हाे जाती है. 1370 किलोमीटर की यमुना का दिल्ली में 22 किलोमीटर का हिस्सा है, जो वजीराबाद से ओखला के बीच सबसे ज्यादा जहरीली हो जाती है.
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दिल्ली सरकार ने 2024 तक यमुना को साफ करने का लक्ष्य रखा है. इसकी झलक बजट में दिखी है. इसके लिए सरकार ने इस बार नजफगढ़ नाले में तब्दील हुई साहिबी नदी को फिर से जिंदा करने की बात कही है. क्योंकि विशेषज्ञों के मुताबिक यमुना को दूषित करने में 70 फीसद योगदान नजफगढ़ नाले का है. वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने बजट में इस नाले के पानी को यमुना में गिरने से पहले साफ करने का खाका पेश किया. उन्होंने बताया कि सरकार नजफगढ़ नाले के पानी काे साफ करने के साथ सड़क के दोनों तरफ सौंदर्यीकरण किया जाएगा. इसके लिए बजट में 705 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके साफ होने से आने वाले दो सालों में यमुना को भी पूरी तरह से साफ किया जा सकेगा. उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार नजफगढ़ ड्रेन में फ्लोटिंग वेटलैंड और फ्लोटिंग एयरेटर लगाकर पानी को साफ किया जाएगा. साथ ही ड्रेन की सफाई और दोनों तरफ की सड़कों के सौंदर्यीकरण का काम भी शुरू होगा.
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इसके बाद इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर साहिबी नदी को वापस उसके स्वरूप में लाया जाएगा. साहिबी नदी का उद्गम राजस्थान के सीकर जिले के कस्बे अजीतगढ़ के पूर्व में दो किलोमीटर दूरी पर स्थित धारा जी के मंदिर के पास से होता है. राजस्थान से लेकर दिल्ली तक नदी की कुल लंबाई 300 किलोमीटर है. यह पहले सीधे यमुना नदी में गिरती थी, लेकिन बाद में इसका बहाव कम हो गया. नदी के लुप्त होने पर यह नाले के स्वरूप में आ गई. साथ ही इसे नजफगढ़ ड्रेन नाम से पहचान मिल गई. वर्तमान में इसमें दिल्ली के बड़े नालों का पानी गिरता है जो कि बाद में यमुना में जाकर मिल जाता है.
यमुना की सफाई पर अब तक बहे करोड़ों रुपये
यमुनोत्री से निकली अविरल यमुना का पानी दिल्ली पहुंचते-पहुंचते जहर हुआ तो इसे साफ करने के लिए सराकारों ने भी खजाने खोल दिए. लेकिन उसका फायदा कुछ नहीं हुआ. पिछले साल नवंबर 2021 दिल्ली सरकार ने यमुना से झाग रोकने के लिए 9 सूत्रीय योजना बनाई, बजट में 2074 करोड़ रुपये का प्रावधान यमुना की सफाई के लिए किया गया. इससे पहले भी 2018 से 2021 तक दिल्ली सरकार ने 200 करोड़ रुपये इस काम के लिए आवंटित किए थे, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही साबित हुआ.
ऐसे सुधर सकते हैं हालात
यमुना जिये अभियान के संयोजक मनोज मिश्रा बताते हैं कि हथिनी कुंड बैराज से दिल्ली के लिए 160 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है, जो यहां आने से पहले ही समाप्त हो जाता है और यमुना सूख जाती है. कम से कम 1500 क्यूसेक पानी हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा जाना चाहिए, इससे दिल्ली में 800 क्यूसेक से अधिक पानी दिल्ली में पहुंचेगा और दिल्ली में यमुना एक नदी के रूप में बहेगी और आगे भी मथुरा वासियों की मांग भी पूरी हो जाएगी, जो यमुना में साफ पानी की मांग कर रहे हैं. साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि दिल्ली के नालों का पानी यमुना में न गिरे.
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