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Manipal Hospital campaign: अंगदान के लिए लाेगाें काे किया जाएगा जागरूक

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Published : Aug 9, 2022, 6:40 PM IST

Updated : Aug 9, 2022, 10:51 PM IST

अंगदान एक महान काम है. उन लोगों को जीवन की एक नई उम्मीद देता है, जो अंगों के खराब हो जाने के कारण सामान्य जीवन नहीं जी पा रहे हैं. अंग दान को प्रोत्साहन देने के लिए मंगलवार काे Human Care Medical Charitable Trust (HCMCT) ने पैरालंपिक गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता, डॉ. दीपा मलिक और नोट्टो के डायरेक्टर डॉ. रजनीश सहाय की उपस्थिति में मणिपाल ऑर्गन शेयरिंग एवं ट्रांसप्लांट (MOST) अभियान लॉन्च किया.

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नई दिल्ली: भारत में हर साल अंगों के खराब हो जाने के कारण लगभग चार लाख लोगों को अंगों का प्रत्यारोपण (organ transplant) कराने की जरूरत पड़ती है. बहुत कम लोगों को यह जानकारी होगी कि ब्रेन डेथ (brain dead) के बाद एक व्यक्ति अपना दिल, फेफड़ा, लिवर, किडनी, छोटी आंत और पैन्क्रियाज का दान करके आठ जिंदगियां बचा सकता हैं. ब्रेन डेथ उन लोगों की होती है जिनके सिर में चोट या आघात लगता है, जिसकी वजह से दिमाग की तो मृत्यु हो जाती है पर दिल का धड़कना जारी रहता है. जिसके कारण शेष अंग कुछ समय तक जिंदा बना रहता है. वहीं आंख, स्किन, बोन, और हार्ट वॉल्व जैसे टिश्यू किसी भी तरह से माैत होने के बाद छह से आठ घंटों में दान किए जा सकते हैं.

अंग दान को प्रोत्साहन देने के लिए मंगलवार काे Human Care Medical Charitable Trust (HCMCT) ने पैरालंपिक गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता, डॉ. दीपा मलिक और नोट्टो के डायरेक्टर डॉ. रजनीश सहाय की उपस्थिति में मणिपाल ऑर्गन शेयरिंग एवं ट्रांसप्लांट (मोस्ट) अभियान (Manipal Hospital campaign to encourage organ donation) लांन्च किया. इस अभियान की मदद से लोग हॉस्पिटल की वेबसाइट पर जाकर नोट्टो में अंगदान करने के लिए खुद का पंजीकरण करा सकते हैं. इस अवसर पर डॉ. दीपा मलिक और एनसीआर में सभी मणिपाल हॉस्पिटल के 700 से ज्यादा कर्मचारियों ने अपने अंग और आंखों का दान करने का संकल्प लिया. हॉस्पिटल ने अपने एक नए विभाग को लॉन्च भी किया, जिसका उद्देश्य ब्रेन डेथ से मरने वाले लोगों के परिवारों को सहयोग व परामर्श प्रदान करना है, जिससे वो मृतक के अंगों का दान करने के लिए प्रोत्साहित हों.

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इस अभियान काे लॉन्च करने के दौरान डॉ. दीपा मलिक ने कहा कि अंगदान एक महान कार्य है, जो न केवल किसी जरूरतमंद को जीवन की एक नई उम्मीद देता है बल्कि मृत हो चुके व्यक्ति को उसके दान किए गए अंगों के माध्यम से इस दुनिया में बने रहने का अवसर भी प्रदान करता है. भारत में चिकित्सा क्षेत्र में हुई उन्नति के बाद भी अंगदान के प्रति जागरुकता बहुत कम है और लोगों को यह जानकारी नहीं कि अंगदान से कितने लोगों की जान बचाई जा सकती है. अंगों का प्रत्यारोपण कराने की आवश्यकता बहुत तेजी से बढ़ी है और इस आवश्यकता एवं अंगों की उपलब्धता के बीच का अंतर कम करने के लिए लोगों को आगे आने की जरूरत है.

डॉ. (कर्नल) अवनीश सेठ ने कहा कि हम सभी को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि भारत हर साल दुनिया में अंगों का प्रत्यारोपण करने के मामले में तीसरे स्थान पर है. इस देश में जीवित डोनर किडनी एवं लिवर प्रत्यारोपण के लिए दुनिया में गहन अनुभव और विस्तृत विशेषज्ञता है. लोगों काे अंगों व टिश्यू का दान किए जाने की जरूरत है.
इस अभियान के बारे में एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल्स (Manipal Organ Sharing And Transplant) में हॉस्पिटल डायरेक्टर रमन भास्कर ने कहा कि अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की एक पहल है. एक व्यक्ति अपने अंगों को दान कर आठ लोगों की जान बचा सकता है.

Last Updated : Aug 9, 2022, 10:51 PM IST
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